साल 2005 में केंद्र की डाक्टर मनमोहन सिंह सरकार ने पति की मौत के बाद उस की विधवा पत्नी का नाम आवश्यक रूप से दर्ज करने का आदेश दिया. इस के बाद से खेती की जमीन में भी पति के न रहने के बाद पत्नी और बेटी का नाम दर्ज किया जाने लगा. पत्नी और बेटी को भी बराबर का हिस्सा मिलने लगा. जायदाद के कागजों में नाम दर्ज होने का सब से बड़ा लाभ यह हुआ कि अब बिना विधवा की सहमति के जमीन को बेचा नहीं जा सकता. ऐसे में कई बार विधवा औरतों को हिंसा का शिकार होना पड़ता है. लखनऊ जिले की मोहनलालगंज तहसील के निगोहां थाने में घटी ऐसी घटनाएं इस का उदाहरण हैं. कानून के द्वारा भले ही महिलाओं को संपत्ति अधिकार मिल चुका हो पर घरपरिवार के लोग किसी भी तरह से संपत्ति में महिलाओं को अधिकार नहीं देना चाहते. ऐसे में अगर महिला बूढ़ी है और उस के पति की मौत हो चुकी है तो बेटा तक उसे जमीन नहीं देना चाहता.
जिन परिवारों में बेटा नशे जैसी बुरी आदत का शिकार हो वहां तो ऐसे लोगों की हत्या तक कर दी जाती है. लखनऊ जिले के निगोहां थाना क्षेत्र के कलासर खेड़ा गांव में रहने वाले संजय ने अपनी 48 साल की मां लीलावती की हत्या कर दी. कलासर खेड़ा में रहने वाले श्रीकेशन की 4 साल पहले मौत हो चुकी थी. श्रीकेशन के पास खेती की 3 बीघा जमीन थी. श्रीकेशन के परिवार में बड़ा बेटा संजय और छोटा बेटा संगम थे. उस की एक बेटी राजरानी भी थी. दोनों बेटों और बेटी की शादी हो चुकी थी. छोटा बेटा संगम लखनऊ में रह कर मजदूरी करता था. बड़ा संजय गांव में रहता था, नशे का आदी था. श्रीकेशन की मौत के बाद पत्नी लीलावती अपने दोनों ही बेटों से अलग गांव में ही कोठरी में रहती थी.
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श्रीकेशन की खेती वाली जमीन उस के दोनों बेटों, बेटी और पत्नी के नाम हो जानी थी. लंबे समय तक यह काम नहीं हो पाया. दो माह पहले हुई थी विरासत श्रीकेशन की मौत के बाद बेटा संजय रोज ही जमीन को ले कर घर में विवाद करता रहता था. श्रीकेशन की मौत के बाद भी जमीन में उस की पत्नी और बेटीबेटों का नाम दर्ज नहीं हुआ था. इस कारण संजय अपनी जमीन को बेच नहीं पा रहा था. जमीन के इस टुकड़े पर गांव के लोगों की नजर थी. उन को पता था कि नशे का शिकार बेटा जमीन बेचेगा. योगी सरकार ने खेती की जमीन में विरासत दर्ज करने का अभियान चलाया, जिस की वजह से अप्रैल 2021 में श्रीकेशन की जमीन उस के दोनों बेटों, एक बेटी और पत्नी के नाम बराबर के हिस्से में दर्ज हो गई. संजय और उस की मां का हिस्सा 9 बिसवा था. संजय अपने हिस्से की जमीन बेचना चाहता था. खरीदने वाले लोग ज्यादा से ज्यादा हिस्सा चाहते थे. इस कारण वह संजय पर दबाव बना रहे थे कि वह अपनी मां को भी अपने हिस्से की जमीन बेचने के लिए राजी कर ले.
मां लीलावती जानती थी कि संजय अपनी नशे की आदत को पूरा करने के लिए जमीन बेचना चाहता है. इस कारण वह कभी भी अपने हिस्से की जमीन बेचने को तैयार नहीं हो रही थी. संजय की आदतों से केवल मां लीलावती ही परेशान नहीं थी. संजय की पत्नी सीता भी परेशान रहती थी. नशे के चलते संजय ने अपनी पत्नी और मां के गहने बेच दिए थे. वह पैसे न देने पर पत्नी की पिटाई भी करता था. होली के समय उस ने पत्नी पर जानलेवा हमला किया था जिस की वजह से पत्नी मायके चली गई. उस ने यह कह दिया कि अब वह ससुराल नहीं आएगी. मां की हत्या पत्नी के जाने के बाद संजय अपनी मां से विवाद करने लगा. वह चाहता था कि मां भी अपना हिस्सा साथ में बेच ले. लीलावती जानती थी कि अगर उस ने जमीन बेची तो बेटा सारे पैसे नशे में उड़ा देगा. इस कारण वह अपनी जमीन बेचने को तैयार नहीं हो रही थी. 25 जुलाई की रात भी संजय शराब के नशे में धुत हो कर मां पर जमीन बेचने का दबाव बनाने लगा. इस बात पर दोनों के बीच कहासुनी होने लगी.
