जिम अवश्य जाएं अच्छी सेहत के लिए मशहूर स्टैंडअप कौमेडियन और कलाकार 59 साल के राजू श्रीवास्तव को 10 अगस्त की सुबह नई दिल्ली के एक जिम में वर्कआउट करते समय हलका दिल का दौरा पड़ा था. कथित तौर पर वे ट्रेडमिल पर दौड़ते समय गिर गए थे, जिस के बाद उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाया गया था.
बेंगलुरु, कर्नाटक के सीवी रमन नगर के पास जीएम पाल्या इलाके के एक जिम में कसरत करते समय 26 मार्च को एक 44 साल की औरत विनय कुमारी विट्ठल की मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हुआ था कि विनय कुमारी विट्ठल की मौत दिमाग की नस फटने से हुई थी. पुलिस को लगता है कि कसरत करने के समय विनय कुमारी विट्ठल ने बहुत ज्यादा वजन उठाया होगा, जिस से उन का ब्लडप्रैशर बढ़ गया होगा और दिमाग की नस फट गई होगी. डाक्टरी भाषा में इसे ब्रेन एन्यूरिज्म कहते हैं, जो बिना लक्षणों के भी किसी के दिमाग में लंबे समय तक छिपा रह सकता है. ब्रेन एन्यूरिज्म से दिमाग की रक्तवाहिका में एक उभार या गुब्बारे जैसी रचना बन जाती है.
इस से कभी भी खून का रिसाव हो सकता है या गुब्बारा फट सकता है, जिस से मस्तिष्क में रक्तस्राव हो सकता है. इस से मरीज की मौत भी हो सकती है. हालांकि ज्यादातर मामलों में ब्रेन एन्यूरिज्म फटता नहीं है लेकिन यह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर देता है. इस बीमारी के लक्षणों की बात करें तो सिरदर्द, बोलने में कठिनाई, दिखने में गड़बड़ी जैसे दृष्टि की हानि या दोहरी दृष्टि, आंख के ऊपर या आसपास दर्द, चेहरे के एक तरफ सुन्नता या कमजोरी, संतुलन का नुकसान, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई या अल्पकालिक स्मृति की समस्या होने लगती है.
राजू श्रीवास्तव की बात करें तो उन्हें जिम में पहले दिल का दौरा पड़ा था और बाद में उन का ब्रेन डैड हो गया था. डाक्टरों के मुताबिक, ब्रेन डैड तब होता है जब कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं. इन हालात में ब्रेन में औक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाती है. अकसर ब्रेन डैड की स्थिति तब आती है जब इंसान के सिर पर गंभीर चोट लगती है या मरीज ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारी का शिकार होता है. अब जिम और इस तरह के हादसों पर बात करते हैं. जब भी कभी ऐसी कोई घटना होती है तो आम इंसान के दिमाग में एक ही बात आती है कि क्या जिम में कसरत करना खतरनाक है?
पर यह सच नहीं है, क्योंकि इस तरह के हादसे जिम की वजह से नहीं होते हैं, बल्कि लोग कसरत करते समय उन बातों को अनदेखा कर देते हैं जो उन के लिए जानलेवा बन सकती हैं. सब से जरूरी बात तो यह है कि अगर कोई इंसान जिम में कसरत करता है तो उसे अपने शरीर के बारे में पता होना चाहिए और यह भी पता होना चाहिए कि वह किस उम्र में किस तरह की कसरत कर रहा है. अगर वह किसी गंभीर बीमारी, जैसे दिल की बीमारी आदि से जू झ रहा है तो उसे डाक्टर से सलाह ले कर ही जिम जाना चाहिए. मुंबई में आइडियल जिम की संचालिका अंजू गुप्ता का मानना है,
‘‘जिम जाने से जान का खतरा नहीं है, बल्कि जिम जाने से आप का शरीर बलशाली और सेहतमंद बनता है. जिम में जो भी हादसे होते हैं उन की वजह कोई और ही होती है. ‘‘सब से पहले आप को अपना लक्ष्य तय करना होता है कि आप जिम क्यों जा रहे हैं. आप की उम्र कितनी है और सब से खास बात यह कि आप को डाक्टर से अपनी बौडी चैकअप करवा लेनी चाहिए. किसी भी तरह की व्यक्तिगत समस्या या फिर गलत तरीके से किया गया वर्कआउट नुकसानदायक साबित हो सकता है. ‘‘बहुत से नौजवान तो किसी बौडी बिल्डर को देख कर उन की तरह बौडी बनाने के चक्कर में गलत दवाएं या इंजैक्शन ले लेते हैं. यह सरासर गलत बात है. मेरा मनाना है कि आप अच्छा खाएं, अच्छा वर्कआउट करें और अपनी सेहत को बेहतर बनाएं.’’ अंजू गुप्ता मिसेज इंडिया फिटनैस आइकौन और मिसेज इंडिया क्रैजमैटिक पर्सनैलिटी का खिताब अपने नाम कर चुकी हैं. फरीदाबाद के सैक्टर 16 में बने बी-फिट क्लब बाय भूपेंद्र दलाल के फिटनैस एक्सपर्ट भूपेंद्र दलाल ने बताया, ‘‘जिम जौइन करने से पहले अपनी बौडी और ब्लड टैस्ट जरूर कराएं. अगर कोई मैडिकल दिक्कत है तो अपने ट्रेनर से शेयर करें, छिपाएं नहीं.
ब्लडप्रैशर और हार्ट बीट को ट्रैक करें. रैस्ंिटग हार्ट रेट देखें. ‘‘बिना जानकारी के कोई भी सप्लीमैंट न लें. डाक्टर की सलाह जरूर लें. किसी अच्छे सर्टिफाइड ट्रेनर से ही ट्रेनिंग लें. सब से जरूरी बात कि खुश रहें, कंप्लीट रैस्ट करें, अच्छी डाइट लें और पानी भी जरूरत के हिसाब से पिएं.’’ इस सिलसिले में डाइटीशियन नेहा सागर ने जानकारी देते हुए बताया, ‘‘वजन को जल्दी से जल्दी कम करने के लिए एकदम हार्ड और हैवी ऐक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए. खाली पेट वर्कआउट न करें. अपनी डाइट का खास खयाल रखें. जंक फूड खाने से बचें. पौष्टिक आहार ही लें.
‘‘शरीर में प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए बाजार के प्रोडक्ट्स को डाक्टर की सलाह पर ही लें. अच्छी कंपनी के प्रोटीन सप्लीमैंट पर ही भरोसा करें. स्टेरौइड आदि से बचें. शरीर में पानी की कमी न होने दें.’’ सच तो यह है कि आजकल की तनाव से भरी भागतीदौड़ती जिंदगी में अपनी सेहत का खयाल जरूर रखना चाहिए और जिम इस में मददगार साबित होता है पर साथ ही अपने शरीर की कमजोरियों को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. याद रखें कि अच्छी सेहत पाना कोई शौर्टटर्म क्रैश कोर्स नहीं है, बल्कि यह तो उम्रभर चलने वाली ऐसी पढ़ाई है जो अनुभव और मेहनत से और ज्यादा बेहतर होती है.