दीप्ति का महल जैसे घर में दम घुटने लगा था. छटपटा रही थी वह. लेकिन मां, भाई उस का साथ नहीं दे रहे थे कि वह क्यों अपनी अच्छीभली ज़िंदगी को तबाह करना चाहती है. लेकिन यह बात जब उस ने कनक को बताई तो वह सिर थाम कर बैठ गई और फिर..