अगले महीने की 25 तारीख को देश को नया राष्ट्रपति मिलेगा. 29 जून को नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है. इसी बीच बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घोषणा करते हुए कहा कि NDA ने झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने द्रौपती मुर्मू को बधाई दी. साथ ही पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि वह देश की एक महान राष्ट्रपति साबित होंगी.

कौन है द्रौपदी मुर्मू?

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था. वह दिवंगत बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से आनेवाली आदिवासी नेता हैं. उन्होंने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं. झारखंड की नौंवी राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं. वह पहली ओडिया नेता हैं जिन्हें राज्यपाल बनाया गया. इससे पहले बीजेपी-बीजेडी गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक वह मंत्री भी रहीं.

नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित

द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार की बीजेपी विधायक रह चुकी हैं और वह नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं. ओडिशा विधान सभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया.

आदिवासियों और महिलाओं को साधना मकसद!

गौरतलब है कि लोकसभा की 543 सीटों में से 47 सीट ST श्रेणी के लिए आरक्षित हैं. 60 से अधिक सीटों पर आदिवासी समुदाय का प्रभाव है. मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में आदिवासी वोटर निर्णायक स्थिति में हैं. ऐसे में आदिवासी नाम पर भी चर्चा चल रही थी. ऐसे में द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बन जाने से बीजेपी को चुनाव में भी बहुत फायदा मिल सकता है. देश में अब तक आदिवासी समुदाय का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं बन पाया है. इससे पहले महिला, दलित, मुस्लिम और दक्षिण भारत से आने वाले लोग राष्ट्रपति बन चुके हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय इससे वंचित रहा है. ऐसे में यह मांग उठती रही है कि दलित समाज से भी किसी व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाया जाए.

महिलाएं बीजेपी के लिए कोर वोट बैंक बन चुकी हैं. इस वोट बैंक को साधने की भाजपा की कोशिश जारी है. बताया जा रहा है कि महिलाओं के नाम पर सबसे तेजी से विचार किया जा रहा था. इसमें UP की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी शामिल थीं. आनंदी बेन के अलावा पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके भी इस रेस में शामिल बताई जा रही थीं.

यशवंत होंगे विपक्ष के राष्ट्रपति प्रत्याशी

विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय किया है. इसके बाद सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. NCP प्रमुख शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बाद अब महात्मा गांधी के पौत्र और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने भी राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनने के विपक्ष के ऑफर को ठुकरा दिया है.

25 जुलाई को ही खत्म होता है राष्ट्रपति का कार्यकाल

नीलम संजीव रेड्‌डी ने देश के 9वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी. तब से हर बार 25 जुलाई को ही नए राष्ट्रपति कार्यभार संभालते आए हैं. रेड्‌डी के बाद ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, शंकरदयाल शर्मा, केआर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को शपथ ले चुके हैं.

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