महेंद्र सिंह धोनी के साथ अपना जन्मदिन सेलिब्रेट करने वाली आईएएस पूजा सिंघल ने 22 साल की अफसरी में काले धन का जो खजाना जुटाया, उस में मजदूरों का पैसा भी शामिल था. साल 2000 बैच की आईएएस पूजा सिंघल के सितारे गर्दिश में तब आ गए, जब उन की मनरेगा घोटाले से जुड़े मनी लौंड्रिंग मामले में 11 मई, 2022 को गिरफ्तारी हो गई. उन के अपने घर से ले कर ससुराल, पति के अस्पताल और उन से जुड़े लोगों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) टीम ने एक साथ छापेमारी की.
ईडी द्वारा 5 राज्यों के 25 ठिकानों पर हुई छापेमारी में कुल 19.31 करोड़ रुपए बरामद हुए और वह करीब 20 शेल कंपनियों को ले कर सुर्खियों में आ गईं. साथ ही 150 करोड़ की अवैध संपत्ति के दस्तावेज जब्त कर लिए गए.
प्रवर्तन निदेशालय के रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के बाहर 11 मई, 2022 को खान व उद्योग विभाग की सचिव पूजा सिंघल की गिरफ्तारी को ले कर दिन भर गहमागहमी बनी रही. छापेमारी के बाद पूजा सिंघल को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था. दिन के करीब सवा 10 बजे वह ईडी के दफ्तर पहुंची थीं. वहां उन से पूछताछ की गई.
इस के बाद दोपहर में उन के पति अभिषेक झा को बुलाया गया, जिस के बाद दोनों से पूछताछ हुई. शाम करीब सवा 5 बजे सूचना आई कि पूजा सिंघल व उन के पति को गिरफ्तार कर लिया गया है.
ईडी औफिस में ही उन का मैडिकल कराया गया. इस के बाद उन्हें प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कोर्ट ले जाने की तैयारी की जाने लगी. शाम करीब साढ़े 7 बजे उन्हें क्षेत्रीय कार्यालय से कोर्ट ले जाया गया.
पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद सिविल कोर्ट व जज कालोनी में घंटों अफरातफरी मची रही. गिरफ्तारी की सूचना पर ईडी के विशेष लोक अभियोजक बी.एम.पी. सिंह व लोक अभियोजक अतीश कुमार पहले सिविल कोर्ट पहुंचे, इस के बाद मीडियाकर्मी और शाम करीब साढ़े 6 बजे ईडी के अधिकारी भी सिविल कोर्ट पहुंचे.
कागजी काररवाई के बाद सभी विशेष न्यायाधीश पी.के. शर्मा के आवासीय कार्यालय गए. वहां सुनवाई हुई और पूजा सिंघल को जेल भेज दिया गया. ईडी औफिस में प्रवेश करने से ले कर बाहर निकलने तक पूजा सिंघल गुमसुम और थकीथकी लग रही थीं. उन के साथ एक महिला भी थी.
गिरफ्तार पूजा सिंघल ईडी की स्पैशल कोर्ट में पेशी के बाद रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल, होटवार में पहुंचते ही चक्कर खा कर बेहोश हो गईं. जेलकर्मियों ने उन के चेहरे पर ठंडा पानी छिड़का और दवा खिलाई, तब जा कर वह होश में आईं.
जेल सूत्रों के अनुसार, वहां उन्हें रोटी, सब्जी, दाल व सलाद दी गई. थोड़ी सी रोटी खाने के बाद उन्होंने खाने से इंकार कर दिया. उस वक्त वह काफी उदास और खामोश थीं. उन्हें महिला सेल में रखा गया.
ऐशोआराम की जिंदगी गुजार रही पूजा को सामान्य कैदी की तरह फर्श पर सोने को मजबूर होना पड़ा. कमरे में मच्छर काटने और वार्ड में पसरी गंदगी से बदबू के चलते पूरी रात वह सो नहीं पाईं. सुबह होते ही जेलकर्मियों पर अपना रौब दिखाने लगीं और जेल का खाना खाने से मना कर दिया.
कुछ समय में ही उन्हें एहसास हो गया कि वह रिमांड पर ली गई एक कैदी है, न कि कोई हाकिम. उन्हें ईडी के सवालों के जवाब भी देने थे. फिर भी सामान्य दिनचर्या को भूलना सहज नहीं हो पा रहा था.
