फिल्म इंडस्ट्री में सबसे पहले एक्शन हीरो के रूप में अपने आप को प्रतिष्ठित करने वाले अभिनेता शुनील शेट्टी स्वभाव से बहुत ही मिलनसार हैं. उन्होंने इंडस्ट्री में अपने आप को स्थापित करने के लिए काफी मेहनत की. अभिनेता के अलावा वे फिल्म निर्माता और उद्यमी भी है. शुरूआती दौर में उन्हें जो भी फिल्में मिली, वे करते गए. कई बार उनकी फिल्में फ्लॉप हुई, पर उनकी सादगी और सहज भाव की वजह से उन्हें फिल्म निर्माता, निर्देशक एक बार फिर से उन्हें मौका देते रहे. लोग उन्हें प्यार से ‘अन्ना’ कहते है. उन्होंने आजतक करीब 110 हिंदी फिल्में की है. हिंदी के अलावा उन्होंने तमिल और अंग्रेजी फिल्मों में भी काम किया है.
कर्नाटक के मैंगलोर में जन्मे शुनील शेट्टी का फिल्मी कैरियर फिल्म ‘बलवान’ से शुरू हुआ था. रफ और टफ कद-काठी की वजह से उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई. इस फिल्म के सफल होने के बाद से उन्हें पीछे मुडकर देखना नहीं पड़ा. ‘वक्त हमारा है’, ‘गोपी किशन’, ‘मोहरा’, ‘रघुवीर’, ‘गद्दार’, ‘रक्षक’, ‘बॉर्डर’, ‘अपना सपना मनी-मनी’, ’रिफ्यूजी’, ‘रुद्राक्ष’, ‘शूट आउट एट लोखंडवाला’, ‘धड़कन’ आदि सभी उनकी सफल फिल्में है.
सुनील शेट्टी को शुरू से ही फिल्मों में आने की इच्छा थी, वे ‘किक बॉक्सिंग’ में ‘ब्लैक बेल्ट’ धारक है. इसलिए किसी भी एक्शन सीन को करना उन्हें अच्छा लगता है. इसके अलावा उन्हें कॉमेडी और रोमांटिक फिल्में भी पसंद हैं. काम के दौरान ही उनकी शादी माना शेट्टी से हुई जिससे उनके दो बच्चें आतिया शेट्टी और अहान शेट्टी है, जो फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े है. सुनील ने करीब 4 सालों तक इंडस्ट्री से अपने आप को इसलिए दूर रखा, क्योंकि उन्हें मनपसंद फिल्में नहीं मिल रही थी. अब सुनील शेट्टी एंड टीवी के एक्शन थ्रिलर रियलिटी शो ‘इंडियास असली चैम्पियन, है दम’ से एक बार फिर अपने आप को जबरदस्त तरीके से लॉन्च कर रहे हैं, उनसे बात करना रोचक था, पेश है अंश.
प्र. इस शो से जुड़ने की खास वजह क्या है?
ये शो आम लोगों को लेकर बनाया गया है. जिसमें सकारात्मकता अधिक है. अगर कोई अपने स्वास्थ्य की देखभाल अच्छी तरह से करता है, तो वह अपनी आगे आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकता है. इसलिए इसे जनसाधारण के लिए बनाया गया है, ताकि उनमें फिटनेस के प्रति जागरूकता हो. ये महिला और पुरुष दोनों में होना आवश्यक है, इससे आत्मविश्वास बढ़ता है. इस शो में आम लोगों के जज्बे को दिखाने की कोशिश की गयी है.इसके अलावा मैंने करीब 4 साल का ब्रेक लिया था, इसके बाद इतना अच्छा मौका मुझे आम लोगों के साथ मिलकर काम करने का मिला, जो मेरे लिए खुशी की बात है.
प्र. आप एक एक्शन हीरो के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन उम्र के इस पड़ाव में भी आप वैसे ही फिट दिखते हैं, कैसे इसे ‘मेंटेन’ रखते हैं?
मैं वर्कआउट, डाइट और योगा पर खास ध्यान देता हूं. रोज करीब एक घंटा व्यायाम करता हूं. वर्कआउट करना, सही डाइट लेना ये सब आदतें होती हैं, जो बचपन से ही आपको डालनी पड़ती हैं. मुझे पता होता है कि डेली बेसिस पर मुझे क्या करना चाहिए और उसी हिसाब से अपने आप को कंट्रोल में रखता हूं. नकारात्मक सोच से अपने आप को हमेशा दूर रखता हूं. एक्शन फिल्मों और टीवी धारवाहिकों से मुझे बहुत प्यार है, इसलिए उसे करने में मैं कभी पीछे नहीं हटता. इसमें मैं होस्ट हूं, लेकिन आम इंसान के उत्साह और उनकी चाहत को करीब से देखने का मौका ही मेरे लिए आकर्षक है.
प्र. फिल्मों में न दिखाई पड़ने की वजह क्या है?
