‘प्यार’ एक ऐसा अहसास है जिसे हर कोई जीना चाहता है. जब हम किसी से प्यार करते हैं तो उसमें केवल खूबियां ही नजर आती हैं, चाहे वह हमारे साथ धोखा ही क्यों न कर रहा हो. लेकिन हर प्यार के रिश्ते में ऐसा नहीं होता. तो इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं सरिता की 5 Best Romantic Stories
1. फैसला : क्या आदित्य की हो पाई अवंतिका
‘‘4 साल… और इन 4 सालों में कितना कुछ बदल गया है न,’’ अवंतिका बोली. ‘‘नहीं, बिलकुल नहीं… तुम पहले भी 2 चम्मच चीनी ही कौफी में लिया करती थी और आज भी,’’ आदित्य ने मुसकराते हुए कहा.
‘‘अच्छा, और तुम कल भी मुझे और मेरी कौफी को इसी तरह देखते थे और आज भी,’’ अवंतिका ने आदित्य की ओर देखते हुए कहा. आदित्य एकटक दम साधे अवंतिका को देखे जा रहा था. दोनों आज पूरे 4 साल बाद एकदूसरे से मिल रहे थे. आदित्य का दिल आज भी अवंतिका के लिए उतना ही धड़कता था, जितना 4 साल पहले.
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2. तमाचा: सानिया ने किस तरह लिया अपने पति से बदला
सानिया के अब्बा एक मामूली से फोटोग्राफर थे, जबकि उस के होने वाले ससुर एक बड़े बिजनेसमैन थे. सानिया को उस की सास ने एक शादी में देखा था और तभी उसे पसंद कर लिया था. फिर जल्दी ही उस का रिश्ता भी तय हो गया. आज सानिया की शादी थी. लाल जोड़े में उस का हुस्न और निखर आया था. सभी सहेलियां उसे घेर कर बैठी थीं और हंसीमजाक कर रही थीं.
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3. अनकही पीड़: पुलिस को क्या सच्चाई पता चली?
कोरोना के चलते पूरे भारत में लाॅक डाउन हो गया. जो रेल जहां खडी थी वहीं खड़ी रह गई. हर कोई सोच रहा था कि रेल देरी से चल रही है इसलिए खडी है, पर यह नहीं पता था कि रेल तो लाॅक डाउन की वजह से खड़ी है.
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4. टीनऐजर्स लव: प्यार और वासना के बीच कैसे उलझ गई अस्मिता
आसमानी ड्रैस में बड़ी सुंदर लग रही हो, अस्मिता. बस, एक काम करो जुल्फों को थोड़ा ढीला कर लो.’’ अस्मिता कोचिंग क्लास की अंतिम बैंच पर खाली बैठी नोट बुक में कुछ लिख रही थी कि समर ने यह कह कर उन की तंद्रा तोड़ी. यह कह कर वह जल्दी ही अपनी बैंच पर जा कर बैठ गया और पीछे मुड़ कर मुसकराने लगा. किशोर हृदय में प्रेम का पुष्पपल्लवित होने लगा और दिल बगिया की कलियां महकने लगीं. भीतर से प्रणयसोता बहता चलता गया. उस ने आंखों में वह सबकुछ कह दिया था जो अब तक पढ़ी किताबें ही कह पाईं.
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5. रुक गई प्राची: क्या प्राची को प्यार मिल पाया
चंद्रभागाके तट पर खड़ी प्राची आंखों में असीम आनंद लिए विशाल समुद्र में नदियों का मिलन देख रही थी. तभी बालुई तट पर खड़ी प्राची के पैर सागर ने पखार लिए. असीम आनंद की अनुभूति गजब का आकर्षण होता है समुद्र का. प्राची का मन किया कि वह समुद्र का किनारा छोड़ कर उतरती जाए, समाती जाए, ठीक समुद्र के बीचोंबीच जहां नीला सागर शांत स्थिर है. शायद उस के अपने मन की तरह. फिर मन ही मन सोचने लगी कि क्यों आई सब छोड़ कर, सब को छोड़ कर या फिर भाग कर… सागर देखने की उत्कंठा तो कब से थी. वह पुरी पहुंचने से पहले कुछ देर के लिए कोर्णाक गई थी, पर उस का मन तो सागर में बसा था. उसे पुरी पहुंचने की जल्दी थी.