जिस तरह बच्चों की देखभाल के लिए पेरैंट्स की भूमिका अहम होती है उसी तरह बुढ़ापे में संतानों की भूमिका अहम हो जाती है, पर क्या हो अगर संतान इकलौती लड़की हो और उस की शादी हो गई हो?
क्या अकेली संतान के लिए पेरैंट्स बो?ा बनते हैं? क्या संतान अपनी जिंदगी को अच्छी तरह से जी नहीं सकती? क्या लड़की के लिए यह कुछ अधिक समस्या ले कर आती है? ऐसे न जाने कितने ही प्रश्नों के उत्तर शायद किसी के पास नहीं हैं, क्योंकि लड़कियां बड़ी होने पर अगर विवाह करती हैं तो उन्हें कई भूमिकाएं परिवार में निभानी पड़ती हैं, मसलन बेटी, पत्नी, व्यवस्थापक, मां, अनुशासक, हैल्थ औफिसर, रिक्रिएटर आदि न जाने कितनी ही अवस्थाओं से उन्हें गुजरना पड़ता है.
इस के अलावा एक महिला पर समाज के विकास का दायित्व भी होता है. इस में अकेला बेटा कुछ गलती करे तो उसे समाज और परिवार उस की परवरिश और रहनसहन को गलत बता कर पल्ला ?ाड़ लेते हैं लेकिन बेटी के लिए यह सोच अलग है. उस से किसी प्रकार की कमी हो तो समाज और परिवार सहन नहीं करते, उसे स्वार्थी कह दिया जाता है.
लेकिन इस से अलग जिंदगी गुजार रही है 45 वर्षीया शोमा बनर्जी, जो अपने मातापिता की अकेली संतान है और एक प्लेबैक सिंगर भी है. उस के पति विकास कुमार मित्रा फिल्म राइटर एंड डायरैक्टर हैं. पति का पूरा परिवार पहले छत्तीसगढ़ में रहता था, अभी सभी मुंबई में साथ रहते हैं.
सोचा नहीं शादी के बारे में
शोमा साल 1995 में अपने पेरैंट्स के साथ मुंबई संगीत में कुछ नाम कमाने आ गई. अकेली संतान होने की वजह से उस ने अपने बचपन को काफी मजे से गुजारा, कभी किसी बात की कमी उस ने अपने जीवन में नहीं देखी. बिना बताए ही सबकुछ उसे मिल जाता था.
जिम्मेदारी का एहसास तब हुआ जब उस के मातापिता की उम्र बढ़ी और शोमा की उम्र भी 30 साल हो चुकी थी. उसे लगने लगा कि उस का कोई रिलीवर नहीं है क्योंकि वह मातापिता की अकेली संतान है. उस की जिम्मेदारी बढ़ रही है क्योंकि कभी मां तो कभी पिता की देखभाल करनी पड़ती थी. ऐसे में जब शोमा ने देखा कि उस के आसपास की सहेलियों की शादियां हो रही थीं तो उस ने अपने मन को सम?ाया कि वह शादी के इस ?ां?ाट में नहीं पड़ सकती.
शोमा कहती है, ‘‘शुरू में मु?ो शादी करने की कोई इच्छा नहीं हुई क्योंकि मेरे पिता कहते थे कि अगर तुम संगीत में अच्छा कैरियर बनाना चाहती हो तो उस के लिए कोशिश करो और ऐसी इच्छा न होने पर शादी कर लो. इस के अलावा शुरू से मेरे घर के लोग जैंडर बायस्ड नहीं थे. किसी ने मेरी शादी को ले कर पेरैंट्स पर कभी दबाव नहीं डाला. मैं भी हमेशा पेरैंट्स से कहती थी कि जब तक आप हैं तब तक आप के साथ रहूंगी, बाद में मैं किसी संस्था में रह कर जरूरतमंदों की सेवा करूंगी.’’
शादी करने का बनाया मन
40 वर्ष की होने पर शोमा को लगने लगा कि उस ने अपने साथ कुछ गलती की है क्योंकि पेरैंट्स को इस उम्र में लोगों की बातें सुनने को मिल रही थीं. कोई कहता कि वे अपनी सुविधा के लिए बेटी की शादी नहीं करवा रहे हैं, उन के बाद बेटी का क्या होगा आदिआदि?
शोमा कहती है, ‘‘जब काफी लोग मेरे पेरैंट्स और मु?ो मेरी शादी को ले कर कहने लगे तो मैं ने इस विषय पर सोचने का मन बनाया और जो भी मु?ो शादी को ले कर कुछ कहता तो उसे मैं लड़का ढूंढ़ कर लाने को कहती रही, क्योंकि 40 के बाद किसी भी लड़की को विवाह करना मुश्किल होता है क्योंकि इस उम्र में पार्टनर मिलना कठिन था. मैं ने सारे मैट्रिमोनियल साइट्स पर अपनी फोटो डाल दी थी. उसी दौरान मेरी एक फ्रैंड के कहने पर मैं अपने पति से मिली. वह भी अजीब तरीके से मिलना हुआ, दरअसल, मैं बहुत अधिक काम में व्यस्त थी, इसलिए बहुत कम बातचीत हुई और 2 महीने बाद ही शादी कर ली.’’
