सौजन्य: सत्यकथा

तारीख थी 26 अप्रैल 2022. पटना में राजीव नगर थाना के तहत गांधी नगर के रोड नंबर-6 के मकान में एक युवती की लाश मिली थी. लाश पंखे से झूल रही थी. लाश की स्थिति से साफ लग रहा था कि लड़की ने आत्महत्या की है. कमरे में बेड के पास ही एक छोटे से टेबल पर सुसाइड नोट भी मिल गया. पहली नजर में उस की भाषा पटना पुलिस नहीं समझ पाई.

शुरुआती जांच में पुलिस ने उस के बारे में पता किया तब मालूम हुआ कि नोट मलयालम भाषा में लिखा है. कमरे के माहौल से मालूम हुआ कि लड़की केरल की रहने वाली थी और रेलवे में नौकरी कर रही थी. वह उस कमरे में किराए पर रहती थी. उस का नाम लिथारा केसी था. साथ ही कमरे से उस के खिलाड़ी होने के भी प्रमाण मिले. सुसाइड नोट को पढ़वाया गया. उस में लिखा था—

‘डीयर मी

तुम पहले जैसी नहीं रही, तुम कितनी बदल गई हो. तुम कितना हंसती और बोलती थी. किसी के मिलने पर उस से बात करने पर खुश होती थी. तुम्हें मालूम है मैं उस ‘पुरानी तुम’ से कितना प्यार करती हूं…

‘लेकिन आज तुम ने खुद को समेट लिया है. तुम ने बात करनी बंद कर दी है जैसे तुम ने खुद को कहीं खो दिया है. तुम वापस आओगी. मैं चाहती हूं कि तुम वापस लौटो कुछ यादें बनाने के लिए.’

यह नोट लिथारा ने खुद को संबोधित करते हुए लिखा था, जिस से उस की विचलित मानसिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता था.

पटना पुलिस ने इस की सूचना तत्काल लिथारा के घर वालों को दे दी. परिवार के सदस्यों में उस के मामा राजीवन अपने पड़ोसी निशांथ के साथ भागेभागे पटना आए. आते ही उन्होंने बास्केटबाल कोच रवि सिंह पर भांजी को प्रताडि़त करने का आरोप लगा दिया. उन्होंने पुलिस को बताया कि लिथारा ने फोन पर कोच रवि के बारे में उन से शिकायत की थी.

राजीवन की शिकायत पर पटना पुलिस ने कोच रवि पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज कर लिया. रवि पूर्व मध्य रेलवे में बास्केटबाल कोच था, उसे इस शिकायत के बाद हटा दिया गया.

दरअसल, लिथारा के मातापिता ने 26 अप्रैल 2022 की रात में लिथारा को फोन किया था, लेकिन बात नहीं होने पर वह परेशान हो गए थे. उन्होंने अपने जानपहचान वाले व्यक्ति से संपर्क किया. उस का फोन भी लिथारा ने नहीं उठाया. वह पास में ही रहता था और इसलिए वह लिथारा के कमरे पर ही चला गया. वहीं उसे लिथारा के आत्महत्या की बात पता चली. पहले उस ने पुलिस को सूचना दी. बाद में इस घटना की सूचना लिथारा के घर वालों को भी दे दी.

इस के बाद लिथारा के मामा राजीवन निशांथ के साथ पटना आए. लिथारा की लाश का पोस्टमार्टम कर शव उन्हें सौंप दिया गया.

लिथारा के मामा ने बताया कि वह बेहद ही खुशमिजाज थी. उस के आत्महत्या करने का जरा भी विश्वास नहीं होता है. वह जरूर किसी मानसिक दबाव में आ गई होगी, तभी उस ने ऐसा कदम उठाया.

लिथारा केरल में कोझीकोड के कक्काटिल की रहने वाली थी. उस के पिता करूनान केसी दैनिक मजदूर हैं. उन की पत्नी यानी लिथारा की मां कैंसर की मरीज हैं.

करूनान के 3 बच्चे हैं. लिथारा 2 बहनों में सब से छोटी थी. दोनों बहनों की शादी हो चुकी है और अपनीअपनी ससुराल में रहती हैं. इस तरह से लिथारा पर ही मातापिता के देखभाल की जिम्मेदारी थी.

लिथारा बास्केटबाल की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी थी, इसलिए उसे रेलवे में खेल कोटे से नौकरी तो मिल गई थी, फिर भी उस के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. परिवार की इकलौती सदस्य सरकारी नौकरी में थी. इसलिए परिवार को कई उम्मीदें थीं. उस के मामा से यह भी मालूम हुआ कि उस ने परिवार की जरूरतों की पूर्ति के लिए कुछ लाख का लोन भी ले रखा था. घटना के कुछ दिन पहले ही 11 अप्रैल को वह घर गई थी. परिवार के साथ 3 दिन रहने के बाद ड्यूटी पर पटना लौट गई थी.

मामला एक खिलाड़ी की आत्महत्या का था. उस में भी मरने वाली दक्षिण भारत के अंतिम छोर के राज्य की प्रवासी थी. इस कारण यह मामला राज्य सरकारों तक जा पहुंचा. इस बाबत केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 28 अप्रैल को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की. बिहार के मुख्यमंत्री कार्यालय से भी आश्वासन भरा जवाब उन्हें भेज दिया गया.

