Office Romance : लेडी बौस सुंदर हो तो उस पर दिल आना स्वाभाविक है. लेकिन यहां खतरे बहुत अधिक हैं. ऐसे में सावधानी से काम लें. ज्यादातर मामलों में यह प्यार एकतरफा होता है. यह बात और है कि कहानियों में ऐसे प्यार को काफी रंगीन बना कर पेश किया जाता है. दीपक की पहली जौब एक मल्टीनैशनल कंपनी में थी. छोटे से सीतापुर शहर का रहने वाला दीपक पहली बार किसी बड़े शहर आया था. सरकारी स्कूल से उस ने कक्षा 12 तक की पढ़ाई की, उस के बाद इंजीनियरिंग करने के लिए प्रवेश परीक्षा दी. जहां से उस का सलैक्शन बीटैक करने के लिए हो गया.
दीपक ने कंप्यूटर साइंस से 4 साल में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. वहां से ही उस का चयन मुंबई की एक मल्टीनैशनल कंपनी में हो गया. दीपक के लिए यह सपने जैसा था. सबकुछ एक के बाद एक जल्दीजल्दी हो गया. नौकरी के कुछ माह तक तो उसे कुछ सम झ ही नहीं आ रहा था. धीरेधीरे वह नौकरी और मुंबई की जिंदगी में रचनेबसने लगा. नौकरी के 6 माह बाद उस की कंपनी ने नए लोगों और पुराने अधिकारियों को 3 दिनों के लिए गोवा भेज दिया. वे 3 दिन मस्तीभरे थे. मीटिंग तो नाममात्र की थी. बाकी केवल आउटिंग होनी थी जिस से लोग आपस में सहज हो सकें. दीपक के साथ नौकरी करने वालों में लड़केलड़कियां दोनों थे. गांव से बाहर आ कर पहली बार उस ने लड़कियों को इतने करीब से देखा था.
दीपक की नजर अपने साथ काम करने वाली लड़कियों से अधिक अपनी जूनियर एचआर मैनेजर रुचि पर टिक जाती थी. देखा जाए तो रुचि उम्र में दीपक से 10 साल बड़ी थी. दीपक धीरेधीरे रुचि के प्रति आकर्षित होने लगा. उस का मन कर रहा था कि वह ज्यादा से ज्यादा रुचि के साथ रहे. गोवा में 3 दिनों के टूर में उसे यह मौका भरपूर मिला. दीपक का समय अपने साथियों से अधिक रुचि के साथ बीत रहा था. रुचि और दूसरे लोग यह सोच रहे थे कि एचआर मैनेजर को प्रभावित करने के लिए दीपक ऐसा कर रहा है. असल में दीपक उस के आकर्षण में यह सब कर रहा था. गोवा टूर खत्म हो गया. वापस लोग मुंबई आए और अपनेअपने काम पर लग गए. दीपक का कोई सीधा काम रुचि से नहीं पड़ता था.
ऐसे में उस के सामने दिक्कत यह हो रही थी कि वह कैसे बहाना बना कर रुचि से मिलने जाए. दीपक अब यह कोशिश करने लगा कि जिस समय रुचि औफिस में आए और जिस समय छुट्टी हो, वह रिसैप्सन एरिया में रहे, जिस से रुचि से मिलनेदेखने का मौका मिल जाए. रुचि अकसर देर से औफिस आती थी और देर से औफिस से जाती थी. दीपक आता तो समय से था पर काम का बहाना बना कर देर तक काम करता रहता था. जैसे ही रुचि के जाने का समय होता था वह भी अपना काम खत्म कर लेता था. यह सिलसिला चलता रहा. कभी दीपक बात करने का साहस नहीं कर पाया. दीपक ने यह पता लगा लिया था कि रुचि ने अभी शादी नहीं की है. यह जान कर दीपक का मन खुश हो गया.
दीपक का समय बलवान था. औफिस से निकल कर वह ओला बुक कर रहा था तो पता चला कि आज ओला नहीं चल रही, हड़ताल है. वह सोचने लगा कि अब कैसे घर जाएगा. उस के साथ के लोग पहले ही जा चुके थे. इतने में रुचि ने उस से पूछा, ‘क्या हो गया?’ ‘कुछ नहीं मैम, आज ओला नहीं चल रही. घर जाने की दिक्कत हो रही है,’ दीपक ने कहा. रुचि बोली, ‘कोई बात नहीं, मेरे साथ चलो, मैं छोड़ दूंगी.’ दीपक के लिए यह कल्पना से बाहर की बात थी. वह तैयार हो गया. रुचि की कार में बैठते हुए वह बेहद खुश था. वह ध्यान लगा कर रुचि को कार चलाते देख रहा था. रुचि ने पूछा, ‘क्या देख रहे हो?’ ‘आप कार चलाती हुई बहुत अच्छी लग रही हैं. मु झे कार चलानी नहीं आती,’ दीपक ने कहा. ‘कोई बात नहीं, मैं तुम को कार चलाना सिखा दूंगी’ रुचि ने कहा. एक चौराहे पर दीपक ने कहा,
‘बस, यहीं छोड़ दीजिए. आगे कुछ दूरी पर मैं रहता हूं.’ रुचि ने कार रोकी. दीपक उतरते हुए बोला, ‘मैम, आगे एक कौफी शौप है. अगर आप को बुरा न लगे तो कौफी पी लें.’ दीपक ने जिस तरह से कहा था, रुचि मना नहीं कर पाई. दोनों ने कौफी पी. ज्यादा बातें इधरउधर की हो रही थीं. दीपक का मन कर रहा था कि वह अपने मन की बात कह दे पर उसे डर लग रहा था. कौफी पीते हुए पहली बार उस ने रुचि के साथ मोबाइल से सैल्फी ली. यहां से दोनों की बातचीत का रास्ता खुल गया. मोबाइल पर अब मैसेज आने लगे. रातभर दीपक रुचि के साथ वाली सैल्फी ही देखता रहा. अब रुचि उसे और भी अच्छी लगने लगी थी. रुचि को भी दीपक की याद आने लगी थी. एक दिन वह छुट्टी ले कर अपने गांव आ गया.