ईडी के जांच अधिकारियों के लिए उन से सख्त पूछताछ करना आसान नहीं था. उन्होंने डाक्टर की मदद ली. डाक्टर ने उन के बेहोश हो जाने का कारण मानसिक तनाव में नींद का नहीं आना बताया. इसी के साथ उन्हें योगा करने की सलाह दी गई.
यूं शुरू हुई छापेमारी
केंद्रीय वित्त विभाग की एक महत्त्वपूर्ण शाखा ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी दिल्ली से पूरे दलबल के साथ 4 और 5 मई, 2022 को रांची पहुंच चुके थे. उन्होंने एयरपोर्ट रोड स्थित ईडी के औफिस (पूर्व में पूर्व मंत्री एनोस एक्का का आवास) पर औपरेशन के ब्लूप्रिंट को अंतिम रूप दिया था.
देर रात तक सभी औफिस में ही रुके रहे. उन्हें करीब 10 साल पुराने खूंटी मनरेगा घोटाले से संबंधित एक जांच और छापेमारी करनी थी. हालांकि ईडी झारखंड में पहले से ही 2 दरजन से अधिक मामलों में जांच कर रहा है. फिर भी उस रोज जो काररवाई होनी थी, वह बेहद खास थी.
वीवीआईपी नौकरशाह से जुड़ा मामला होने के कारण ईडी ने पहले से ही औपरेशन का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया था. बाधाओं की आशंका को देखते हुए स्थानीय पुलिस के अलावा सीआईएसएफ और सीआरपीएफ को भी शामिल कर लिया गया था. और तो और, इस काररवाई की किसी को भनक तक नहीं लगने दी गई थी.
दरअसल, जांच झारखंड कैडर की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के खिलाफ थी और छापेमारी उन के हनुमान मंदिर स्थित ‘बूटीमो’ के आवास से ले कर पति समेत दूसरे परिचितों व रिश्तेदारों के कई ठिकानों पर की जानी थी. उन में पति के मालिकाना हक वाले रांची का एक बहुचर्चित सुपर स्पैशलिटी अस्पताल ‘पल्स’ भी था.
25 ठिकानों पर हुई छापेमारी
सुबह ठीक 7 बजे टीम के लोग एक साथ स्कूल बस और कारों से उन के कुल 25 ठिकानों पर पहुंच गए थे. वे ठिकाने थे भूविज्ञान विभाग की सचिव पूजा सिंघल का आवास, पल्स हौस्पिटल, पंचवटी रेजीडेंसी, कांके रोड, चांदनी चौक, हरिओम टावर आदि.
इसी दिन धनबाद के धनसार और सरायढेला में भी ईडी की छापेमारी शुरू हुई, जो अगले रोज 5 मई की शाम तक चली. वहां जांच करने वाले पश्चिम बंगाल के नंबर की गाड़ी से पहुंचे थे.
धनबाद के देवप्रभा, धनसार इंजीनियरिंग (डेको), हिलटौप हाइराइज, जीटीएस ट्रांसपोर्ट, संजय उद्योग, नवीन तुलस्यान समेत कुल 9 कंपनियों के कार्यालयों पर छापेमारी की गई. एकएक कार्यालयों में 3-4 गाडि़यों से टीम पहुंची, जिस में स्थानीय पुलिस भी शामिल थी.
अचानक हुई ईडी की इस काररवाई से पूरे प्रदेश ही नहीं, दिल्ली तक में खलबली मच गई. राजनीतिक गलियारों, नौकरशाहों, बड़ेबड़े कारोबारियों, खनन विभाग से जुड़ी कंपनियों से ले कर मीडिया जगत में सनसनी फैल गई. कई तरह की चर्चाएं होने लगीं और अटकलों का बाजार गर्म हो गया. इन छापेमारी में सब से संवेदनशील जगह पल्स अस्पताल था, जहां ईडी की टीम शांति से पहुंची थी.
अस्पताल के भीतर केवल स्टाफ को ही एंट्री दी जा रही थी. अधिकारियों ने छापेमारी के लिए रांची के बरियातू स्थित पल्स अस्पताल में काफी सावधानी बरती. कई अधिकारी पैदल ही अस्पताल में पहुंचे. अस्पताल को पूरी तरह कब्जे में लेने के बाद अस्पताल से बाहर जाने वाले हर शख्स का परिचय पत्र और सामानों की चैकिंग की गई.
