लेखक- प्रो. रवि प्रकाश मौर्य अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया (आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय, अयोध्या )
मशरूम की खेती करने के लिए प्रशिक्षण लेना लाभकारी ] भानु प्रकाश राणा मशरूम को कुकुरमुत्ता, भूमिकवक, खुंभ, खुंभी आदि कई नामों से जाना जाता है. अकसर बारिश के दिनों में छतरीनुमा संरचनाएं सडे़गले कूडे़ के ढेरों पर या गोबर की खाद या लकड़ी पर देखने को मिलती हैं. यह भी एक तरह का मशरूम ही है. इसे आसानी से घर में उगाया जा सकता है. मशरूम का प्रयोग सब्जी, पकौड़ा व सूप के रूप में किया जाता है. मशरूम खाने में स्वादिष्ठ, सुगंधित, मुलायम और पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है.
इस में वसा और शर्करा कम होने के कारण यह मोटापा, मधुमेह और रक्तचाप से पीडि़त व्यक्तियों के लिए आदर्श शाकाहारी आहार है. व्यावसायिक रूप से 3 प्रकार का मशरूम उगाया जाता है. बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम व दूधिया मशरूम. तीनों प्रकार के मशरूम को किसी भी हवादार कमरे या शैड में आसानी से उगाया जा सकता है. आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि ढींगरी मशरूम उगाने का सही समय अक्तूबर से मध्य अप्रैल के महीने हैं.
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आमतौर पर 1.5 किलोग्राम सूखे पुआल/भूसे या 6 किलोग्राम गीले पुआल/भूसे से तकरीबन एक किलोग्राम ताजा मशरूम आसानी से प्राप्त होता है, जिस की कीमत 60-80 रुपए प्रति किलोग्राम है. बटन मशरूम के लिए तैयारी मध्य अगस्त माह से शुरू करते हैं. एक क्विंटल तैयार किए कंपोस्ट से 15-20 किलोग्राम बटन मशरूम की उपज होती है. उत्पादन खर्च प्रति किलोग्राम 35-40 रुपए, बिक्री दर 100-150 रुपए, शुद्ध लाभ 65-100 रुपए प्रति किलोग्राम होता है. प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि पूर्वांचल में मशरूम उत्पादन करने की अपार संभावनाएं हैं.
तकरीबन सभी जनपदों में छिटपुट ढिंगरी व बटन मशरूम की खेती हो रही है, जिस में बाराबंकी, बस्ती व गोरखपुर जनपद अग्रणी है. बलिया व देवरिया जनपद में भी नौजवान तबके का रु?ान मशरूम की तरफ बढ़ा है. किसानों के पास मशरूम उत्पादन में उपयोग होने वाले अधिकतर संसाधन जैसे भूसा, पुआल, कंपोस्ट बेसन, बांस, रस्सी आदि उपलब्ध हैं. केवल मशरूम का स्पान (बीज) ही बाहर (बस्ती, लखनऊ, वाराणसी या बिहार के बक्सर) से मंगाना पड़ेगा. उस में प्रयोग होने वाले उर्वरक, फफूंदीनाशक स्थानीय बाजार में उपलब्ध हैं. मशरूम की खेती करने का तरीका खाद्यान्न व बागबानी फसलों से बिलकुल अलग है, इसलिए इस की खेती शुरू करने से पहले तकनीकी व व्याहारिक जानकारी लेना लाभकारी होगा.
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मशरूम की खेती में रुचि रखने वाले बेरोजगार नौजवानों, युवतियों, किसानों, किसान महिलाओं व खासकर प्रवासी श्रमिकों के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों पर अगस्त से सितंबर महीने के मध्य अधिकतर प्रशिक्षण आयोजित किए जाते हैं. इस के विषय में अपने जनपद के कृषि विज्ञान केंद्र या उद्यान विभाग से संपर्क कर के जानकारी ले सकते हैं.