लिथारा साल 2018 में राष्ट्रीय स्तर पर बास्केटबाल फेडरेशन कप जीतने वाली केरल टीम की सदस्य रह चुकी थी. स्पोर्ट्स कोटे से रेलवे में उसे नौकरी मिली थी और उन की पोस्टिंग पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर डिवीजन के पर्सनल डिपार्टमेंट (कार्मिक विभाग) में बतौर जूनियर क्लर्क की थी.

उस की नौकरी 15 नवंबर, 2019 से शुरू हुई थी और नौकरी के साथसाथ खेल की प्रैक्टिस भी करती थी. उन के कोच रवि सिंह थे.

बीते 8 मार्च को पूर्व मध्य रेलवे के हाजीपुर मुख्यालय में खेलकूद के क्षेत्र में नाम रोशन करने वाली महिला खिलाडि़यों को सम्मानित किया गया था, जिस में से लिथारा भी एक थी.

लिथारा के घर वालों के मुताबिक वह पटना में रहते हुए 2 समस्याओं को झेल रही थी. एक समस्या भाषा की थी. वह न तो हिंदी बोल पाती थी और न ही समझ पाती थी. ऊपर से पटना में 2 क्षेत्रीय भाषाएं भोजपुरी और मगही भी बोली जाती हैं. उन के साथ तालमेल बिठाने में उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. उस ने अपने मातापिता से कहा था कि उस को बहुत समस्या महसूस होती है, उस को हिंदी नहीं आती है.

दुर्भाग्य से नौकरी जौइन करने के कुछ महीने बाद ही पूरा देश कोरोना की चपेट में आ गया था. लौकडाउन लग गया था. आवागमन ठप हो गया था. ऐसे में लिथारा एकदम अकेली पड़ गई.

वह दूसरी अचानक आई समस्या से भी परेशान रहने लगी थी. कोरोना से बचाव भी करना था. इसे ले कर मातापिता की हिदायतों पर भी ध्यान देना था. उस ने औफिस के सहकर्मियों से हिंदी सीखने का प्रयास किया. साथ ही उस पर खेल की प्रैक्टिस जारी रखने का भी दबाव था.

लौकडाउन का उस पर भी गहरा असर हुआ. रोजमर्रा की जरूरतें जुटाने से ले कर ड्यूटी पर आनेजाने की तक मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

इस बारे में लिथारा के परिजनों ने बताया कि वह नए शहर में हजारों किलोमीटर दूर रहते हुए समस्याओं के बारे में फोन पर बताती रहती थी. इसी सिलसिले में कोच की ओर से भी परेशानियों के बारे में भी बताया था. लिथारा ने उन्हें बताया था कि वह कोच के व्यवहार से बहुत परेशान थी. दूसरी तरफ दानापुर रेलवे का एक पुराना जोन होने के कारण वहां के कर्मचारियों पर काम का भी बोझ बना रहता था.

लिथारा के मामा राजीवन ने पटना के राजीव नगर थाने में 27 अप्रैल, 2022 को दर्ज कराई गई रिपोर्ट में लिखा कि   लिथारा ने मुझे पूर्व में फोन पर बताया था कि मेरे बास्केटबाल कोच के द्वारा शारीरिक और मानसिक शोषण किया जाता है. मेरे ऊपर भी वो दबाव बना रहे हैं. उन की ऊपर तक पहुंच होने के चलते मैं उन के विरुद्ध शिकायत नहीं कर पा रही हूं. मुझे (राजीवन) को पूर्ण विश्वास है कि लिथारा ने अपने कोच रवि सिंह के उकसाने और प्रताडि़त करने के कारण ही मानसिक रूप से परेशान हो कर आत्महत्या कर ली है.

इस मामले की जांच राजीव नगर थानाप्रभारी नीरज कुमार सिंह को सौंपी गई है. उन्होंने राजीवन की शिकायत के आधार पर कोच से भी पूछताछ की. कोच ने  कुछ लडकेलड़कियों के खेलने के लिए मैदान में नहीं आने की शिकायत की.

उन्होंने बताया कि इस बारे में वे 19 अप्रैल को अपने वरिष्ठ अधिकारियों से लिखित तौर पर शिकायत  कर चुके थे. कोच ने तर्क दिया कि अगर उन्हें (लिथारा) को किसी तरह की शिकायत थी तो वरिष्ठ अधिकारियों से इस बात की शिकायत करनी चाहिए थी, लेकिन उन के खिलाफ ऐसी कोई शिकायत नहीं की गई.

पुलिस के मुताबिक हालांकि लिथारा के अत्महत्या के पीछे की एक वजह और भी सामने आई है. वह है अविनाश कुमार उर्फ सोनू और लिथारा के बीच काफी गहरी दोस्ती.

बताते हैं कि अविनाश अपनी पत्नी, बेटी और मां पिता के साथ द्वारिकापुरी स्थित अपने घर में रहता था. उस ने भी  उसी दिन शाम ड्यूटी से लौटने के बाद अपने कमरे में बंद कर फांसी लगा ली थी.

जबकि लिथारा के चाचा ने कोच पर ही सवाल उठाए हैं. उन्होंने पुलिस को बताया कि मृत्यु से एक दिन पहले लिथारा ने अपने मातापिता से बात की थी. तब उस ने बताया था कि उस के कोच रवि सिंह ने उस के साथ मारपीट करने की कोशिश की थी.

फिलहाल पुलिस ने रवि सिंह पर भादंवि की धारा 306 के तहत सुसाइड के लिए उकसाने का केस दर्ज कर लिया है कथा लिखे जाने तक पुलिस कोच रवि सिंह के खिलाफ जांच कर रही थी.

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