होली एक ऐसा रंगीन त्योहार है, जिसे सभी आयु वर्ग के लोग मनाना पसंद करते हैं और इस में धर्म माने नहीं रखता, क्योंकि लोग खुशी के इस त्योहार का हिस्सा बनना पसंद करते हैं. रंगों का यह त्योहार आनंद और मनोरंजन प्रदान करने के अलावा कई अन्य मानों में भी शरीर के लिए महत्त्वपूर्ण है. होली का त्योहार ऐसे समय पर आता है जब मौसम बदल रहा होता है और लोगों में नींद और आलस महसूस करने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है. शरीर में शिथिलता महसूस होती है. इस शिथिलता को दूर करने के लिए लोगों को तेज आवाज में संगीत सुनना, जोरजोर से गाना और बोलना एक उपाय के रूप में काम करता है. होली का इतिहास बहुत पुराना है और पहले असली फूलों से तैयार किए गए रंगों का इस्तेमाल इस उत्सव को मनाने के लिए किया जाता था, मगर पिछले कुछ वर्षों में रासायनिक और नकली रंगों की सनक इस त्योहार का एक हिस्सा बन गई है. इन दिनों होली के रंग में लैड औक्साइड, इंजन औयल, तांबा सल्फेट आदि की मिलावट होती है, जो कई तरह की ऐलर्जी और जलन का कारण बनती है. बालों को भी इन रंगों से नुकसान होता है. बालों में रूसी और उन के झड़ने की समस्या हो जाती है.

होली के रंगों के कारण होने वाली कुछ गंभीर त्वचा ऐलर्जी इस प्रकार हैं:

ऐक्जिमा: यह कृत्रिम रंगों का प्रभाव पड़ने के कारण सब से ज्यादा त्वचा में उत्पन्न होने वाली जटिलताओं में से एक है. इस ऐलर्जी के कारण त्वचा में सूजन आ जाती है जिस से चिड़चिड़ाहट होने लगती है.

स्किन की सूजन: इस ऐलर्जी में गंभीर दर्द, त्वचा में खुजली होने के अलावा उस पर छाले भी पड़ने लगते हैं.

राइनाइटिंस: इस ऐलर्जी में नाक की झिल्ली में सूजन हो जाती है जिस से नाक का रक्त असंतुलित होने पर खुजली होने के साथसाथ छींके भी आने लगती है.

दमा: कृत्रिम रंगों से अस्थमा हो सकता है. ऐसी ऐलर्जी की स्थिति में सांस लेने में कठिनाई होती है.

निमोनिया: रासायनिक रंगों के सांस के साथ अंदर जाने पर एक और संभव ऐलर्जी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसे निमोनिया का नाम दिया गया है. इस में सीने में जकड़न, थकान, बुखार और सांस लेने में कठिनाई होती है.

इन सुझावों का पालन करें और होली का पूरापूरा आनंद लें:

– त्वचा पर लगे रंग से छुटकारा पाने के लिए होली से 1 दिन पहले शरीर पर सरसों का तेल जरूर लगाएं. विशेषरूप से चेहरे, हाथों और पैरों पर. बालों को भी होली के रंगों के नुकसान से बचाने के लिए उन में भी तेल लगा लें. बालों में तेल लगाने से उन में रंगों की बहुत पतली परत चढ़ती है और वे सुरक्षित रहते हैं.

– शरीर पर सनस्क्रीन लोशन लगाने से त्वचा रंगों के दुष्प्रभाव से सुरक्षित रहती है.

– त्वचा पर रंगों का प्रभाव कम करने के लिए होली खेलने से आधा घंटा पहले ठंडी क्रीम, वैसलीन, जैतून या नारियल तेल शरीर पर अच्छी तरह लगा लें.

– चेहरे से गुलाल को हटाने के लिए रगड़ने के  बजाय क्लींजर का इस्तेमाल करें. इस के बाद त्वचा को नमी प्रदान करने वाले मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करें. विशेषरूप से संवेदनशील त्वचा के लिए बनाए गए मौइश्चराइजर का.

– रगड़ कर लगाए गए रंगों को हटाने के लिए चेहरा साबुन की बजाय फेसवाश से धोएं. रंग को निकालने के लिए त्वचा को धीरेधीरे मलें, उसे रगड़ें नहीं वरना त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है.

– सनस्क्रीन लोशन को आंखों के पास के क्षेत्र और आईलैशेज पर लगाने से भी रंगों के आंखों पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों से उन की रक्षा की जा सकती है.

– आंखों को आराम देने के लिए आंखों से रंग धोने के बाद कुछ बूंदे गुलाबजल की डाल लेने से आंखों को आराम मिलता है.

– अगर आंखों में सूखा रंग पड़ जाए तो उसे साफ पानी से धो लें. आंखों को रगड़ें नहीं वरना उन में जलन हो सकती है.

स्वस्थ त्वचा के लिए उपाय

– नहाने के लगभग 1 घंटा पहले मुलतानी मिट्टी को पानी में भिगोएं. फिर होली खेलने के बाद रंगों से सने शरीर पर इस लेप को लगाएं. सूखने के बाद गरम पानी से धो लें.

– अगर कोई रंग पूरी कोशिश करने के बाद भी नहीं छूट रहा है तो कपड़े का एक टुकड़ा मिट्टी के तेल में डुबो कर हलके हाथ से रंग पर रगड़ें, रंग निकल जाएगा.

– बेसन में मीठा तेल, मलाई और गुलाबजल मिला कर इस गाढ़े लेप को अपने चेहरे, हाथों, और पैरों में अच्छी तरह लगाएं. लेप के अच्छी तरह सूखने के बाद इसे धीरेधीरे मलते हुए छुड़ा लें.

– आधा कटोरी दही में 2 चम्मच नीबू का रस मिला कर मिश्रण बनाएं. फिर उसे रंगों के दागधब्बों पर लगा कर धीरेधीरे रगड़ते हुए कुनेकुने पानी से धो लें. हां, स्नान के बाद क्रीम लगाना न भूलें.

– सोयाबीन के आटे या बेसन में दूध, समुद्री नमक, ग्लिसरीन और कुछ बूंदे सुगंधित तेल की डाल कर मिश्रण तैयार करें. फिर उसे अपने पूरे शरीर में लगाएं. यह लेप आप को फिर से जीवंत कर देगा.

– शरीर के साथसाथ नाखूनों का भी ध्यान रखें. नाखूनों को रंगों के कुप्रभाव से बचाने के लिए उन्हें हमेशा छोटे रखें. यदि लंबे हैं तो उन्हें काट लें और फिर नेल पेंट लगाएं.

– दांतों की सुरक्षा के लिए दंतटोपी पहनें.

– त्वचा को रंगों के दुष्प्रभाव से बचाने हेतु ऐसे कपड़े पहनें जिन से पूरे शरीर को सुरक्षा कवच मिले. सफेद या हलके रंग के कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि ये कपड़े होली के रंगों को और भी ज्यादा अवशोषित करते हैं.

– अगर त्वचा पर जलन महसूस हो, तो उसे तुरंत पानी से धो लें. कोई अच्छा लोशन लगा लें.

– डा. डी जे एस तुला, हैड औफ कौस्मैटिक डिपार्टमैंट, प्राइम्स सुपर

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