जांच करने वाले एक अधिकारी ने 5 मई को इस की औपचारिक जानकारी न्यूज एजेंसी पीटीआई को दी थी. उन्होंने बताया कि ईडी ने खनन मामले में झारखंड और अन्य राज्यों में कई ठिकानों पर छापेमारी की है. मामला गंभीर है.
यह छापेमारी झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में 18 परिसरों में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की गई है. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी एवं झारखंड खनन सचिव पूजा सिंघल के परिसर की भी तलाशी की गई है.
जांच अधिकारी ने ही बताया कि यह मामला झारखंड के कनिष्ठ अभियंता राम बिनोद प्रसाद सिन्हा के खिलाफ 2020 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पीएमएलए के तहत दर्ज है. कुछ साल पहले झारखंड सतर्कता ब्यूरो द्वारा सिन्हा के खिलाफ 16 प्राथमिकी और आरोपपत्र दायर किए गए थे.
सिन्हा पर ‘अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने, जालसाजी और धन की हेराफेरी के जरिए 18 करोड़ रुपए के सरकारी धन का गबन करने’ का आरोप लगाया गया था. उसी संदर्भ में ईडी ने जांच शुरू की, जो 6 मई की शाम तक चलती रही.
झारखंड के रांची, धनबाद व खूंटी, बिहार के मुजफ्फरपुर, राजस्थान के जयपुर, मुंबई, हरियाणा के फरीदाबाद व गुरुग्राम, पश्चिम बंगाल के कोलकाता और दिल्ली एनसीआर के डेढ़ दरजन से अधिक जगहों पर एक साथ छापेमारी की गई.
बिहार के मुजफ्फरपुर में पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा का पैतृक मकान है. वहां छापेमारी के क्रम में उन के पिता कामेश्वर झा से भी पूछताछ की गई. पूजा सिंघल के चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) सुमण कुमार के रांची स्थित ठिकाने से भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ, जिस की गिनती मशीन द्वारा की गई.
छापेमारी सीए के अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी माने जाने वाले व्यवसाई अमित अग्रवाल के ठिकानों पर भी हुई, जहां से बेनामी संपत्ति के सुराग मिले.
रांची में छापेमारी की मुख्य जगहों में कांके रोड के चांदनी चौक स्थित पंचवटी रेजिडेंसी के ब्लौक नंबर 9, लालपुर के हरिओम टावर स्थित नई बिल्डिंग और बरियातू का पल्स अस्पताल चर्चा का केंद्र बना.
पूजा देश में सब से कम उम्र की बनी थी आईएएस अधिकारी
देहरादून की मूल निवासी आईएएस पूजा सिंघल आज भले ही मुश्किल के दिनों से गुजर रही हों, लेकिन साल 2000 में उन की किस्मत बुलंदी पर थी. तब उन की उम्र थी मात्र 21 साल कुछ महीने. उन्होंने 1999-2000 की सिविल सेवा के लिए यूपीएससी द्वारा ली जाने वाली सभी तीनों परीक्षाएं पास कर सभी को चौंका दिया था. परीक्षा में उन्होंने 26वां रैंक हासिल किया था
वह देहरादून के गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्नातक हैं. उन्होंने अपना ग्रैजुएशन बिजनैस एडमिनिस्ट्रेशन में किया था. वह परीक्षा भी उन्होंने प्रथम श्रेणी से पास की थी. इस के बाद वह आईएएस की परीक्षा में शामिल हुई थीं और पहले ही प्रयास में पास कर गईं.
इस तरह वह देश की सब से कम उम्र में आईएएस बनने वाली युवा बन गई थीं. उन का नाम लिम्का बुक औफ रिकौर्ड्स में दर्ज कर लिया गया. उन्हें झारखंड का काडर मिला था.
उसी साल नए राज्य के तौर पर झारखंड अस्तित्व में आया था. पूजा के लिए झारखंड में सब कुछ नया था. माहौल नया. मिजाज बिलकुल अलग. नया शासन और कामकाज का तरीका गृह प्रदेश से एकदम भिन्न.
