राजस्थान के रेतीले शहर जैसलमेर में हर साल मोटरसाइकिल रैली का आयोजन किया जाता है. इस मोटरसाइकिल रैली में बड़ी संख्या में बाइकर्स पहुंचते हैं. इंडिया बाजा ने अंतरराष्ट्रीय बाइकर्स रैली का आयोजन किया था. इस बाइकर्स रैली में देशविदेश के तमाम बाइकर्स भाग लेने के लिए पहुंचे थे.

बेंगलुरु का रहने वाला 34 वर्षीय इंटरनैशनल बाइकर असबाक मोन भी इस रैली में अपने दोस्तों के साथ भाग लेने आया था. यह बात साल 2018 के अगस्त माह की है.

18 अगस्त, 2018 को रैली आयोजित होनी थी. रैली से पहले 15 अगस्त को असबाक रैली का ट्रैक देखने व उस का जायजा लेने के लिए अपने दोस्तों के साथ वहां गया था. राइडिंग ट्रैक देखने के बाद दूसरे दिन 16 अगस्त गुरुवार को असबाक प्रैक्टिस के लिए भी दोस्तों के साथ गया था.

राइडिंग के दौरान असबाक अपने दोस्तों से बिछुड़ गया और रास्ता भटक गया. राइडिंग के बाद एकएक कर असबाक के साथी होटल में लौट आए. शाम तक असबाक लौट कर नहीं आया. जब दोस्तों ने उस के मोबाइल पर फोन किया तो मोबाइल लगातार आउट औफ रीच आ रहा था.

सुबह से शाम और रात हो चली थी. सभी दोस्त असबाक के वापस आने का इंतजार करते रहे, लेकिन असबाक वापस नहीं आया और न ही उस की कोई खबर ही मिली.

रैली शुरू होने से पहले ही एक इंटरनैशनल बाइकर के अचानक लापता होने की खबर दूसरे दिन पुलिस तक पहुंची. इस पर जैसलमेर क्षेत्र के थाना शाहगढ़ के थानाप्रभारी करन सिंह पुलिस टीम के साथ दोस्तों के होटल पहुंच गए. लापता असबाक के बारे में उस के दोस्तों से पूरी जानकारी ली.

दोस्तों ने बताया कि राइडिंग के दौरान रेतीले रास्ते में हम लोग एकदूसरे से बिछुड़ गए थे.

इस के बाद पुलिस दोस्तों के साथ रेगिस्तान के धोरों में असबाक की तलाश करने के लिए निकल गई. घंटों की तलाश व छानबीन के बाद भी असबाक का कोई सुराग नहीं मिला. दोस्त और पुलिस वापस आ गई.

तलाश के दौरान 3 दिन बाद यानी 18 अगस्त को उस की लाश एक रेतीले इलाके में जमीन पर पड़ी मिली. लाश के पास ही स्टैंड पर खड़ी उस की बाइक मिली, जिस के हैंडिल पर हेलमेट लटका था. उस की पानी की बोतल खाली थी.

इस के बाद पुलिस ने लापता असबाक के परिजनों को जानकारी दी. जानकारी मिलते ही बेंगलुरु से पत्नी सुमेरा परवेज व असबाक के ससुर जैसलमेर पहुंच गए.

पुलिस ने माना भूखप्यास से हुई मौत

जांच के दौरान पता चला कि रेतीले इलाके में असबाक रास्ता भटक गया था. उस का पीने का पानी भी खत्म हो गया था. गरमी, भूख और प्यास के चलते उस की मौत हो गई थी. उस का मोबाइल भी मिल गया, लेकिन असबाक ऐसे इलाके में पहुंच गया था, जहां नेटवर्क नहीं आ रहा था.

असबाक की लाश मिलने के बाद घर वालों ने भी किसी पर शक नहीं जताया. पत्नी सुमेरा ने पुलिस को जो तहरीर दी उस में कहा गया था, शायद रास्ता भूल जाने के बाद भूखप्यास से उस की मौत हुई होगी. उस की किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी. इसलिए अपने पति की मौत पर उसे किसी पर कोई शक नहीं है.

