महिला वनडे वर्ल्ड कप में भारत की कप्तान मिताली राज ने कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए हैं. 34 साल की मिताली अपना पांचवां वर्ल्ड कप खेल रहीं हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की भारतीय कप्तान कभी क्रिकेटर नहीं बनना चाहती थीं. बल्कि उन्हें क्लासिकल डांसर बनना था.

जोधपुर में 3 दिसंबर 1982 को मिताली का जन्म हुआ. पिता दुराई राज एयर फोर्स में ऑफिसर थे तो मां लीला राज भी क्रिकेट खेल चुकी थीं. तमिल परिवार में जन्म लेने के कारण बचपन में ही क्लासिकल डांस सीखना शुरू कर दिया. 10 साल की उम्र तक मिताली भरतनाट्यम में पारंगत हो गईं थीं. वे इसी में करियर बनाने के बारे में सोचने लगीं थीं.

लेकिन किस्मत को ऐसा मंजूर नहीं था. मिताली बचपन से ही आलसी थी. पिता चाहते थें कि बेटी अनुशासन में रहे और एक्टिव बने. इसलिए उन्होंने मिताली को क्रिकेट खेलने को कहा. 10 साल की उम्र में मिताली क्लासिकल डांस छोड़ हाथ में बैट पकड़े मैदान में नजर आने लगीं थीं.

इसके बाद उनकी स्कूलिंग हैदराबाद में हुई. स्कूल में लड़कों के साथ क्रिकेट की प्रैक्टिस करती थीं. 17 साल की उम्र में मिताली का चयन भारतीय टीम में हो गया.

मिताली ने एक इंटरव्यू में कहा था, शुरुआत में मैंने सिर्फ पेरेंट्स की खुशी के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया था. मेरा पहला प्यार तो भरतनाट्यम ही था. एक बार मैंने सिविल सर्विस में भी करियर बनाने का सोचा था.

मिताली किताबें पढ़ने की शौकीन हैं. वे हर मैच में बैटिंग करने जाने से पहले किताब पढ़ते हुए अपनी बारी का इंतजार करतीं हैं. उन्हें हाल ही में वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में भी ऐसा करते हुए देखा गया.

मिताली ने अपने 17 साल के अंतरराष्ट्रीय कॅरिअर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. वे पहली महिला क्रिकेटर हैं, जिन्हें विजडन इंडिया क्रिकेटर अवॉर्ड मिला है. उन्हें 21 साल की उम्र में भारतीय टीम की कमान सौंप दी गई थी. मिताली को खेल में अच्छे प्रदर्शन के लिए भारत सरकार द्वारा अर्जुन अवॉर्ड मिल चुका है.

उन्होंने लगातार 57 मैचों में टीम की कप्तानी की है. ऐसा करने वाली दूसरी सबसे सफल खिलाड़ी हैं. उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने इंग्लैंड में 2006 में पहली बार टेस्ट सीरीज जीती थी. मिताली 5500 से ज्यादा रन बनाने वाली दूसरी महिला क्रिकेटर हैं. वे 2013 में दुनिया की नंबर वन वनडे क्रिकेटर थीं.

2005 में जब भारतीय टीम वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी, उस समय मिताली टाइफाइड के कारण फाइनल नहीं खेल सकीं थीं. टीम मैच हार गई थी. इसके बाद टीम कभी फाइनल में जगह नहीं बना सकी है.

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