वह हरियाली और ऊंचेऊंचे पहाड़ों और लंबेलंबे पेड़ों और झरनों की खुशनुमा वादियों को छोड़ कर सख्त पथरीली पहाडि़यों, घने जंगलों के आदिवासी बहुल इलाके में आ गई थीं.
अकसर आकर्षक प्रिंट वाली गहरे रंगों वाली साड़ी पहनने वाली पूजा सिंघल साल 2006 में उपायुक्त (डीसी) बनाई गई थीं. इस पद पर उन की पहली पोस्टिंग पाकुड़ में हुई. इस दौरान मनरेगा के तहत बेहतर कार्य प्रबंधन और रोजगार सृजन के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला.
वह झारखंड के उन गिनेचुने आईएएस अधिकारियों में शामिल हो गईं, जिन्हें ‘पीएम अवार्ड फार एक्सीलेंस इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन’ मिल चुका है.
पाकुड़ के बाद उन्होंने चतरा, लोहरदगा, खूंटी और पलामू जिलों की उपायुक्त (डीसी) रहते हुए कई महत्त्वपूर्ण पदों को भी संभाला. इस दौरान झारखंड में सभी मुख्यमंत्रियों से उन के अच्छे संबंध बने रहे.
झारखंड में 8 साल पहले तक अस्थिर सरकारें रहीं और कई बार राष्ट्रपति शासन भी लगा. इस का अप्रत्यक्ष तौर पर भी उन्हें फायदा मिलता रहा.
उन्हें प्रोफेशनल संबंध बनाने में मदद मिली और राज्य के कई राजनेताओं, उन की पत्नियों, चिकित्सकों और ब्यूरोक्रेसी के लोगों से बेहतर निजी ताल्लुकात बना लिए. कहने को तो वह औफिस में कड़क अधिकारी थीं, लेकिन सामाजिक कार्यक्रमों में वह बेहद सहज और मुखर महिला के तौर पर जानी जाती थीं.
वैसे तो पूजा सिंघल के निजी परिवार के बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते हैं, लेकिन उन से उम्र में छोटे अभिषेक झा उन के दूसरे पति हैं. इस से पहले उन की शादी झारखंड कैडर के ही आईएएस राहुल पुरवार से हो चुकी है. बताते हैं कि उन से 2 बच्चे भी हैं.
22 साल के करिअर की कलंक कथा
अभिषेक झा रांची के पल्स सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल के प्रबंध निदेशक हैं, जबकि उन का पैतृक निवास बिहार के मुजफ्फरपुर में है.
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल का करिअर उड़ते गुब्बारे की तरह जितनी तेजी से आसमान में पहुंचा और चमक बिखेरी, उतनी ही तेजी से फट कर जमीन पर भी आ गिरा. देश के सब से कम उम्र की आईएएस पूजा ने 22 सालों में झारखंड के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया और इस रसूख का जम कर अपने निजी फायदे के लिए इस्तेमाल किया.
पूजा सिंघल की 2 दशक से अधिक समय के करिअर में करीब 19 स्थानों पर नियुक्ति हुई. शुरुआती कुछ दिनों की छोड़ दें तो वह जहां भी रहीं, वहां विवादों में फंसती रहीं. पहली तैनाती हजारीबाग में सदर अनुमंडल अधिकारी के रूप में हुई थी. यहां अपने काम के कारण वह काफी चर्चित रहीं.
शिक्षा परियोजना में पदस्थापन के दौरान भी उन का कार्यकाल अच्छा रहा. उन्होंने बच्चों को दी जाने वाली किताबों के गिरोह का भंडाफोड़ भी किया. उन के नेतृत्व में ही पहली बार झारखंड में विकलांगों का डाटा संग्रह हुआ था. रिम्स में निदेशक (प्रशासन) के तौर पर भी उन का कामकाज काफी सराहनीय रहा.
लेकिन बाद में विवादों से नाता तब से जुड़ना शुरू हो गया जब वह कृषि विभाग में गईं. भाजपा नेतृत्व वाली सरकार में उन का सचिव रैंक में प्रमोशन हुआ और वह कृषि सचिव बनाई गईं. साथ ही 2004 में नए बने मनरेगा, जो तब नरेगा था, के लिए डिप्टी कलेक्टर के पद पर खूंटी जिले में नियुक्त की गईं.