इस के चलते पुलिस ने भी आगे की जांच में कोई रुचि नहीं दिखाई. पुलिस ने लाश का पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया.

असबाक की मौत को हादसा मानते हुए पुलिस इस मामले को हमेशा के लिए बंद करना चाहती थी. कानूनी प्रक्रिया में लगभग 3 साल लग गए थे. इस बीच पुलिस टीम भी बदल चुकी थी.

3 साल पुराने इस केस को बंद करने के लिए साल 2021 में आए नए एसपी डा. अजय सिंह के सामने क्लोजर रिपोर्ट के लिए इस केस की फाइल को रखा गया. क्लोजर रिपोर्ट पर दस्तखत करने से पहले एसपी साहब एक बार इस केस फाइल को पढ़ना चाहते थे.

एसपी साहब ने क्लोजर रिपोर्ट पर दस्तखत करने से पहले इस रहस्यमयी मौत की फाइल व पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गौर से पढ़ा, जिस में चौंकाने वाली बातें सामने आईं. जिसे पढ़ कर वह हैरान रह गए.

असबाक के रास्ता भटकने और भूख, प्यास से हुई मौत को उस समय जहां सामान्य माना गया था, लेकिन ऐसा था नहीं. अब इस मामले में नया मोड़ आ चुका था.

एसपी डा. अजय सिंह ने 3 साल बाद फिर से कराई केस की जांच

एसपी को फाइल में घटनास्थल का फोटो देखने के बाद संदेह हुआ. फोटो में असबाक जमीन पर गिरा पड़ा था. उस के पास ही उस की बाइक खड़ी दिखाई दे रही थी, जिस के हैंडिल पर हेलमेट टंगा था. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मामला इस के उलट दिखाई दिया.

रिपोर्ट में असबाक की मौत का कारण गरदन की हड्डी टूटी होना बताया गया था. ऐसी हालत में उस व्यक्ति की तत्काल मौत हो जाती है या पैरालिसिस हो जाता है. यदि पहले चोट लगी होगी तो कोई भी व्यक्ति खड़ा नहीं हो सकता है.

अब प्रश्न यह उठता है कि जब असबाक खड़ा ही नहीं हो सकता, तब उस की बाइक स्टैंड पर किस ने खड़ी की? साथ ही हेलमेट बाइक के हैंडिल पर किस ने टांगा? आशंका व्यक्त की गई कि असबाक के साथ कोई दूसरा व्यक्ति भी था.

दूसरी बात पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक के पेट में आधा पचा भोजन था. चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार पेट में भोजन होने पर भूख से मौत नहीं हो सकती.

एसपी डा. अजय सिंह ने इसे सामान्य मौत नहीं मानते हुए एक सुनियोजित हत्या का मामला होने की आशंका व्यक्त की. इस संबंध में संबंधित थाना शाहगढ़ में मामला दर्ज किया गया. साथ ही डीएसपी भवानी सिंह को इस मामले की फिर से तफ्तीश करने का जिम्मा सौंपा.

डीएसपी भवानी सिंह ने गहन जांचपड़ताल शुरू की. सब से पहले उन्होंने मौकाएवारदात को फिर से देखने का निर्णय लिया. घटनास्थल राजस्थान के जैसलमेर जिले से 150 किलोमीटर दूर थाना शाहगढ़ के क्षेत्र में था. इस बीच उन की टीम भी जांच कार्य में सहयोग के लिए जुट गई.

घटनास्थल रेगिस्तान में था. जहां असबाक की लाश मिली थी, वहां रेत के टीलों के अलावा बाइक व जमीन पर ऐसी कोई चीज नहीं थी, जिस से दुर्घटना जैसी कोई बात नजर आ रही हो. असबाक के शरीर पर किसी प्रकार का कोई जख्म भी नहीं था.

जांच में यह बात भी सामने आई कि असबाक के लापता होने के बाद उस के तीनों दोस्तों ने उस की तलाश भी नहीं की थी. डीएसपी भवानी सिंह के अनुसार प्रैक्टिस के लिए असबाक के साथ उस के 5 दोस्त गए थे. इन में 2 विदेशी दोस्त आरोन और बैंजी के अलावा बेंगलुरु के संजय व विश्वास तथा केरल का साबिक शामिल था.

