उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिस अनुशासित जीवन शैली के लिये जाना जाता है उसमें यह उम्मीद तो नहीं लगती कि वह पान मसाला जैसी हानिकारक चीजों का सेवन करते होंगे. इसके बाद भी उनको बधाई देने वाले बिजनेसमैन बधाई के बहाने अपने पान मसाला का प्रचार भी करते नजर आ रहे हैं.
योगी के शपथ ग्रहण के दूसरे दिन लखनऊ के हिन्दूस्तान अखबार में एक पेज का पूरा विज्ञापन शुद्ध प्लस परिवार की ओर से छपवाया गया है. इसमें शुद्ध प्लस परिवार ने मंहत योगी आदित्यनाथ को हार्दिक शुभकामनायें दी है. विज्ञापन के नीचे वाले हिस्से में पान मसाले का जिक्र किया गया है. अगर शुद्ध प्लस परिवार की मंशा केवल बधाई देना होता तो विज्ञापन में पान मसाले का जिक्र नहीं होता. जब पान मसाले के साथ कोई प्रभावशाली व्यक्तित्व जुड़ जाता है तो लोग उस प्रॉडक्ट के साथ जुड़ना पंसद करते हैं.
वैसे तो कई बिजनेसमैन बधाई देते नजर आये हैं. इसमें कोई खास बात नहीं है. पान मसाले का प्रचार करना विज्ञापन को विवादित बनाता है. तंबाकू, बीड़ी और पान मसाला का प्रचार करना कानूनी और मर्यादा दोनों के अनुकूल नहीं है. पान मसाला नशे की श्रेणी में आता है. किसी ऐसे आदमी के नाम और फोटो के साथ जोड़कर पान मसाले का प्रचार करना समाज के हित में नहीं है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि के पूरी तरह से खिलाफ है. बधाई संदेश बिना पान मसाले के जिक्र के भी प्रभावी हो सकता था.
शराब, तंबाकू, बीड़ी और पान मसाला जैसे नशे की वस्तुओं का प्रचार कानूनी रूप से अवैध है. इससे बचने के लिये इनका प्रचार करने वाले लोग सरोगेट विज्ञापन का सहारा लेते हैं. सरोगेट विज्ञापन में वस्तु का सीधे तौर पर प्रचार नहीं किया जाता. किसी दूसरे बहाने से प्रचार किया जाता है.
कानून की आंख में धूल झोकते हुये ऐसे लोग तर्क देते हैं कि पान मसाला अगर तंबाकू युक्त होगा तो प्रचार नहीं किया जा सकता. सच्चाई यह है कि प्रचार में कहीं यह नहीं लिखा जाता कि पान मसाला तंबाकू युक्त नहीं है. अगर लिखा भी जाता है इतना छोटा कि उसको पढ़ा नहीं जा सकता.
भाजपा के बड़े नेता और उपराष्ट्रपति रहे भैरो सिंह शेखावत ने अपने समय में एक ऐसी ही संस्था के पुरस्कार वितरण समारोह में पुरस्कार देने से मना कर दिया था क्योंकि वह संस्था पुरस्कार वितरण के बहाने छिपे तौर पर इस तरह की वस्तु का प्रचार करना चाहती थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पान मसाले की प्लासटिक पन्नी वाले पैक को इसी मंशा से बंद किया था कि लोग पान मसाला खाने से बच सकेंगे. बहुत सारे प्रतिबंधों के बाद भी इस तरह का प्रचार करने वाले लोग बहाने की तलाश में रहते हैं. जिससे लोगों को पान मसाला खाने के लिये प्रेरित कर सकें.