आज के समय में अधिकतर ट्रांजैक्शन औनलाइन होते हैं. हर चीज औनलाइन शिफ्ट होने लगी है. यह सहूलियत तो दे देता है पर रिस्क के चांस भी बढ़ा देता है. इसी मौके को ताड़ते साइबर जालसाजों के ऐसे गुट खड़े हो गए हैं जो लोगों को अपने चंगुल में फंसा कर धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं. ये गैंग लोगों को तत्काल कर्ज देने के नाम पर धोखाधड़ी करते हैं. हाल ही में मैनपुरी कोतवाली पुलिस ने ऐसे ही तत्काल कर्ज देने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले गिरोह को पकड़ा.

यह गैंग मैनपुरी ही नहीं बल्कि आसपास जिलों में भी ठगी करता था. लोगों को जब पता चलता तब तक उन की कमाई ले कर गैंग के ठग फरार हो जाते. इस तरह की ठगी छोटेछोटे कर्जों की शक्ल में हो रही हैं. अगर कोई सोशल मीडिया पर विज्ञापन देख कर 5 हजार रुपए का कर्ज लेता है तो उसे 7 दिनों के भीतर 7 हजार रुपए चुकाने पड़ते हैं. यहां तक तो ठीक है पर दिक्कत इस के बाद खड़ी होती है. जिस एप्लीकेशन प्लेटफौर्म के माध्यम से यह सारा खेल चल रहा होता है उस के माध्यम से ही देनदारों के पास लेनदार की सारी निजी डिटेल पहुंच जाती है. उस के पास वे प्राइवेट पिन कोड भी पहुंच जाते हैं जो उस के खातों से जुड़े होते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इंस्टैंट लोन एप्लीकेशन से बचने हेतु अलर्ट जारी किया है.

पुलिस ने जिस गैंग को पकड़ा है उस में ज्यादा अनधिकृत लोग हैं जिन्हें रिजर्व बैंक से लोन देने का कोई अधिकार नहीं मिला है. इस के बावजूद वे खुलेआम मिनटों में लोन का औफर दे कर लोगों को फंसा रहे हैं. लौकडाउन के दौरान से ये सारे एप्लीकेशन एक्टिवेट हुए हैं. साइबर क्रिमिनल पैसों की कमी से जू झ रहे लोगों को सस्ते दर पर लोन मुहैया कराने का झांसा दे कर अपने जाल में फंसा रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि ग्राहक ऐसे झांसों में न फंसें.

जहां से भी कर्ज लिया जा रहा है उस की पूरी जानकारी ले लें. औनलाइन लोन औफर करने वाली या मोबाइल ऐप्स के जरिए लोन दे रही कंपनी के बारे में जानकारी और पहले किए उस के काम को वैरिफाई करें. अगर किसी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की औनलाइन ठगी हो जाती है तो वह तुरंत नैशनल साइबर कंप्लैंट पोर्टल पर औनलाइन अथवा हैल्पलाइन नंबर 1930 या 112 पर कौल कर शिकायत दर्ज करवा सकता है. इस के अलावा नजदीकी पुलिस स्टेशन में जा कर साइबर हैल्प डैस्क से भी मदद ले सकते हैं. –

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