इस संबंध में पुलिस ने मृतक के परिजनों से संपर्क किया. मृतक के भाई अरशद व मां सुबेदा ने जो जानकारी दी, वह चौंकाने वाली थी. उन्होंने बताया, ‘‘पतिपत्नी के संबंध अच्छे नहीं थे. कुछ साल पहले असबाक की पत्नी सुमेरा ने किराए के गुंडों से असबाक की पिटाई भी कराई थी.’’

उन्होंने पत्नी पर असबाक की हत्या कराने का आरोप लगाया.

इस जानकारी के बाद पुलिस ने इस मामले में सुमेरा व असबाक के दोस्तों को अपने बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस भेजा. नोटिस के बावजूद सुमेरा व पति के दोस्त जैसलमेर नहीं आए.

इस बीच पुलिस ने तीनों दोस्तों के साथ ही पत्नी सुमेरा के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. जांच में अनेक साक्ष्य मिले.

इस के बाद जैसलमेर पुलिस बेंगलुरु गई और असबाक के दोस्त विश्वास व संजय को हिरासत में ले कर जैसलमेर लौट आई.

पूछताछ के बाद दोनों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

इस संबंध में जो दिलचस्प व हैरान कर देने वाली कहानी दोस्तों ने बताई, वह इस प्रकार निकली—

असबाक मूलरूप से केरल के कुन्नूर जिले का रहने वाला था. वह बेंगलुरु में एक निजी कंपनी में काम करता था. असबाक बेंगलुरु के आरटी नगर में रहता था. बेंगलुरु से पहले वह दुबई में काम करता था. वह एक अंतरराष्ट्रीय बाइक राइडर था. असबाक की अपनी पत्नी सुमेरा से नहीं बनती थी.

सुमेरा का नीरज नाम के एक युवक से अफेयर चल रहा था. उस की अपने प्रेमी से मोबाइल पर लंबी बातें होती थीं. सुमेरा अपने पति असबाक को पसंद नहीं करती थी.

उस की नजर करोड़पति बाइकर पति असबाक की दुबई और बेंगलुरु की प्रौपर्टी पर थी. वह चाहती तो पति को तलाक दे सकती थी, लेकिन ऐसा करने पर उस के हाथ से प्रौपर्टी निकल जाती. इसलिए शातिर पत्नी ने तलाक की जगह कत्ल को चुना.

असबाक के दोस्त संजय व विश्वास भी बाइकर थे, जबकि अब्दुल साबिक वीडियोग्राफर था. सुमेरा ने इन के साथ षडयंत्र रच कर असबाक की हत्या की योजना बनाई. इस के लिए उस ने तीनों दोस्तों को असबाक की हत्या की सुपारी दी.

2 हजार किलोमीटर दूर ले जा कर की हत्या

असबाक की हत्या को बेंगलुरु से 2 हजार किलोमीटर दूर राजस्थान के जैसलमेर के सुनसान रेगिस्तान में अंजाम देने को चुना गया.

योजनानुसार दोस्तों ने असबाक से जैसलमेर में आयोजित होने वाली इंडिया बाजा औफ रोड रैली में भाग लेने के लिए कहा. असबाक इस के लिए राजी हो गया.

जैसलमेर में असबाक को उस के 2 विदेशी दोस्त भी मिल गए, जो बाइक रैली में भाग लेने आए हुए थे. तीनों दोस्त असबाक को 16 अगस्त की सुबह साजिशन सुनसान रेगिस्तान इलाके में ले गए. पूर्व नियोजित षडयंत्र के तहत तीनों ने राइडिंग के लिए 2 रूट ए और बी निर्धारित किए.

योजनानुसार विदेशियों को ए रूट पर जाने को कहा गया. जबकि असबाक और उस के तीनों दोस्त बी रूट पर प्रैक्टिस के लिए निकले थे. ऐसा इसलिए किया गया था, ताकि वे असबाक की हत्या आसानी से कर सकें.

