क्रिकेट के बदलते प्रारूप में छक्के चौकों की बरसात होनी आम बात हो गई है. लेकिन आपको बताते चलें कि क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा भी मैच रहा है जिसमें छक्का तो लगा लेकिन एक भी चौका नहीं जड़ा जा सका. आईए बताते हैं आपको पूरा वाक्या.

भारत में 1932 में क्रिकेट का जन्म हुआ था. लॉर्ड्स के मैदान पर भारत ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच (भारत बनाम इंग्लैंड) खेला था. टीम इंडिया की ओर से पहले टेस्ट में कप्तानी सीके नायडू ने की. नायडू की टीम का सामना डगलस जार्डिन की अगुआई वाली इंग्लैंड टीम से हुआ. यह वो दौर था जब टीम इंडिया की बल्लेबाजी खासी कमजोर थी. लेकिन इसके बावजूद टीम इंडिया पूरे दमखम के साथ मैदान पर उतरी.

इंग्लैंड के कप्तान डगलस ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने कै फैसला किया. इसी बीच भारतीय गेंदबाज मोहम्मद निसार ने इंग्लैंड को लगातार झटके दिए और उनके 19 रनों पर 3 विकेट गिरा दिए. ऐसी विपरीत परिस्थिति में फ्रेंक वॉली और डगसल जार्डिन ने पारी को संभाला और स्कोर को 100 के पार ले गए.

इंग्लैंड पहली पारी में 259 रन के स्कोर पर ऑलआउट हो गई. उनके कप्तान जार्डिन 79 रनों के साथ सर्वोच्च स्कोरर रहें. वहीं लेस एम्स ने 65 रन बनाए. भारत की ओर से मोहम्मद निसार ने 5 विकेट लिए. जो एक बड़ी उपलब्धि थी.

जवाब में पूरी भारतीय टीम 93 ओवरों में 189 रनों पर सिमट गई. भारत की ओर से कप्तान सीके नायडू ने सर्वाधिक 40, नाउमल जाउमल ने 33 और सैयद वजीर अली ने 31 रन बनाए. इस तरह से इंग्लैंड को पहली पारी के आधार पर 69 रनों की बढ़त मिल गई.

दूसरी पारी में इंग्लैंड की टीम ने 8 विकेट पर 275 रन बनाए और टीम इंडिया के आगे जीतने के लिए 346 रनों का लभ्य रख दिया. इस पारी में कप्तान जार्डिन ने 85 और एडी पेंटर ने 54 रन बनाए. वहीं भारत की ओर से मोहम्मद जहांगीर खान ने चार विकेट चटकाए.

दूसरी पारी में टीम इंडिया लड़खड़ा गई और 187 रनों पर ऑलआउट हो गई. भारत की ओर से अमर सिंह ने सर्वाधिक 51 रन बनाए. अमर सिंह भारत की ओर से पहले अर्धशतक लगाने वाले वाले बल्लेबाज भी बनें.

इस मैच में अमर सिंह ने एक छक्का लगाया था. अमर इसके साथ ही भारत की ओर से पहला छक्का मारने वाले बल्लेबाज भी बनें. इस मैच में सिर्फ दो छक्के लगे थे. वहीं चौके तो एक भी नहीं लगे थे. दूसरा छक्का इंग्लैंड के फ्रेडी ब्राउन ने लगाया था. अमर सिंह एक ऑलराउंडर थें जो 9वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आते थे. गौर करें कि यह टेस्ट मैच तीन दिन में ही खत्म हो गया था.

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