उन की कलंक कथा खूंटी जिले से शुरू हुई, जहां वह 16 फरवरी, 2009 से 14 जुलाई, 2010 तक वहां तैनात थीं. उन पर मनरेगा फंड से 18 करोड़ की हेराफेरी का आरोप लगा था. ईडी खूंटी समेत चतरा जिलों में मनरेगा फंड की अनियमितताओं में सिंघल के संलिप्त होने की जांच कर रही है.
खनन माफियाओं को पहुंचाया फायदा
इस के साथ ही ईडी पूजा सिंघल के खिलाफ एक अन्य शिकायत के आधार पर भी जांच कर रही है, जिस में आरोप लगाया गया है कि वह अपनी मरजी से रेत खनन के लिए ठेके अपने पसंद के ठेकेदारों को ही देती रही हैं. इस बाबत झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने फरवरी 2022 में ईडी के पास शिकायत दर्ज कराई थी.
पूजा सिंघल के उन जिलों में उपायुक्त के रूप में पदस्थापित होते ही उन का विवादों से नाता जुड़ गया था. केंद्र सरकार की मनरेगा (महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत 3 महीने की रोजगार गारंटी का प्रावधान है. इस के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया करवाने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी पर होती है.
वह रोजगार कोई नियमित वेतन की नौकरी का नहीं, बल्कि दिहाड़ी मजदूरी से संबंधित है. इस में इलाके में सड़क निर्माण, बांध बनाने, तालाब खुदवाने, गांव की गलियों को पक्का करने, नालियां बनवाने, सार्वजनिक निर्माण आदि से संबंधित कार्य हो सकते हैं.
इस योजना की जब शुरुआत हुई थी, तब मजदूरों के चयन से ले कर उन के भुगतान का काम पूरी तरह से मैनुअल होता था. उन दिनों डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (डीबीटी) की शुरुआत नहीं हुई थी. ऐसे में फरजी रजिस्टर बनाना कोई मुश्किल काम नहीं था.
बिचौलिए के तौर पर पंचायत से जुड़े लोगों की मनमरजी चलती थी और वे सभी तरह के अधिकारियों से मिल कर निर्माण कार्य की परियोजना बनाने से ले कर उस के लिए होने वाले भुगतान में भी दखलअंदाजी रखते थे.
इस तरह से मनरेगा के तहत निर्माण कार्य की परियोजना के पूरे फंड की बंदरबांट बड़ी आसानी से हो जाती थी और कमीशन का एक हिस्सा जिला उपायुक्त तक भी जाता था.
झारखंड में विकास के नाम पर मनरेगा के तहत आने वाली योजनाएं दुधारू गाय बन चुकी थीं. खासकर पेयजल के लिए कुएं खुदवाने, गहराई तक हैंडपंप लगवाने और सिंचाई के तालाब खुदवाने एवं उस की सफाई करवाने का काम जरूरी समझा जाता था. आदिवासियों की संख्या अधिक होने के कारण फरजी मजदूरों की सूची आसानी से बना ली जाती थी.
खूंटी में जिला उपायुक्त के पद पर रहते हुए पूजा सिंघल पर मनरेगा स्कीम में 18 करोड़ रुपए की गड़बड़ी करने का मामला सामने आया. इस मामले में उन पर इंजीनियरों से सांठगांठ करने का आरोप भी लगा. लेकिन विभागीय जांच के बाद पूजा सिंघल को क्लीन चिट मिल गई थी.
इस के बाद वहां से उन का स्थानांतरण चतरा किया गया. चतरा में उन पर 6 करोड़ रुपए एक एनजीओ को नियम विरुद्ध दिए जाने का आरोप लगा. इस मामले को विधायक विनोद सिंह ने सदन में उठाया था.
विधानसभा की कमेटी ने जांच भी की थी. चतरा में ही तैनाती के दौरान इन पर आतंकी हमला भी हुआ था. इस कारण उन्हें अस्पताल में भरती कराना पड़ा था.
