लेखिका- अनामिका अनूप तिवारी

ट्रिंग ट्रिंग..

‘सुबह सुबह फ़ोन..ओह..जरूर रिया होगी’

आरव ने कहा.

‘हा..रिया..यार टैक्सी बुक कर के आ जाओ ना, मैं रीति को छोड़ कर एयरपोर्ट नही आ सकता’

‘हेलो..सर, मैं इंस्पेक्टर राठौड़ बोल रहा हूं, आपकी वाइफ मिसेज रिया को एयरपोर्ट मेडिकल ऑथिरिटी ने क्वारंटाइन के लिए स्टैम्प किया है इन्हें हम शहर से थोड़ी दूर बनाये गए वार्ड में पंद्रह दिन रखेंगे, पंद्रह दिन के बाद टेस्ट किया जाएगा..सब ठीक रहा तो घर जाएंगी नही तो आइसुलेशन में रखा जाएगा’

इंस्पेक्टर एक साँस में बोल गया.

ये सुन कर मेरे होश उड़ गए, हाथ से मोबाइल गिरते गिरते बचा.

‘सर..क्या मैं एक मिनट अपनी पत्नी से बात कर सकता हूं’

‘यस..श्योर’ इंस्पेक्टर ने कहा.

‘हेलो..रिया..डोंट वरी, सब ठीक हो जाएगा..मैं रीति को तुम्हारी माँ के पास छोड़ कर आता हूं’

‘नो..आरव, तुम्हें अभी मुझसे मिलने की परमिशन नही मिलेगी, तुम रीति के पास रहो, मैं वार्ड पहुंच कर तुमसे बात करती हूं, अभी मुझे कुछ समझ नही आ रहा’ रिया ने रोते हुए कहा.

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ये क्या हो गया?

मैं कैसे संभालूंगा इधर पांच साल की छोटी बेटी उधर पत्नी जो इस समय जिस अवस्था में है उसकी कल्पना भी करना आत्मा झिंझोड़ कर रखने वाली है.

मेरी पत्नी रिया जो एक मल्टीनेशनल कंपनी की मार्केटिंग हेड है, अक़्सर अपने कंपनी के काम से विदेश यात्रा करती है,आज करीब बीस दिनों के बाद लंदन से वापस घर आ रही थी.

‘क्या करू..मुझे वहाँ जाना तो होगा ही, रिया को मैं ऐसे अकेले नही छोड़ सकता’ खुद से बात करते हुए मैंने रिया की माँ को फ़ोन किया, पता चला वो ख़ुद कुछ दिनों से बीमार है ऐसे में रीति को संभालना उनके लिए मुश्किल है, उसके भाई,भाभी से कभी आत्मीयता थी ही नही तो उनसे कोई उम्मीद नही है.

सिर पकड़ कर वही बैठ गया, मेरी रीति..वो मेरे साथ रहने की इतनी आदी है और किसी के पास रहना उसके लिए वैसे भी मुश्किल है, ऐसे में किसी अपने के पास ही रीति को छोड़ सकता हूं…

‘माँ या भाभी को फ़ोन करू’

किस मुँह से उनसे सहयोग के लिए कहूँ जब ख़ुद मैंने और रिया ने उन लोगो से सारे रिश्ते तोड़ दिए थे, रीति पांच साल की हो गयी उसने शायद एक बार अपनी दादी की शक़्ल देखी होगी और आज मैं मुसीबत में हुं तो दादी को उनका फ़र्ज़ याद दिलाऊँ?

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मानव कि प्रवृति है….अपने द्वारा बनाये गए झूठ, स्वार्थ,अभिमान के खूबसूरत जाल में ऐश करता है, जब परेशानी उसके दरवाज़े पर आती है तो वो अतीत में झाँकता है..’आख़िर उससे ऐसा क्या गुनाह हुआ था जो इस मुसीबत में पड़ा’ आज मैं भी इसी परिस्थिति में हूं, कोरोना बीमारी अभी तक मेरे लिए महज़ एक खबर थी, और आज मेरे साथ है.

रीति सो रही थी, मैं भी उसके पास जा कर लेट गया.

अतीत के पन्ने आंखों के सामने एक एक कर के खुल रहे थे, उच्चवर्गीय आधुनिक विचार की लड़की रिया से मैंने प्रेमविवाह किया था, मेरे मध्यमवर्गीय परिवार में उसकी तालमेल कभी नही बनी,भाभी और माँ को हेय दृष्टि से देखती थी और ठीक उसके विपरीत वो दोनो रिया को पलकों पर बिठा कर रखे थे, रिया की माँ चाहती थी हम दोनो परिवार से अलग हो जाये, उन्होंने ने द्वारिका में 3बीएचके का एक बड़ा फ़्लैट रिया के नाम से ले लिया.