विदेशी दोस्तों को अलग रूट पर भेज कर वे असबाक के साथ दूसरे रूट पर निकल गए. दूर सुनसान रेगिस्तान के टीलों के बीच पहुंच कर तीनों ने असबाक को दबोच लिया और उस की गरदन मरोड़ कर हत्या कर दी.

हत्या के राज को छिपाने और दुर्घटना का रूप देने के लिए उस की बाइक को स्टैंड पर खड़ा कर असबाक का हेलमेट हैंडिल पर टांग दिया.

इस के साथ ही उस की पानी की बोतल को खाली कर दिया. ताकि ऐसा लगे कि रास्ता भटक जाने के बाद गरमी, भूख व प्यास के चलते उस की मौत हो गई.

तीनों दोस्त हत्या के बाद होटल लौट आए और असबाक के लापता होने का नाटक करने लगे. संजय ने लौटने के बाद दोपहर एक बजे अपने मोबाइल पर स्टेटस लगाया कि मैं होटल आ चुका हूं. जबकि उस के दोनों दोस्तों के मोबाइल शाम 6 बजे छतरैल टावर की रेंज में औन हुए.

डीएसपी भवानी सिंह ने स्वीकार किया कि यदि तत्कालीन जांच अधिकारी असबाक के दोस्तों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स व लोकेशन चैक कर लेते तो हत्या का राज 3 साल पहले ही खुल जाता. यहां पुलिस से चूक हो गई थी.

पत्नी और दोस्त भगोड़ा घोषित

पति की हत्या की मास्टरमाइंड सुमेरा ने हत्या की साजिश को पूरी तरह फूलप्रूफ रचा था. असबाक की हत्या के बाद उस की बाइक को स्टैंड पर खड़ा करना ही हत्यारों की सब से बड़ी गलती साबित हुई.

3 साल बाद नए एसपी डा. अजय सिंह की नजरों से से यह गलती छिपी नहीं रह सकी और हत्या का राज उजागर हो ही गया.

इस हाईप्रोफाइल मर्डर में फरार चल रही पत्नी सुमेरा व केरल निवासी दोस्त साबिक की तलाश में पुलिस टीम बेंगलुरु और केरल भी गई. लेकिन अभी तक दोनों का पता नहीं चल पाया है. दोनों के मोबाइल स्विच्ड औफ मिले तथा घर पर ताला लगा मिला.

दरअसल, पुलिस को यह जानकारी मिली कि साबिक ने केरल हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी.

इस पर पुलिस ने न्यायिक प्रक्रिया के तहत लगभग 25 पेज की फैक्चुअल रिपोर्ट (तथ्यात्मक रिपोर्ट) हाईकोर्ट में पेश की और साबिक को जमानत देने का विरोध किया.

इस पर कोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट का मूल्यांकन करते हुए साबिक की जमानत याचिका खारिज कर दी. इस के बाद जैसलमेर न्यायालय से दोनों की गिरफ्तारी का वारंट भी जारी करा दिए. दोनों जांच में पुलिस का सहयोग नहीं कर रहे थे तथा जांच के लिए पुलिस के सामने भी उपस्थित नहीं हो रहे थे.

ऐसे में पुलिस ने इसी साल जनवरी 2022 में न्यायिक कानूनी प्रक्रिया के तहत उन्हें भगोड़ा घोषित कर नोटिस दोनों के घरों पर चस्पा करा दिए.

अब पुलिस को दोनों की किसी भी कोर्ट से जमानत मिलने की उम्मीद कम ही है. जैसलमेर पुलिस पहले ही लुक आउट नोटिस जारी कर चुकी है, ऐसे में इन के विदेश भागने की आशंका नहीं के बराबर है.

3 साल पहले पुलिस ने जिस केस को हादसा समझा था, वह एक हाईप्रोफाइल हत्या थी. प्रेमी के प्यार में अंधी हो चुकी बेवफा पत्नी ने प्रौपर्टी हड़पने के लिए गद्दार दोस्तों के जरिए एक प्रतिभाशाली अंतरराष्ट्रीय बाइकर की निर्मम हत्या करा कर दोस्ती व रिश्तों को कंलकित कर दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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