साथ रहना हुआ मुश्किल
शोमा का कहना है, ‘‘शादी के बाद दोनों का साथ रहना मुश्किल हो चुका था क्योंकि अपने पेरैंट्स को मैं नहीं छोड़ सकती थी और मेरे पति अपनी मां को अकेले नहीं छोड़ सकते थे. ऐसे में हम दोनों ने 4 कमरों वाला एक बड़ा फ्लैट मलाड एरिया में लिया जिस का किराया मेरे पिता के अंधेरी वैस्ट इलाके के 2 कमरों वाले फ्लैट के किराए से पूरा किया. हम दोनों ने मिल कर 3 बुजुर्गों की देखभाल का जिम्मा लिया लेकिन यह बहुत बड़ी चुनौती हम दोनों के साथ है क्योंकि मेरे पेरैंट्स बंगाल के हैं जबकि मेरे पति मिक्स कल्चर बंगाल और नेपाल के हैं. उन के पिता बंगाली और मां नेपाली हैं.
‘‘मेरे परिवार में सुबह उठ कर खाना बना कर औफिस जाना होता है. इस तरह से छोटीछोटी बातों को सुल?ाते हुए हम दोनों का बहुत सारा वक्त गुजर जाता था. इस तरह से आपसी तालमेल के साथ हम दोनों दायित्व निभा रहे हैं. मेरी कोई संतान न होने की वजह भी मेरी 40 की उम्र के बाद शादी करना और मेरे पिता का अचानक कैंसर डिटैक्ट होना रहा क्योंकि मैं ऐसी परिस्थिति में एक बच्चे को जन्म दूं और उस की देखभाल न कर सकूं, इसलिए मैं ने अपने 2 मातापिता और सास की देखभाल सही से करना ही उचित सम?ा. मेरे पति राजी न होतेहोते भी राजी हो गए. साथ ही, मेरा संगीत भी साथसाथ चल रहा था.’’
शादी से पहले करें बातचीत
यह सही है कि अकेली संतान को हमेशा ही मातापिता के भविष्य का सहारा सम?ा जाता है. फिर उस में अगर लड़का हो तो पेरैंट्स भले ही उसे अपना सहारा सम?ों लेकिन उन की उम्मीद पर अधिकतर पानी फिर जाता है, पर इस में वे अपनी गलत परवरिश को मान कर चुप रह जाते हैं. जबकि लड़की को कैसे भी दायित्व निभाना पड़ता है. इसलिए अकेली लड़की के होने वाले पति को शादी से पहले सबकुछ बता देना सही सम?ा जाता है.
शोमा कहती है, ‘‘सबकुछ क्लीयर होने पर भी इकलौती लड़की को ससुराल पक्ष से कुछ न कुछ सुनना पड़ता है पर मैं उस में अधिक ध्यान नहीं देती. कई बार हम दोनों अपनी सास और मातापिता को साथ घुमाने ले जाते हैं ताकि दोनों परिवारों के बीच संबंध अच्छे बने रहें. एकसाथ बैठ कर खाना भी खाते हैं. इस से फायदा हुआ. इस के अलावा छोटीछोटी बातों को आपस में बैठ कर सुल?ा लेना या फिर ध्यान न देना ही मेरे लिए सही हुआ.’’
अलग होती है मानसिकता
शोमा कहती है, ‘‘मैं ने देखा है कि लड़कों की मानसिकता सबकुछ जानने के बाद भी स्वार्थी दिखाई देती है. दरअसल, लड़कों को बचपन से ही अपनी दुनिया अधिक प्यारी लगती है. बहुत कम ऐसे लड़के हैं जो किसी की जिम्मेदारी को सम?ाते हैं. मु?ो इस बात का एहसास कभी नहीं हुआ क्योंकि मैं कभी लड़कों के साथ घूमी नहीं. मेरा तो शादी करने का इरादा ही नहीं था, इसलिए किसी प्रेमप्रसंग में नहीं पड़ी. अभी सब ठीक चल रहा है पर माइंड गेम का ?ामेला चलता रहता है जिसे बीचबीच में सुल?ाना पड़ता है क्योंकि मेरे पति इन्ट्रोवर्ट हैं जबकि मु?ो सब से बात करना अच्छा लगता है.’’
कानूनन प्रौपर्टी की बात
प्रौपर्टी की बात अगर करें तो शोमा ने शादी से पहले ही सब क्लीयर कर दिया था कि दोनों एकदूसरे की प्रौपर्टी पर किसी प्रकार का दावा नहीं रखेंगे और यह जारी रहेगा. यह सही है कि पेरैंट्स का दायित्व लेना किसी लड़के के लिए काफी कठिन होता है. वहीं, शादी के बाद पत्नी अपने पेरैंट्स की देखभाल करे तो वह बहुत अधिक मुश्किल होता है. दरअसल समाज और परिवार लड़की की शादी के बाद उसे ससुराल की संपत्ति सम?ाते हैं.
शोमा का इस बारे में कहना है, ‘‘शादी के बाद एक अकेली लड़की दोनों परिवारों के बुजुर्गों की देखभाल आसानी से कर सकती है, अगर पति का सहयोग हो. मेरा सु?ाव सभी अकेली लड़कियों से यह है कि जब भी शादी करें, अपने पार्टनर के साथ अधिक समय बिताएं. शादी के लिए जल्दबाजी न करें.’’
कुछ उदाहरण ऐसे भी हैं जहां अकेली लड़की शादी के बाद अपने पेरैंट्स की देखभाल नहीं करती. भिलाई की एक अकेली लड़की ने शादी की, मां की मत्यु के बाद अपने 70 वर्षीय पिता की देखभाल का जिम्मा लिया और पूरी प्रौपर्टी अपने नाम करवा ली और फिर वहां अपने पति के साथ रहने लगी. कुछ दिनों बाद उस बुजुर्ग का शव भिलाई स्टेशन की रेल की पटरी पर मिला, जिसे बेटी ने आत्महत्या बताया जबकि वह व्यक्ति बहुत खुश रहता था और किसी से उस की नाराजगी नहीं थी. पुलिस भी पता करने में असमर्थ रही कि यह हत्या है या आत्महत्या?