पिता जी के गुज़रने के बाद भैया ने मुझे पढ़ाया लिखाया, एम टेक करने के लिए मुझे बाहर जाने का मौका मिला लेकिन पैसे की कमी के कारण मैंने घर में बताया नही, ना जाने भैया को कैसे पता चल गया, उन्होंने भाभी के सारे ज़ेवर गिरवी रख कर मुझे विदेश भेज दिया,वही पहली बार रिया से मिला था.

भाभी भी बहुत अमीर घराने की उच्चशिक्षित बेटी है,पर उनका रहन सहन सादा था अमीरी के चोंचले से दूर रहती थी, पैसे रुपये से ज़्यादा उनके लिए रिश्तों की अहमियत थी, उनके दिल में सब के लिए प्रेम है..इस कारण वो सबकी चहेती है, रिश्तेदार, पास पड़ोस, सभी भाभी की तारीफ़ करते ना थकते, ये सब देख रिया ईर्ष्या से भर जाती … उस दिन भी भाभी ने बड़प्पन दिखाया… घर छोड़ते समय रिया ने उनका कितना अपमान किया था उनको भला बुरा कहा लेकिन वो चुप थी आंखों से गंगा जमुना की धार बह रही थी, तटस्थ खड़ी रिया की बक़वास सुन रही थी.

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शायद रिया से ज़्यादा उन्हें मुझसे तकलीफ़ हुई थी, वो पराई थी मैं तो उनके लिए उनके अपने बच्चों से बढ़ कर था उस समय मेरी चुप्पी सिर्फ़ भाभी को नही पूरे घर को खली थी, मेरी चुप्पी रिया के ग़लत व्यवहार को सही ठहरा गए थे, मेरा मुँह रिया के प्यार और हाईक्लास लाइफस्टाइल ने बंद कर रखा था.

उस दिन के बाद रीति के जन्म के समय माँ हमसे मिलने आयी थी उस दिन भी उनके प्रति हमारा ठंडा रैवया उन्हें समझ आ गया था इसलिये जल्दी ही बिना किसी को अपना परिचय दिए निकल गयी थी.

उनके दर्द को उनके आंखों में मैं साफ़ देख रहा था पर सो कॉल्ड हाई स्टेटस फ्रेंड सामने बैठे थे तो माँ के प्यार को अनदेखा कर दिया.

आज पापा की बहुत याद आ रही थी उनके दिए संस्कारो की तिलांजलि देकर मैंने सच्चे रिश्ते खो दिया, आज जब मुसीबत पड़ी तो अपने याद आ रहे है..कितना स्वार्थी हो गया हूं मैं जिनके त्याग और प्यार को ठुकरा कर आगे बढ़ गया था, मुश्किल वक्त आया तो मुझे उनकी जरूरत महसूस हो रही है…अतीत के पन्नों को बंद करना ही बेहतर होगा.

रीति भी उठ गयी थी, सोचा..उसको प्ले स्कूल में डाल कर रिया से मिलने की कोशिश करता हूं.

‘साहब, रीति बेबी का स्कूल तो बंद हो गया है’ सुनीता ने कहा

‘ओह..हा, मैं भूल गया था’

‘क्या हुआ साहब, आप की तबियत तो ठीक है’

‘हा हा..मैं बिल्कुल ठीक हूं, ऐसा करो..रीति के लिए कुछ खाने को बना दो, मुझे भूख नही है’

‘साहब, और मैडम के लिए..वो भी तो आज आएंगी’

मैं चुप..क्या जवाब दूं?

‘नही, आज नही आएगी..तबियत ख़राब है इसलिए डॉक्टर के यहाँ है’

‘साहब..टीवी देखो..क्या क्या दिखा रहा है, कोई बीमारी उन चीनियों ने भेजी है, सब मर रहे है..मेरा आदमी भी बोला..अब मैं काम पर ना जाऊ’ सुनीता ने कहा.

‘कोई नही मर रहा..सब ठीक हो जाएगा, तुम अपना काम ख़त्म करो’मैंने खींझ कर कहा.

अकबक सी खड़ी थोड़ी देर देखती रही फ़िर काम में लग गयी.

सुनीता की बातों ने मुझे और व्यथित कर दिया था, मैं कमरे में चला आया ‘रिया को कुछ नही होना चाहिए..हे प्रभु..हमारी गलतियों की सज़ा मेरी बेटी को ना देना’ अब तक काबू रखा दिल अकेले में चीख पड़ा.

‘डैडी..डैडी’ रीति की आवाज़ सुन खुद को सयंत किया.

सभी करीबी दोस्तो को फ़ोन किया, हर किसी ने अलग अलग मज़बूरियां बताई..किसी को रीति की जिम्मेदारी नही लेनी थी इसके लिए रीति नही भय था कोरोना बीमारी.

सभी संक्रमित हुए किसी भी परिवार से दूरी बनाये रखना चाहेंगे…इसके लिए मैं उनको ग़लत भी नही कह सकता.

‘साहब, मैं घर जा रही..सब ठीक रहा तो शाम में आऊंगी नही तो आज से मेरी भी छुट्टी समझो’ सुनीता ने जाते हुए कहा.

रिया को फ़िर फ़ोन किया..

