फसल काटने के बाद तने के जो अवशेष बचे रहते  हैं, उन्हें नरवाई कहते  हैं. पिछले सालों का तजरबा रहा है कि किसान फसल कटाई के बाद फसल अवशेष नरवाई को जला देते  हैं. इस से आग लगने के हादसों के  डर के साथसाथ भूमि में मौजूद सूक्ष्म जीव जल कर खत्म हो जाते  हैं और जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता  है. हम खेतों की मिट्टी को सूक्ष्मदर्शी यंत्र से देखें, तो हमें मिट्टी में बहुत से सूक्ष्म जीव नजर आते  हैं, जो नरवाई को जलाने से मर जाते  हैं. फसलों के गिरते उत्पादन और किसानों को हो रहे घाटे के पीछे नरवाई जलना खास वजह  है.

नरवाई को खेत में मिलाने के लाभ

* खेत में जैव विविधता बनी रहती है. जमीन में मौजूद मित्र कीट शत्रु कीटों को खा कर नष्ट कर देते  हैं.

* जमीन में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जिस से फसल उत्पादन ज्यादा होता  है.

* दलहनी फसलों के अवशेषों को जमीन में मिलाने से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती  है, जिस से फसल उत्पादन भी बढ़ता है.

* किसानों द्वारा नरवाई जलाने के बजाय भूसा बना कर रखने पर जहां एक ओर उन के पशुओं के लिए चारा मौजूद होगा, वहीं अतिरिक्त भूसे को बेच कर वे आमदनी भी बढ़ा सकते  हैं.

* किसान नरवाई को रोटावेटर की सहायता से खेत में मिला कर जैविक खेती का लाभ ले सकते  हैं.

नरवाई जलने से नुकसान

* जमीन में जैव विविधता खत्म हो जाती  है और सूक्ष्म जीव जल कर खत्म हो जाते  हैं.

* जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता  है.

* जमीन कठोर हो जाती  है, जिस के कारण जमीन की जलधारण कूवत कम हो जाती है.

* पर्यावरण खराब हो जाता है और तापमान में बढ़ोतरी होती है.

* कार्बन से नाइट्रोजन व फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता  है.

* जीवांश की कमी से जमीन की उर्वरक कूवत कम हो जाती  है.

* नरवाई जलाने से जनधन की हानि होने का खतरा रहता है.

* खेत की सीमा पर लगे पेड़पौधे जल कर खत्म हो जाते  हैं.

आखिर क्या करें किसान

* नरवाई खत्म करने के लिए रोटावेटर चला कर नरवाई को बारीक कर के मिट्टी में मिलाएं.

* नरवाई को मिट्टी में मिला कर जैविक खाद तैयार करें, साथ ही स्ट्रारीपर का इस्तेमाल करें और डंठलों को काट कर भूसा बनाएं.

* भूसे का इस्तेमाल किसान अपने पशुओं को खिलाने के लिए करें और भूसा बेच कर अलग से आमदनी भी हासिल करें

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