गलत प्रचार नहीं किया जाता कि भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा का पुतला भी जीत जाता है. साध्वी प्रज्ञा सिंह पुतला ही साबित हो रही हैं जिन्हें अपने क्षेत्र के आम आदमी की दुश्वारियों से कभी कोई वास्ता नहीं रहा. हां, बात जब धर्म और गाय की आती है तो वे ?ट से फटे में टांग फंसा देती हैं. इस बार तो उन्होंने पहले फाड़ा, फिर टांग फंसाई.

हुआ यों कि कलैक्टर भोपाल, अविनाश लवानिया ने अनुपयोगी सांडों के बधियाकरण का आदेश जारी किया तो प्रज्ञा बिफर पड़ीं कि यह हमारे देवीदेवताओं का अपमान है. बात सही थी क्योंकि कलैक्टर महोदय तो देवताओं की ही नसबंदी पर उतारू हो आए थे. इसलिए उन्होंने चंद घंटों बाद ही आदेश वापस ले लिया. इस तरह गौवंश की रक्षा हो गई और कलैक्टर साहब भी भगवा मेम की पटखनी और गाज से बच गए जो ?ांकियों में कबड्डी खेलती और डांस करती नजर आई थीं.

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आंटी विधायक हैं हमारी अगर देश की 10 सुंदर महिला विधायकों की लिस्ट बनाई जाए तो राजस्थान के शेरगढ़ की 50 वर्षीया कांग्रेसी मीना कंवर भी उस में जगह बना सकती हैं. यही मीना बीते दिनों रातानाडा थाने के फर्श पर धरना सा देती बैठी थीं. उन की मांग कोई बांध बनाने या पीने के पानी की समस्या हल करने की नहीं थी, बल्कि अकसर ‘पीने’ के बाद पैदा होने वाली एक आम समस्या को ले कर थी.

उन के एक नजदीकी रिश्तेदार का चालान ट्रैफिक पुलिस वालों ने काट देने की जुर्रत की थी. विधायक महोदया का तर्क था कि, ‘तो क्या हुआ जो थोड़ी सी पी ली. सब के बच्चे पीते हैं.’ इस दलील पर पुलिस नहीं पसीजी. युवा शराब के नशे में धुत हो कर गाड़ी चलाते हैं, इस के नुकसानों पर लंबाचौड़ा व्याख्यान दे कर वे आदर्श प्रस्तुत कर सकती थीं लेकिन हेकड़ी दिखाती रहीं, मानो विधायक के रिश्तेदार का चालान करना गुनाह हो. असली महाराज असली लोगो आखिर एयर इंडिया भी बिक गई, जिसे टाटा ग्रुप ने खरीदा है. इस डील में बहुतकुछ बिकने के साथ उस का लोगो हाथ जोड़े खड़ा महाराजा भी बिक गया है जिस की बड़ीबड़ी मूंछें हैं, सिर पर धारीदार पगड़ी है और अटपटी सी नाक है.

इस महाराजा को आकार साल 1946 में एक आर्टिस्ट उमेश राव ने दिया था. तब से यह इस एयरलाइंस की पहचान है और इसे लोग पसंद भी खूब करते हैं. इस के बाद भी कुछकुछ लोगों को लगता है कि यह महाराज पुराने दौर का हो गया है, अब इसे बदल देना चाहिए. इस की जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया एकदम रियल और फिट बैठेंगे. बात में दम है क्योंकि नागरिक उड्डयन मंत्री के पास करने को अब कुछ नहीं बचा है. कांग्रेस छोड़ने या भाजपा में जाने की अनूठी सजा उन्हें मिली है कि अब कोई सरकारी एयरलाइंस ही नहीं रही. वक्त काटने सिंधिया चाहें तो टाटा से करार कर मौडलिंग कर सकते हैं.

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नए महाराजा के रूप में वे खूब फबेंगे. भाजपा में आने के बाद हाथ जोड़ना इतनी शिद्दत से वे सीख ही गए हैं कि कभीकभी तो साथ चल रहे प्यादे उन्हें आगाह करते हैं कि श्रीमंत, अब कोई नहीं है, आप हाथ खोल लें. सत्यपाल का अर्धसत्य कोई जब सच बोलने पर उतारू ही हो आए तो बड़ी दिलचस्प बातें सामने आने लगती हैं. मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उबाऊ खुलासा यह किया है कि जम्मूकश्मीर का राज्यपाल रहते उन्हें 300 करोड़ रुपए घूस की पेशकश की गई थी.

इस के एवज में उन्हें अंबानी और आरएसएस से जुड़े एक भाजपा नेता के कागज क्लीयर करने थे जो कि जाहिर है उन्होंने नहीं किए. इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सत्य और ईमान पर टिके रहने का मशवरा दिया लेकिन इस सत्योद्धाटन में कुछ पेंच भी हैं, पहला यह कि उन्होंने तुरंत क्यों घूस की पेशकश करने वालों को गिरफ्तार नहीं करा दिया और दूसरा यह कि लूं या न लूं की बाबत उन्हें प्रधानमंत्री से क्यों पूछना पड़ा?

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