टीवी के रिएलिटी शो का हिस्सा बनने वाले किशोरवय के बच्चों के मन मस्तिष्क और उनके भविष्य व उनकी शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव के अलावा माता पिता द्वारा अपने अधूरे सपनों को अपने बच्चों के माध्यम से पूरा करवाने का सपना देखने के क्या परिणाम होते हैं, इन दो मूल बिंदुओं पर बात करने वाली फिल्म है,‘‘ब्लू मांउटेंन’’. लेकिन पटकथा लेखक और निर्देशक की अपनी कमियों के चलते यह फिल्म मकसद से भटक जाती है.

एक हिल स्टेशन में रहने वाला किशोरवय का सोम शर्मा (यथार्थ रत्नम) यूं तो पायलट या वैज्ञानिक बनने का सपना देख रहा है, पर अचानक जब उसका टीवी के एक संगीत प्रधान रिएलिटी शो के लिए चयन हो जाता है, तो इससे उसकी मां वाणी शर्मा (ग्रेसी सिंह) बहुत खुश होती हैं. क्योंकि वाणी शर्मा (ग्रेसी सिंह) कभी मशहूर गायिका हुआ करती थीं, पर ओम से शादी करने के बाद उन्होंने संगीत को तिलांजली दे दी थी.

अब वाणी अपने संगीत के उस अधूरे सपने को अपने बेटे के माध्यम से पूरा होते हुए देखना चाहती हैं. वह चाहती हैं कि उनका बेटा मशहूर गायक बने और फिल्मों में हीरो के लिए पार्श्वगायन करे. जबकि सोम के पिता ओम (रणवीर शोरी) चाहते हैं कि बेटा सोम पढ़ाई पर ध्यान दे और फाइटर पायलट बने. मगर वाणी के आगे ओम को झुकना पड़ता है. वाणी बेटे सोम के साथ मुंबई पहुंचती है, जहां रिएलिटी शो में सोम हिस्सा लेता है. एपीसोड दर एपीसोड उसे स्टारडम मिलने लगता है. पर सेमी फाइनल में वह हार जाता है और फिर पूरी तरह से टूट जाता है.

वह वापस अपने शहर के घर आकर अपने आपको घर के कमरे में बंद कर लेता है. स्कूल नहीं जाता. अपने सहपाठियों से नहीं मिलता. सभी उसे आम बच्चों की तरह की जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करते हैं. पर सोम को किसी की बात समझ में नहीं आती. वह अपनी सहपाठी ओशी (सिमरन) को भी भगा देता है. पर सोम के दोस्त हार नहीं मानते. वह कोई न कोई योजना बनाते रहते हैं.

ओशी के जन्मदिन पर सोम के साथ सभी दोस्त इकट्ठा होते हैं और वहां पर सोम से ओशी रोमांटिक गीत गाने के लिए कहती है. पर वह गीत नहीं गाता है. बल्कि वहां से चल देता है. ओशी उसके पीछे आती है और रास्ते में सोम को थप्पड़ मारकर कहती है कि उसने उसका जन्मदिन बर्बाद कर दिया. तब सोम के अंदर का गुबार फट पड़ता है. वह रोने लगता है. ओशी भी रोती है और उसे समझाती है कि हर इंसान की जिंदगी में हार जीत होती रहती है. वह यह क्यों भूल जाता है कि जिन बच्चों का चयन इस रिएलिटी शो के लिए नहीं हुआ या जो सेमी फाइनल तक भी नहीं पहुंचे वह क्या उसी की तरह हार का गम मना रहे हैं?

उसके बाद पता चलता है कि सोम की मां बीमार है, अब मां को खुश करने के लिए सोम फिर से गाना गाने लगता है. मां वाणी स्वस्थ हो जाती है. सोम को भी मुंबई से एक फिल्म में पार्श्वगायन का निमंत्रण मिलता है. वह मुंबई जाने से पहले एक बार अपने दोस्तों के साथ साइकल की रेस लगाता है.

लेखक व निर्देशक सुमन गांगुली ने फिल्म के लिए बहुत बेहतरीन विषय का चयन किया. उन्होंने टीवी के रिएलिटी शो की चमकीली दुनिया की हककीत व अवसाद को बेहतर तरीके से उकेरा है. फिल्म में बच्चों के लालन पोषण पर भी बात की गयी है. मगर कमजोर पटकथा के चलते फिल्म अपना प्रभाव खो देती है. फिल्म का क्लायमेक्स भी गड़बड़ा गया है.

लेखक व निर्देशक को अपनी फिल्म वहीं खत्म करनी चाहिए थी, जहां सोम, ओशी का थप्पड़ खाकर रो पड़ता है और ओशी उसे जिंदगी की असलियत समझाती है. सोम के मन का सारा गुबार वहीं निकलना चाहिए था. मगर फिल्म में मां के इमोशन को महत्व देने के चक्कर में कहानी आगे बढ़ाकर सारा प्रभाव खत्म कर दिया गया. यह बात दर्शक के गले नहीं उतरती.

फिल्म का गीत संगीत अच्छा है. फिल्म में शास्त्रीय संगीत को बहुत अच्छे तरीके से पिरोया गया है. लोकेशन बहुत बेहतरीन चुनी गयी है. कैमरामैन ने हिमायल की खूबसूरत वादियों को बहुत अच्छे तरीके से कैमरे में कैद किया है.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो ग्रेसी सिंह व रणवीर शोरी ने अच्छा अभिनय किया है. सोम शर्मा के किरदार को यथार्थ रत्नम ने बेहतर तरीके से निभाया है.

134 निमट की अवधि वाली फिल्म ‘‘ब्लू मांउटेन’’ के निर्माता राजेश कुमार जैन, लेखक व निर्देशक सुमन गांगुली, कैमरामैन चंद्रशेखर रथ, संगीतकार संदीप शौर्य, मोंटी शर्मा, आदेश श्रीवास्तव तथा कलाकार हैं- ग्रेसी सिंह, रणवीर शोरी, यथार्थ रत्नम, सिमरन शर्मा, राजपाल यादव, आरिफ जकरिया, महेष ठाकुर व अन्य.

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