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गुस्से और नशे की हालत में संजय मां की पिटाई करने लगा. मां ने जब विरोध किया तो साड़ी के पल्लू से मां का गला कस कर उसे मौत के घाट उतार दिया. अगले दिन सुबह लीलावती का शव उस के घर के बाहर मिट्टी से सना हुआ पड़ा था. साड़ी के पल्लू से गला कसा हुआ. लीलावती का शव पड़ा देख पड़ोसियों ने निगोहां थाने की पुलिस को सूचना दी. सूचना पा कर छोटा बेटा और बेटी भी पहुंच गए. मौके पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों व परिवारीजनों से पूछताछ कर शव को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. गांव वालों ने बताया कि पिछली रात संजय और उस की मां के बीच झगड़ा होने की आवाज आ रही थी. छोटे बेटे संगम ने बड़े बेटे संजय के विरुद्ध जमीन के लालच में हत्या करने का मुकदमा दर्ज कराया. निगोहां थाने के इंस्पैक्टर नंद किशोर ने पुलिस टीम को इस काम में लगा कर हत्या के आरोपी संजय को पकड़ कर जेल भेज दिया. वे कहते हैं, ‘‘जमीन के विवाद सब से अधिक अपराध के कारण बन रहे हैं.’’ क्षेत्राधिकारी सैयद नईमुल हसन कहते हैं, ‘‘जमीन पर अधिकार के लिए विधवाओं के साथ आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं. इस से बचने के लिए कानून और समाज को मिल कर काम करना पड़ेगा.
तभी इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है. इस के अलावा नशे की आदत का विरोध करना पड़ेगा. नशे में ऐसी घटनाएं ज्यादा होती हैं. नशे को रोकने का प्रयास करना चाहिए.’’ घटनाएं और भी हैं यह कोई अकेली घटना नहीं है. केवल निगोहां थाना क्षेत्र में ऐसी तमाम घटनाएं घट चुकी हैं जहां जमीन के लालच में रिश्तों का खून किया गया. फरवरी माह में मदार खेड़ा गांव में अनिल नामक युवक ने अपनी बूढ़ी दादी का कत्ल कर दिया. उस के बाद ब्रह्मदासपुर गांव में नीमा देवी की हत्या उस के बेटे चेतराम ने की थी. इसी तरह रामदयाल ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी. वह जमीन बेचने से मना कर रही थी. वीरसिंहपुर गांव में भी रामकुमार ने अपनी पत्नी सीमा की हत्या कर दी. असल में लखनऊ शहर की सीमाओं के विस्तार होने से आसपास के गांवों की जमीन की कीमत बढ़ने लगी.
ऐसे में जमीन को बिकवाना भी एक धंधा बन कर उभरने लगा, जिस को ‘प्रौपर्टी डीलिंग’ का नाम दिया गया. गांवगांव ऐसे लोगों की संख्या बढ़ने लगी जो प्रौपर्टी डीलिंग का काम करने लगे. ये लोग उस जमीन पर नजर रखने लगे जिस के बिकने की संभावना दिखती थी. जिस के घर में झगड़ा, बंटवारा और नशा करने वाले लोग होते थे, वहां इन की नजर सब से पहले पहुंचती है. कई बार तो नशा करने वालों को ये ही पैसा देते थे जिस से कि वह जमीन उन को ही बेचे. इस कारण जमीन बेच कर पैसा पाने की चाहत ने अपराध कराने शुरू कर दिए. इस का शिकार घर की बूढ़ी औरतें ज्यादातर होने लगीं. पति के मरने के बाद बेटे और परिवार के लोग यह चाहते थे कि बूढ़ी विधवा औरतें जमीन बेच दें. जब ये औरतें जमीन बेचने को तैयार न होतीं तो उन के साथ झगड़ा करने से ले कर हत्या तक कर दी जाती है.