वहां उस की मां की तबीयत ठीक नहीं थी. मां बारबार कह रही थी कि ‘मेरे जिंदा रहते तुम शादी कर लो.’ दीपक 2 दिनों के बाद वापस आ गया. इधर दीपक की मां की तबीयत खराब होने की बात रुचि को पता चली तो वह फोन कर हालचाल लेने लगी. मुंबई वापस आया तो दीपक और रुचि फिर उसी कौफी शौप पर बैठे. दीपक ने पूरी बात बताई. रुचि ने कहा, ‘तुम शादी कर लो. अब तो तुम्हारा वेतन भी अच्छा हो गया है.’ दीपक यह सुनते ही बिना किसी लागलपेट के बोला, ‘मैम, मैं आप को पंसद करता हूं. आप के अलावा किसी और से शादी की बात नहीं सोच सकता.’ दीपक के यह कहते ही कुछ समय के लिए दोनों चुप हो गए. रुचि ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा,
‘हम एकदूसरे को इतना जानते नहीं हैं कि शादी कर लें और फिर तुम उम्र में भी हम से छोटे हो. तुम्हारे घर वालों को एतराज हुआ तो?’ ‘आप जैसी लड़की लाखों में एक है. मेरी मां बहुत खुश होगी,’ दीपक ने कहा. रुचि ने एक दिन का समय मांगा और अगले दिन वह औफिस से छुट्टी ले कर दीपक के साथ उस की मां से मिलने गांव गई. वहां से 2 दिनों बाद वापस आ कर रुचि ने अपने मातापिता को भी पूरी बात बताई. दीपक ने अपनी मां और पिता को मुंबई बुला लिया और दोनों ने पहले सगाई और बाद में शादी कर ली. बड़ा कारण शारीरिक आकर्षण हर किसी के साथ ऐसा नहीं होता. कई बार महिला बौस से प्यार का इजहार भी नहीं हो पाता. महिला बौस से प्यार क्यों हो जाता है? इस का सब से बड़ा कारण शारीरिक आकर्षण होता है. महिला बौस में अपना एक अलग स्टाइल और आकर्षण होता है.
यह लोगों को लुभाता है. ऐसे ही आकर्षण के चलते कई बार अपनी टीचर से लोग प्यार कर बैठते हैं. बड़ी उम्र की औरतों के साथ प्यार और शादी के उदाहरण बहुत मिलते हैं. इन में से अधिकतर केवल खयालों में रह जाते हैं. आजकल ऐसी बहुत सारी कहानियां सोशल मीडिया पर पढ़ने को मिलती हैं जिन में महिला बौस के साथ प्यार की सीमा से पार सैक्स तक लोग पहुंच जाते हैं. ऐसी तमाम कहानियां लेखक के मन की उपज भी होती हैं. लेकिन जिस तरह से पुराने समय में भी ऐसे प्यार को ले कर लिखा गया है, उस से साफ है कि लैडी बौस से प्यार लोगों को हो ही जाता है. इस की वजह यह भी होती है कि उस के साथ औफिस का एक लंबा समय बीतता है.
सुंदरता के प्रति सहज आकर्षण होता है. संभल कर करें प्यार का इजहार एकतरफा किसी का चाहना बुरा नहीं होता. लेडी बौस के साथ प्यार हो जाए तो उस का इजहार संभल कर करें. इस में नौकरी जाने का खतरा होता है. यह जरूरी नहीं कि जिसे आप चाहते हों वह भी आप को चाहे तो प्यार का इजहार करने से पहले यह जरूर जान लें कि वह आप को प्यार करता है या नहीं. प्यार के लिए जोरजबरदस्ती उचित नहीं होती. यह अपराध की भावना को जन्म देता है. अगर प्यार हो गया और दूसरा प्यार नहीं कर रहा तो उसे भूल जाने में ही भलाई होती है. फिल्मों में एक गाना है- ‘वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन उसे इक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना बेहतर…’ लेडी बौस से प्यार हो जाए तो पहले समझ लें कि आप का प्यार अंजाम तक पहुंचने वाला है या नहीं. अगर आप को यह लगता है कि प्यार अपने अंजाम तक नहीं पहुंचेगा तो उसे छोड़ देना बेहतर होता है. इस को एक गाने से सम झने की कोशिश करें- ‘खता तो तब है जब हाल ए दिल किसी से कहें, किसी को चाहते रहना कोई खता तो नहीं…’