गुरुघंटाल पौराणिक काल के देवता गहरी नींद से तभी जागते थे जब नीचे कोई बड़ा कांड हो गया होता था या फिर राजा का सिंहासन खतरे में होता था. जाग कर वे कोई श्राप या वरदान देते थे और फिर बैडरूम में चले जाते थे. समाजसेवी अन्ना हजारे को सोशल मीडिया वीर बहुत मिस कर रहे थे कि इधर तुम्हारा चेला आसमान सिर पर उठाए हुए है और तुम रालेगांव में देवताओं जैसे खटिया तोड़ रहे हो. मजबूरी हो गई थी, इसलिए अन्ना उठे और अपने कलियुगी एकलव्य को कोस कर फिर सो गए कि तुम्हारे राज में दिल्ली में सुरा ही सुरा छलक रही है,
यह तो पाप सा है. अरविंद केजरीवाल पर इस मार्मिक अपीलनुमा श्राप का कोई असर नहीं पड़ा. जरूरत न होते हुए भी उन्होंने जवाब दिया कि इस में भगवा गैंग का हाथ है. अभी सर्वे रिपोर्टों की सिर्फ हवा ही उड़ी थी कि 2024 में केजरीवाल नरेंद्र मोदी को चुनौती देंगे. इतने में ही भक्त त्राहित्राहि करने लगे और बेचारे हजारे को वक्त से पहले उठा दिया. भय बिन होत न प्रीत नवदुर्गा के दिन हों और पश्चिम बंगाल की सियासत न गरमाए, ऐसा होना मुमकिन नहीं.
इस बार पहले ममता बनर्जी बोलीं कि आरएसएस उतना बुरा संगठन भी नहीं… कितना बुरा नहीं, यह तो उन्होंने नाप कर नहीं बताया लेकिन कम्युनिस्ट और ओवैसी एकसाथ हायहाय करते नजर आए कि देखो वे भी हिंदू राष्ट्र के एजेंडे पर चलने लगी हैं. आज से 19 साल पहले भी उन्होंने संघ की तारीफ की थी और रिटर्न गिफ्ट में संघ ने उन्हें दुर्गा कहा था. बात सही है कि ममता यों ही कुछ भी नहीं बोल देतीं लेकिन जाने क्यों किसी का ध्यान ईडी की तरफ नहीं जा रहा जो कोयला तस्करी के मामले में उन के भतीजे अभिषेक बनर्जी पर लंगर डाले बैठी है. कोई डील हो गई हो तो बात कतई हैरानी की नहीं होगी क्योंकि घने जंगल से गुजरते खासे नास्तिक भी हनुमान चालीसा का पाठ करने लगते हैं.
अब इसे मोह कह लें या डर, चीज ही ऐसी है. अब 2047 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी भक्तों की उस टोली के सदस्य हैं जो अगर प्रधानमंत्री की तारीफ करने में थोड़ा चूक जाएं तो अवसाद, आत्मग्लानि और अपराधबोध जैसे पुराने साहित्यिक शब्दों से घिर कर घबरा उठते हैं. लिहाजा, खुद को रिचार्ज करते उन्होंने मानव कल्पना से परे एक बात यह कह डाली कि रूस व यूक्रेन का युद्ध कुछ दिनों के लिए मोदीजी के कहने पर रुका था क्योंकि हमें वहां से 22 हजार छात्रों को बाहर निकालना था. इस ‘थ्रो’ के बाद लगे हाथ उन्होंने यह ऐलान भी कर दिया कि भारत 2047 तक विश्वगुरु बन ही जाएगा.
जो लोग 2024 में विश्वगुरु बन जाने के वादे पर एतबार कर बैठे थे उन्हें यह नवीनीकरण नोट कर भाजपा को वोट देते रहना चाहिए वरना विश्वचेला बनने को तैयार रहना चाहिए. अब यह विश्वगुरु होता क्या है और इस की पदवी कौन जारी करता है, यह राम जानें. पीने का सलीका शराब में लाख बुराइयां सही लेकिन एक तात्कालिक खूबी भी है, इसे पीने के बाद लोग कुछ घंटों के लिए गम भूल जाते हैं और वे गम गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार जैसे राष्ट्रीय हों तो बात ही कुछ और है.
आदिवासी बाहुल्य राज्य छत्तीसगढ़ के स्कूली शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह ने इस बड़े फ्रेम से परे हरिवंश राय बच्चन की ‘मधुशाला’ का जिक्र करते एक छोटी सी शिक्षा दे डाली जिस का सार यह था कि शराब में पानी की मात्रा ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए. उम्मीद के मुताबिक खूब बवाल मचा और लोग मंत्रीजी को कोसते भी रहे. जनप्रतिनिधियों को सोचसम?ा कर बोलना चाहिए लेकिन शराब के मसले पर अकसर वे फिसल जाते हैं. प्रेमसाय सिंह का बचाव करते एक पूर्व कांग्रेसी विधायक पहलवान सिंह ने इंद्र के शराब यानी सोमरस पीने की मिसाल दे डाली तब कहीं जा कर बवाल थमा.