एसआईपी आपको एक म्युचुअल फंड में एक साथ 5,000 रूपये के निवेश की बजाय 500 रूपये के 10 बंटे हुये निवेश की सुविधा देता है. ये आपको एक बार में भारी पैसा निवेश करने की जगह म्यूचुअल फंड में कम अवधि का (मासिक या त्रैमासिक) निवेश करने की आजादी देता है. इससे आप अपनी अन्य वित्तीय जिम्मेदारियों को प्रभावित किये बिना म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. एसआईपी कैसे काम करता है ये बेहतर समझने के लिये आपको Rupee cost averaging और धन के जुड़ते रहने की शक्ति (power of compounding) को समझना जरूरी है.

एसआईपी एक औसत आदमी की पहुंच के अंदर म्यूचुअल फंड निवेश को ले आया है क्योंकि यह उन तंग बजट लोगों को भी निवेश करने योग्य बनाता है जो एक बार में बड़ा निवेश करने के बजाय 500 या 1,000 रूपये नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं.

एसआईपी के माध्यम से छोटी छोटी बचत करना शायद पहली बार में आकर्षक न लगे लेकिन ये निवेशकों में बचत की आदत डालता है और बढ़ते वर्षों में इससे आपको अच्छा-खासा प्रतिलाभ (रिटर्न) मिलेता है. 1,000 रुपये महीने का एक एसआईपी का धन 9% की दर से 10 वर्षों में बढकर 6.69 लाख रूपये, 30 साल में 17.38 लाख रूपये और 40 साल में 44.20 लाख तक हो सकता है.

यही नही धनी लोगों को भी ये गलत समय और गलत जगह पर निवेश करने की आशंका से बचाता है. हांलाकि एसआईपी का असली फायदा निचले स्तर पर निवेश करने से मिलता है.

एसआईपी के बहुत सारे लाभ हैं

1. अनुशासित निवेश

अपने धन कोष को सुरक्षित बनाये रखने के मुख्य नियम हैं- लगातार निवेश करना, अपने निवेशों पर ध्यान केन्द्रित रखना और अपने निवेश के तरीके में अनुशासन बनाये रखना. हर महीने कुछ राशि अलग निकालने से आपकी मासिक आमदनी पर अधिक अन्तर नही पड़ेगा. आपके लिये भी बड़े निवेश हेतु इकट्ठा पैसा निकालने से बेहतर होगा कि हर महीने कुछ रुपये बचाये जायें.

2. रुपये के जुड़ते रहने की शक्ति (Power of Compounding)

निवेश गुरु सुझाव देते हैं कि किसी भी व्यक्ति को हमेशा जल्दी निवेश शुरु करना चाहिये. इसका एक मुख्य कारण है चक्रवृद्धि ब्याज मिलने का लाभ. चलिये इसे एक उदाहरण से समझते हैं. प्रसून(अ) 30 साल की उम्र से 1,000 रूपये हर साल बचाना शुरू करता है, वहीं प्रसूव (ब) भी इतना ही धन बचाता है लेकिन 35 साल की आयु से. जब 60 साल की उम्र में दोनों अपना निवेश किया हुआ पैसा प्राप्त करते हैं तो (अ) का फंड 12.23 लाख होता है और (ब) का केवल 7.89 लाख. इस उदाहरण में हम 8% की दर से रिटर्न मिलना मान सकते हैं. तो ये साफ है कि शुरु में 50,000 रूपये निवेश का फर्क आखिरी फंड पर 4 लाख से ज्यादा का प्रभाव डालता है. ये रुपये के जुड़ते रहने की शक्ति (Power of compounding) के कारण होता है. जितना लंबा समय आप निवेश करेंगे उतना ज्यादा आपको रिटर्न मिलेगा.

अब मान लीजिये कि (अ) हर साल 10,000 निवेश करने की बजाय 35 वर्ष की उम्र से हर 5 साल बाद 50,000 निवेश करता है इस स्थिति में उसकी निवेश किया धन उतना ही रहेगा (जो कि 3 लाख है) लेकिन उसे 60 साल की उम्र में 10.43 लाख का फंड (कोष) मिलता है. इससे पता चलता है कि देर से निवेश करने में समान धन डालने पर भी व्यक्ति शुरू में मिलने वाले चक्रवृद्धि ब्याज के फायदे को खो देता है.

3. रुपये की कीमत का औसत (Rupee Cost Averaging)

ये मुख्य रूप से शेयरों में निवेश के लिये उपयोगी है. जब आप एक फंड में लगातार धन का निवेश करते हैं तो रुपये की कम कीमत के समय में आप शेयर की ज्यादा यूनिट खरीदते हैं. इस प्रकार समय के साथ आपकी प्रति शेयर या (प्रति यूनिट) औसत कीमत कम होती जाती है. यह रुपये की औसत लागत की नीति होती है जो एक लंबी अवधि के समझदार निवेश के लिये बनाई गयी है. ये सुविधा अस्थिर बाजार में निवेश के खतरे को कम करती है और बाजार के उतार चढ़ाव भरे सफर में आपको सहज बनाये रखती है.

जो लोग एसआईपी के माध्यम से निवेश करते हैं वे बाजार के उतार के समय को भी उतनी ही अच्छी तरह संभाल सकते हैं जैसे वो बाजार के चढ़ाव के समय को. एसआईपी के द्वारा आप के निवेश की औसत लागत कम होती है, तब भी जब आप बाजार के ऊंचे या नीचे सभी प्रकार के दौर से गुजरते हैं.

4. सुविधाजनक

ये निवेश का बहुत ही आसान तरीका है. आपको केवल पूरे भरे हुये नामांकन फॉर्म के साथ चेक जमा करना होगा जिससे म्यूचु्अल फंड में आपके द्वारा कही गयी तारीख पर चेक जमा हो जायेगा और अपके खाते में शेयर यूनिट आ जायेंगी .

5. अन्य लाभ

इसमें कैपिटल गेन पर लगने वाला टैक्स (जहां भी लागू होता है) निवेश करने के समय पर निर्भर होता है.

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