देश की राजधानी के एक इलाके जहांगीरपुरी में जो कुछ हुआ और देश की उच्चतम न्यायालय ने संज्ञान लेने के बाद आदेश की जिस तरह जानबूझकर अवहेलना हुई है, वह यह संकेत दे रहा है कि देश मैं सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

ऐसा संभवतः भाजपा शासनकाल में पहली दफा हुआ है जब जनता के जुड़े मुद्दे पर राजधानी दिल्ली में नगर निगम द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अनदेखा करके अपने अवैध काम को अंजाम दिया गया है. यह कार्यवाही कई सवाल खड़े करती है और सोचने पर मजबूर करती है कि यह सारे हालात बता रहे हैं कि देश किस दिशा में जा रहा है.

जहांगीरपुरी मसले पर सुप्रीम कोर्ट और घटनाक्रम पर सब  तथ्य देश के समक्ष रख रहे हैं जिसका जवाब केंद्र में बैठी हुई नरेंद्र दामोदरदास मोदी की सरकार को देना चाहिए और उच्चतम न्यायालय को भी चिंतन करना चाहिए.

सवाल पहला-

नगर निगम प्रशासन दिल्ली अखिर 'किसके दम' पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी, बुलडोजर चलाता रहा.

सवाल दूसरा-

जहांगीरपुरी में बिना पूर्व सूचना के अवैध निर्माण हटाने की हिमाकत आखिर कौन कर रहा है.

सवाल तीसरा

क्या बुलडोजर जानबूझकर के नहीं चलाया गया? जबकि सारे देश में उच्चतम न्यायालय के तोड़ फोड़ रोकने के आदेश की जानकारी जंगल में आग की तरह फैल चुकी थी.

सवाल चौथा

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को जब वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा यह जानकारी दी गई की आदेश के बावजूद बुलडोजर नहीं रुके हैं उस समय क्या देश की न्याय व्यवस्था को गहरा आघात लगा .

सवाल पांचवां

और भी बहुतेरे सवाल और चिंतन आपके लिए छोड़ते हुए एक महत्वपूर्ण बात यह - आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जहांगीरपुरी मामले पर सुनवाई होनी है, देखना यह है कि क्या गुल खिलते हैं.

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