प्रकाश और फिर अविनाश दोनों के अंबिका को ठुकरा कर चले जाने से टूट कर रह गई वह. मन में कोई इच्छा शेष न रह गई, पर उसे क्या पता उस की खुशियों में आग लगाने वाला कोई और नहीं उस के अपने ही थे.