मैंने हर तरह की फिल्में की हैं, लेकिन एक दौर ऐसा आया, जब मुझे ऐसी फिल्में मिलने लगी थी जिसे मैंने करना उचित नहीं समझा. लगा कि कुछ समय परिवार के साथ बिताऊ. मैंने वैसा ही किया. जब मुझे ये शो मिला तो लगा कि ये मेरा ‘लॉन्चिंग पैड’ है. इससे पहले भी मैंने टीवी शो किये हैं, लेकिन ये उससे काफी अलग है. इसकी ब्यूटी, इसका एक्शन है.
प्र. आपने इतने सालों तक इंडस्ट्री में काम किया, क्या कभी पुराने दिन याद आते हैं?
बहुत याद करता हूं. उस समय इंडस्ट्री का रूप अलग था. हम एक परिवार की तरह सोचा करते थे. महीनों जब एक फिल्म की शूटिंग पर जाते थे, तो एक साथ बैठकर खाना, मौज-मस्ती करना आदि सब होता था. आज तो अलग-अलग वैन का कल्चर आ गया है. काम के बाद लोग वैन में चले जाते है. सब विषय फैशनेबल हो चुका है. किसी के बारें में वे सोचते कम है. आज के बच्चे प्रोफेशनल अधिक हो चुके है. ‘ह्यूमन टच’ चला गया है. मशीन की तरह वे काम करते हैं. फिल्म रिलीज हो गयी, वे आगे बढ़ जाते है. प्यार की भाषा आजकल मेसेज, ईमेल पर चलती है. वे खुद बातें करना भूल चुके है, उनके एजेंट बात करते है. फिल्मों के प्रमोशन भी कंपनियां करती है. बस यही चल रहा है.
प्र. आपके बच्चे भी इंडस्ट्री से जुड़े हैं, उन्हें क्या सलाह देते हैं?
मैंने हमेशा कहा है कि काम भले ही कम मिले, लेकिन इंसानियत को कभी भूलना नहीं चाहिए. इन्सान पैसे से कभी शक्तिशाली नहीं बन सकता, अपने व्यवहार से बनता है. बेटी तो पहले से है, पर बेटा अभी आ रहा है. मैंने उन्हें समझाया है कि आपकी जिम्मेदारी है कि आप सही फिल्म दर्शकों तक पहुचाएं. ‘फ्राइडे’ का ‘टेंशन’ मत लो. अगर आप एक फिल्म में असफल होते हो, तो अगले के लिए मेहनत करो. मेहनत करने से कभी पीछे न हटो. मैंने भी इंडस्ट्री में उसी को फोलो किया है. मुझे याद आता है कि इंडस्ट्री का नहीं होने के बावजूद मुझे काम मिला. फिल्में कई बार चली, कई बार नहीं. फिर भी काम मिला, क्योंकि मेरा सम्बन्ध फिल्मी लोगों से काफी अच्छा था. उन्हें विश्वास था कि कोई भी अगर फिल्म को साईन करने से मना करेगा तो, उन्हें मैं मिलूंगा और वे मेरे पास आते थे, इससे मुझे एक और फिल्म में काम करने का मौका मिलता था.
प्र. आपने हर तरह की फिल्मों में काम किया है, कौन सी फिल्म आपके दिल के करीब है? कोई मलाल अभी बाकी रह गया है?
मुझे जो काम मिला करता गया. कुछ फिल्में है, जो मेरे दिल के बेहद करीब है. फिल्म ‘धड़कन’ जिसमें रोमांटिक किरदार था, ‘बॉर्डर’ जो देश प्रेम की फिल्म थी, जबकि ‘मोहरा’ में एक अपराधी की भूमिका और हेराफेरी में कोमेडी आदि सब किये है. मैं क्रिकेट प्लेयर सुनील गवास्कर का बहुत बड़ा फैन हूं और उनकी बायोपिक में काम करने की इच्छा है, लेकिन उसके लिए अच्छी प्रोस्थेटिक की आवश्यकता होगी, क्योंकि मुझे उनका यंग रूप भी दिखाना पड़ेगा.
प्र. पहले की फिल्में और आज की फिल्मों में क्या अंतर पाते हैं?
आजकल साफसुथरी फिल्मों का थोडा अभाव हो चुका है, चैनल भी आज अधिक है. रिमोट हाथ में होता है और आपको चैनल बदलते रहना पड़ता है. पहले चैनल कम थे और बदलने की भी जरुरत नहीं थी. मेरे हिसाब से ये वेस्ट का अधिक इन्फ्लुएंस है. जो हम पर हावी हो चुका है, लेकिन ऐसे माहौल में मैरीकॉम, नीरजा और दंगल जैसी फिल्में भी बन रही है.
प्र. आपके यहां तक पहुंचने में परिवार का कितना सहयोग रहा है?
मेरी जिंदगी में शुरू से उतार-चढ़ाव बहुत आये, उस समय मेरे परिवार का सहयोग बहुत रहा. पहले माता-पिता फिर पत्नी का. काम के दौरान मैं बहुत व्यस्त रहता था, जहां जो कमी होती थी, उसे ठीक करता रहा. एक समय ऐसा भी आया, जब मैंने देखा कि परिवार ‘नेगलेक्ट’ होने लगा. फिर मैंने छुट्टी लेकर उनके साथ समय बिताया. मैंने एक बात देखी है कि कठिन समय से निकलना मुश्किल होता है, वक्त लगता है, पर जिंदगी अपने आप से हर चीज को आसान कर देती है.