जीवन की तमाम असुरक्षाओं से खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग इंश्योरेंस का सहारा लेते हैं. ये इंश्योरेंस आपकी जीवन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी तमाम बातों का ख्याल रखता है. आप खुद को और अपने प्रियजनों को आर्थिक रूप से सुरक्षित रखने के लिए मासिक या सालाना तौर पर इसके प्रीमियम का भुगतान करते हैं. लेकिन कुछ असावधानियों के चलते आपके इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ भी सकता है. इसलिए आपको थोड़ी सावधानी भी बरतनी चाहिए. आप कुछ आसान और अहम बातों का ख्याल रखकर अपने इंश्योरेंस के प्रीमियम को बढ़ने से रोक सकते हैं.
सिगरेट और शराब का सेवन
सिगेरट और शराब का सेवन आपकी सेहत के लिए खतरनाक होता है. क्योंकि इसकी वजह से बीमारी या मृत्यु की संभावना तेज हो जाती है. आपको बता दें कि इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम तय करने से पहले आवेदक से हमेशा इन आदतों के बारे में पूछते हैं. यदि आप सिगरेट शराब नहीं पीते हैं तो इस स्थिति में कम प्रीमियम देना होता है. वहीं इसके विपरीत अगर आप धूम्रपान के आदि हैं तो प्रीमियम की राशि बढ़ भी सकती है. इसलिए ऐसी आदतों से बचें.
व्यवसाय किस तरह का हो
अगर आप जिस पेशे से जुड़े हैं वो जोखिम वाला है और उसमें आपकी जान जाने की संभावना ज्यादा रहती है तो यह भी आपके इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ा सकता है. ये पेशे सी डाइविंग, बॉम्ब डिफ्यूसिंग यूनिट, फायर फाइटिंग आदि हो सकते हैं. ऐसे लोगों से इंश्योरेंस कंपनियां आम आदमी की तुलना में ज्यादा प्रीमियम वसूल करती हैं.
आपकी सेहत
आपका स्वास्थ्य यानी आपकी सेहत भी इंश्योरेंस प्रीमियम तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है. अगर आपको हृदय संबंधी कोई बीमारी है या फिर आपको डायबिटीज इत्यादि है तो फिर आपसे इंश्योरेंस कंपनियां आम आदमी की तुलना में ज्यादा प्रीमियम वसूल सकती हैं. इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे लोगों को पॉलिसी देने से पहले उनका हैल्थ स्टेटस मांगती हैं.
पॉलिसी का समय और बीमा की रकम
पॉलिसी का पीरियड जितना ज्यादा होता है उसका प्रीमियम उतना ही कम होता है. इसलिए अगर आप कम उम्र में कोई बीमा पॉलिसी लेते हैं तो इसके लिए दिया जाने वाला प्रीमियम भी कम होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इंश्योरेंस कवरेज ज्यादा समय के लिए होती है.
ज्यादा सेहतमंद तो ज्यादा प्रीमियम
अगर आप थोड़ा ज्यादा सेहतमंद हैं, यानी आपका वजन आपकी लंबाई और उम्र के अनुपात में ज्यादा है तो बीमा का प्रीमियम ज्यादा होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि मोटापे की बीमारी से परेशान लोगों में हृदय रोग, डायबिटीज, ब्लड प्रैशर आदि की संभावनाएं आम लोगों की तुलना में थोड़ा ज्यादा होती है.
कैसे करें प्रीमियम भुगतान
आप इंश्योरेंस के प्रीमियम का भुगतान किस तरह से करते हैं यह भी आपके प्रीमियम को तय कर सकता है. प्रीमियम का भुगतान सालाना, साल में दो बार, एक बार में पूरी पेमेंट, तिमाही या फिर मासिक आधार पर किया जाता है. अगर बीमा की कुल राशि की गणना की जाए तो सालाना प्रीमियम बाकी अन्य विकल्पों की तुलना में कम होता है.
राइडर्स के साथ बीमा पॉलिसी
अपनी मौजूदा पॉलिसी पर ज्यादा फायदे पाने के लिए लोग जरूरत के हिसाब से राइडर्स का चयन करते हैं. ज्यादा राइडर्स के साथ ली गई पॉलिसी का प्रीमियम भी साधारण पॉलिसी से ज्यादा होता है. ऐसे में समझदारी इसी में है कि पॉलिसी के साथ केवल अपनी जरूरत के हिसाब से ही राइडर का चुनाव करें.
पॉलिसी ऑनलाइन या ऑफलाइन
ऑनलाइन पॉलीसी ऑफलाइन पॉलिसी की तुलना में सस्ती होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि ऑनलाइन खरीदने पर तमाम खर्चे बच जाते हैं. जैसे कि एजेंट का कमिशन, डिस्ट्रीब्युशन चैनल्स, एडमिनिस्ट्रेटिव कॉस्ट इत्यादि. साथ ही ऑनलाइन पॉलिसी खरीदते समय आप पॉलिसी को अपने हिसाब से कस्टामाइज भी कर सकते हैं.
महिलाओं के लिए कम प्रीमियम
इंश्योरेंस कंपनियां महिलाओं को खास सुविधाएं देती हैं. यानी आपकी पॉलिसी का प्रीमियम आपके महिला या फिर पुरूष होने पर भी निर्भर करता है. ऐसा माना जाता है कि पुरूषों की तुलना में महिलाओं की उम्र ज्यादा होती है. ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियां महिलाओं के लिए कम प्रीमियम चार्ज तय करती हैं.
आनुवांशिक कारक
आनुवांशिक कारक भी आपकी पॉलिसी के प्रीमियम को प्रभावित करते हैं. सामान्य तौर पर बीमा कंपनी आवेदक से पॉलिसी करवाते वक्त परिवार में पहले से चली आ रही आनुवांशिक बीमारियों के बारे में भी पूछताछ करती है. ऐसा होने की सूरत में कंपनियां आपसे ज्यादा प्रीमियम राशि चार्ज कर सकती है.