‘ रिया..कैसी हो, मैं कुछ करता हूं..थोड़ा इंतजार कर लो’

‘आरव..प्लीज़ डोंट वरी..आई एम फाइन, मैं अभी इंफेक्शन के फर्स्ट स्टेज़ पर हूं, डॉक्टर ने कहा है कुछ दिन मैं यहाँ रहूं तो मैं पूरी तरह ठीक जाऊंगी’ रिया की आवाज़ से लग रहा था वो संतुष्ट है.

‘मैं तुम्हें इस हालात में ऐसे कैसे अकेले छोड़ सकता हूं’ मैं बेसब्र था

‘आरव..प्लीज़ अंडरस्टैंड, यहाँ किसी से मिलने की परमिशन नही है, मेरे पास फ़ोन, लैपटॉप, इंटरनेट सब है मैं अपना काम करती रहूंगी और तुम दोनो से वीडियो चैट भी’ रिया ने हँसते हुए कहा.

मैं जानता था उसकी हँसी सिर्फ़ मुझे

तसल्ली देने के लिए है.

दिन बहुत भारी था, किसी तरह बीता..रात तो वक़्त की पाबंद होती है अगले दिन सूरज की रौशनी के साथ नया दिन..परेशानी वही की वही

सुबह सुबह रिया ने वीडियो कॉल किया..रीति बहुत ख़ुश थी, रिया देखने में स्वास्थ्य लग रही थी, बीमारी के ज़्यादा कुछ लक्षण नही थे, हल्की खांसी थी, बुख़ार अब नही था.

‘आरव..क्या मुझे मम्मी जी का नंबर दोगे?’ रिया ने कहा.

‘मम्मी..मेरी मम्मी का नंबर ?’ मैंने चौंक कर कहा.

रिया के आंखों में आंसू थे, मेरी तरह शायद वो भी अतीत में कि गयी अपनी ग़लतियो के पश्चताप से जूझ रही थी.

‘रिया, नंबर तो है..हिम्मत नही है’ मैंने कहा.

शाम के चार बज़ रहे थे, रीति खेलने में व्यस्त थी, लैपटॉप लेकर मैं भी वही बैठ गया..

डोरबेल बज़ी

माँ, भाई और भाभी सामने खड़े थे.

मैं अवाक खड़ा था.

‘आरव..रिया कैसी है ? बेटा, कुछ ख़बर मिली, आज टीवी पर देखा उसे, तो पता चला’ माँ ने कहा.

‘हा माँ..वो ठीक है, आप लोग बाहर क्यों खड़े है, अंदर आइए’ मैं सामने से हटते हुए कहा.

‘भैया, इतनी परेशानी अकेले सह रहे हो, एक बार फ़ोन तो कर दिया होता,क्या इतने पराए हो गए हम’? भाभी ने रीति को गोद में उठाते हुए उलाहना दिया.

‘नही भाभी..ऐसी बात नही’ मैं ख़ुद की नज़रों में  बहुत छोटा महसूस कर रहा था.

भाभी ने आते ही, घर की सफ़ाई के साथ साथ बढ़िया खाना भी तैयार कर दिया.

रिया का वीडियो कॉल आया.

भाभी की गोद में रीति को देख रिया फुट फुट कर रोने लगी.

‘माँ, भाभी, भैया प्लीज़ मुझे माफ़ कर दे..दो दिनों की अकेलेपन की सज़ा ने मुझे मेरी गुनाहों का अहसास करा दिया है.

‘अब ज़्यादा कुछ सोचो नही, हम सब उस दिन से तुम्हारे है जिस दिन तुमने आरव का हाथ थामा था, गलतियां सभी करते है, अपनी ग़लती से सबक ले कर आगे बढ़ना ही ज़िन्दगी है’ भाभी ने कहा ‘बेटी रोना नही, रीति और आरव की फ़िक्र मत करो, ख़ुश रहो..मुश्किल वक़्त है निकल जाएगा, शीघ्र स्वस्थ्य हो कर घर आओ,तब तक मैं यहीं रहूंगी’? माँ ने बड़ी ही आत्मीयता से कहा.

‘मम्मी जी, भाभी, भैया.. मेरी एक विश है’ रिया ने कहा.

‘हा, बोलो..बताओ हमें..क्या चाहिए’?  भैया ने कहा.

‘भैया..जब मैं घर आऊं तो क्या आप मुझे मेरा परिवार वापस देंगे’ रिया ने हाथ जोड़ कर कहा .

‘रिया..बेटा,तुम्हारा परिवार तुमसे कभी दूर नही गया था, जो हुआ उसे भूल जाओ और आगे बढ़ो, स्वास्थ्य पर ध्यान दो, घर आओ..हम सब बेसब्री से तुम्हारा इंतजार कर रहे है ‘ भैया ने कहा.

कभी कभी बुरा वक़्त भी अपने पीछे तमाम खुशियां ले कर आती है..मैं ख़ुश था..हम सब ख़ुश थे.

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