पूजा सिंघल पर कृषि विभाग में विशेष सचिव के रूप में तैनाती के दौरान भी उन पर अनियमितता के कई आरोप लगे. इस कारण उन्हें समयबद्ध प्रोन्नति नहीं मिल पाई. बाद में उपायुक्त रहने के दौरान उन पर लगे आरोपों की विभागीय जांच कराई गई. उद्योग विभाग के सचिव ए.पी. सिंह को विभागीय जांच के लिए संचालन पदाधिकारी बनाया गया था. श्री सिंह ने जांच के बाद क्लीन चिट दे दी थी.
फिर भी बनी रही पहुंच
क्लीन चिट मिलने के बाद उन्हें प्रोन्नति दे कर कृषि विभाग का सचिव बनाया गया. करीब 3 साल तक वह कृषि विभाग में रहीं. रघुबर दास की सरकार गिरने के बाद उन के स्थान पर अबु बकर सिद्दीकी को सचिव बनाया गया. वहीं, पूजा सिंघल की तैनाती खेलकूद, कला संस्कृति एवं पर्यटन विभाग में कर दी गई. वहां से फिर इन को उद्योग और खान सचिव बनाया गया. पूजा सिंघल पर भले ही मजदूरों के पैसे की हेराफेरी का आरोप लगा हो, लेकिन उन पर सरकार भी कम मेहरबान नहीं रही. उन्होंने ईडी को घोटाले के संबंध में जो जवाब दिए और उस पर जो काररवाई हुई, उस में भी कई विरोधाभास दिखे.
आरोपों के बावजूद वह न केवल क्लीन चिट पाती रहीं, बल्कि उच्च पद पर प्रमोशन भी होता रहा और अपने पति के बिजनैस को भी फायदा पहुंचाती रहीं, जिस में उन का भाई भी शामिल था.
साल 2012 में मनरेगा घोटाले से संबंधित झारखंड विधानसभा में पूछे गए सवालों के जवाब में सरकार ने इसे स्वीकार करते हुए दोषी अधिकारियों पर काररवाई का भरोसा दिलाया था. फिर भी 27 फरवरी, 2017 को कार्मिक विभाग ने संकल्प जारी कर पूजा सिंघल को घोटाले के आरोपों से क्लीनचिट दे दी थी. तब उन से जुड़े मामलों की जांच के लिए राज्य सरकार के तत्कालीन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट का हवाला दिया गया था. जबकि खूंटी की तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल के खिलाफ गंभीर आरोपों की लंबी फेहरिस्त थी.
विधानसभा में भी उठे थे सवाल
इस बाबत 16 मार्च, 2011 को विधायक विनोद कुमार सिंह की सूचना पर सरकार ने जो जवाब दिया, उस में पूजा सिंघल के खिलाफ काररवाई की बात नहीं कही गई. सिर्फ आश्वासन दिया गया कि पूजा सिंघल के खिलाफ मनरेगा के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं में बरती गई वित्तीय अनियमितताओं के संदर्भ में उन के विरुद्ध केवल सूचना उपलब्ध करवाने की जानकारी दी गई.
जबकि ईडी को चतरा में पूजा सिंघल की उपायुक्त के तौर पर तैनाती के दौरान भारी नकदी के लेनदेन के पुख्ता सबूत मिले. इस की पुष्टि भी विधानसभा में सरकार से पूछे गए सवालों के जवाब से हुई.
13 मार्च, 2012 को विधानसभा में ग्रामीण विकास विभाग ने स्वीकार किया कि 15 फरवरी, 2008 को पूजा सिंघल ने एनजीओ वेलफेयर प्वायंट को 4 करोड़ रुपए और एक अन्य एनजीओ प्रेरणा निकेतन को 14 मई, 2008 की तरीख में 2 करोड़ रुपए अग्रिम का भुगतान किया. तब दोनों एनजीओ के खाते के संचालन पर रोक लगाई गई थी.
इसी तरह से 4 सितंबर, 2012 को भी तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री सुदेश कुमार महतो ने घोटाले से संबंधित कई सवाल पूछे थे, जिन का संबंध पूजा सिंघल से था.
इन के जवाब देते हुए सरकार ने स्वीकारा था कि प्रेरणा निकेतन और वेलफेयर प्वायंट को आवंटन एवं कार्य में अनियमितता की जांच आयुक्त, उत्तरी छोटा नागपुर द्वारा मार्च, 2012 में की गई थी. जांच रिपोर्ट में कार्य आवंटन एवं कार्यान्वयन में अनियमितता की पुष्टि हुई है.
खूंटी में पोस्टिंग के दौरान पूजा सिंघल के खिलाफ आरोप लगे थे. वहीं उन्होंने बगैर किसी हिसाबकिताब के विभिन्न तारीखों में कुल 15.72 करोड़ रुपए में से 10.05 करोड़ का अग्रिम भुगतान कर दिया था. एक दूसरा आरोप निलंबित जूनियर इंजीनियर विनोद प्रसाद सिन्हा से काम लेने का भी लगा. यह मनरेगा के दिशानिर्देश की अवहेलना और पद का दुरुपयोग था.
इस के साथ ही फरजी कार्यों की स्वीकृति देने और एक ही कार्य विभाग को देने के संदर्भ में गबन किए जाने का आरोप भी लगा. इन मामलों में कुल 16 प्राथमिकी दर्ज की गईं. पति के पल्स अस्पताल पर भी जांच की आंच झारखंड में अलगअलग राजनीतिक दलों की सरकारें आतीजाती रहीं और पूजा सिंघल का प्रभाव जस का तस बना रहा. यह उन का आभामंडल ही था, जिस कारण उन से संबंधित सवाल जब विधानसभा के पटल पर आते थे तो किसी न किसी बहाने से हंगामा खड़ा हो जाता था और सवाल रद्दी की टोकरी में चले जाते थे.
इस से पूरक प्रश्न उठाना ही मुश्किल था. कुल मिला कर बताते हैं कि पूजा सिंघल भी भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को बचाने वाली बड़ी जमात में शामिल थीं. कई बार उन के खिलाफ जांच कमेटी बनी. उन्होंने जमीनी स्तर पर केवल जांच की, बल्कि काररवाई की अनुशंसा तक कर दी. फिर भी मामला ठंडे बस्ते में ही चला गया.
पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा के पल्स अस्पताल के साथ भी जमीन खरीद मामले का विवाद है. इस में रुंगटा बंधु शामिल बताए गए हैं. इस का खुलासा भी ईडी द्वारा मनी लांड्रिंग के मामले में पूजा सिंघल, अभिषेक झा, सीए सुमन कुमार, आलोक सरावगी और बोकारो के बिल्डर संजय कुमार आदि से पूछताछ के बाद हुआ.
पूछताछ में जमीन की खरीदफरोख्त की लंबी प्रक्रिया में रुंगटा बंधुओं के भी शामिल होने की जानकारी मिली. इस दौरान पल्स अस्पताल का नक्शा निगम से पास नहीं होने और संबंधित जमीन के ‘भुइंहरी’ होने की जानकारी मिली.
सीए ने पूछताछ में पल्स की जमीन खरीदने के लिए पूजा सिंघल के निर्देश पर पंचवटी बिल्डर्स को 3 करोड़ रुपए नकद देने की बात स्वीकारी थी. साथ ही उस के पास से बरामद रुपए में पूजा सिंघल का होने की बात भी स्वीकार की.
पंचवटी बिल्डर्स द्वारा पास कराए गए नक्शे पर ही फ्लैट बनाने के बदले पल्स अस्पताल बना दिया गया. अस्पताल की बिल्डिंग का नक्शा निगम के पास नहीं है.
दूसरी तरफ जानकारी मिली कि इस भुइंहरी जमीन को 1948 में सरेंडर दिखाया गया. इस के बाद 1972 में किसी हरख कुमार जैन के नाम पर इसे बंदोबस्त दिखाया गया है. बाद में यह जमीन किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर हस्तांतरित हुई. उस के नाम पर 2017 में एक रसीद भी काटी गई
बहरहाल, इस बार ईडी की छापेमारी में पूजा सिंघल द्वारा अंजाम दिए गए घोटाले को ले कर पुख्ता सबूत मिले हैं. इस से 2017 में उन्हें दी गई क्लीनचिट पर सवाल उठ रहे हैं.
जांच एजेंसियां इस सिलसिले में भी पूछताछ कर सकती हैं. इस की जद में वे तमाम अधिकारी आ सकते हैं, जिन्होंने पूजा सिंघल को क्लीनचिट दी थी. कथा लिखने तक प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की पूजा सिंघल और अन्य से पूछताछ जारी थी.