माधुरी जिस उम्र में थी, वह नएनए सपनों, उमंगों, उम्मीदों और उत्साह से लबरेज होती है. उस ने भी भविष्य के लिए ढेरों ख्वाब बुन रखे थे. बीकौम की छात्रा माधुरी सुंदर और हंसमुख स्वभाव की थी. पढ़लिख कर वह एक मुकाम हासिल करना चाहती थी. लेकिन यह ऐसी उम्र है, जब कोई करिश्माई व्यक्ति आकर्षित कर जाता है. फिर तो उसी के लिए दिल धड़कने लगता है. माधुरी के साथ भी ऐसा हुआ था. वह आदमी कौन था, यह सिर्फ माधुरी ही जानती थी, जिसे वह जाहिर भी नहीं होने देना चाहती थी. वह परिवार में सभी की प्रिय थी. मातापिता को अपने बच्चों से ढेरों उम्मीदें होती हैं. माधुरी को भी मांबाप की ओर से पढ़नेलिखने और घूमनेफिरने की इसीलिए आजादी मिली थी कि वह अपना भविष्य संवार सके.
माधुरी दिल्ली से लगे गौतमबुद्ध नगर जिले के रबूपुरा थाना के गांव मोहम्मदपुर जादौन के रहने वाले मुनेश राजपूत की बेटी थी. वह एक समृद्ध किसान थे. वैसे तो यह परिवार हर तरह से खुश था, लेकिन नवंबर, 2016 में एक दिन माधुरी अचानक लापता हो गई तो पूरा परिवार परेशान हो उठा. वह घर नहीं पहुंची तो उसे ढूंढा जाने लगा. काफी प्रयास के बाद भी जब माधुरी का कुछ पता नहीं चल सका तो परिवार के सभी लोग परेशान हो उठे. चूंकि मामला जवान बेटी का था, इसलिए मुनेश ने थाने जा कर बेटी की गुमशुदगी दर्ज करा दी. पुलिस जांच में पता चला कि माधुरी अपने पिता के मोबाइल से किसी को फोन किया करती थी. पुलिस और घर वालों ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह नंबर नजदीक के ही गांव के रहने वाले राहुल जाट का निकला. 27 नवंबर, 2016 को राहुल को खोज निकाला गया.
राहुल के साथ माधुरी भी थी. दोनों ने जो कुछ बताया, उसे सुन कर घर वाले दंग रह गए. दोनों एकदूसरे से प्रेम करते थे. यही नहीं, उन्होंने आर्यसमाज मंदिर में विवाह भी कर लिया था. राहुल ने अपने 3 दोस्तों की मदद से माधुरी को भगाया था. मामला 2 अलगअलग जातियों का था. माधुरी के घर वाले इस रिश्ते के सख्त खिलाफ थे. वे बेटी द्वारा उठाए गए इस कदम से काफी आहत थे. बात मानमर्यादा और इज्जत की थी, इसलिए दोनों पक्षों के बीच आस्तीनें चढ़ गईं. इस मुद्दे पर पंचायत बैठी, जिस ने फैसला लिया कि दोनों ही अब एकदूसरे से कोई वास्ता नहीं रखेंगे. घर वालों ने माधुरी को डांटाफटकारा और जमाने की ऊंचनीच समझा कर इज्जत का वास्ता दिया. इस पर उस ने वादा किया कि अब वह कोई ऐसा कदम नहीं नहीं उठाएगी, जिस से उन की इज्जत पर आंच आए.
किस के दिमाग में कब क्या चल रहा है, यह कोई दूसरा नहीं जान सकता. माधुरी बिलकुल सामान्य जिंदगी जी रही थी. इस घटना को घटे अभी एक महीना भी नहीं बीता था कि 23 दिसंबर, 2016 की दोपहर माधुरी अचानक फिर लापता हो गई. उस के इस तरह अचानक घर से लापता होने से घर वाले परेशान हो उठे. उन्होंने अपने स्तर से उस की खोजबीन की. लेकिन जब वह शाम तक नहीं मिली तो उन का सीधा शक उस के प्रेमी राहुल पर गया.
माधुरी के घर वालों ने थाने जा कर राहुल और उस के दोस्तों के खिलाफ नामजद तहरीर दे दी. राहुल का चूंकि माधुरी से प्रेमप्रसंग चल रहा था और एक बार वह उसे ले कर भाग चुका था, इसलिए कोई भी होता, उसी पर शक करता. गुस्सा इस बात का था कि समझाने के बावजूद उस ने वादाखिलाफी की थी. इस बात से माधुरी के घर वाले ही नहीं, गांव वाले भी नाराज थे. शायद इसीलिए सभी माधुरी को जल्द से जल्द ढूंढ कर लाने को पुलिस से कहने लगे थे. पुलिस ने माधुरी के घर वालों से नंबर ले कर उस की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि अभी भी माधुरी की राहुल से बातचीत होती रहती थी. गायब होने वाले दिन भी उस की राहुल से बात हुई थी.
पुलिस ने राहुल और उस के दोस्तों को थाने ला कर पूछताछ की. लेकिन इन लोगों ने माधुरी के गायब होने में अपना हाथ होने से साफ मना कर दिया. इस पूछताछ में पुलिस को भी लगा कि इन लोगों का माधुरी के गायब होने में हाथ नहीं है तो उस ने उन्हें छोड़ दिया. कई दिन बीत गए, माधुरी का कुछ पता नहीं चला. घर वाले राहुल और उस के साथियों के छोड़े जाने से खिन्न थे. मुनेश के पड़ोस में ही रहता था हेमंत कौशिक उर्फ टिंकू, जो शादीशुदा ही नहीं, 2 बच्चों का बाप था. वह कंप्यूटर और मोबाइल रिपेयरिंग का काम करता था. पड़ोसी होने के नाते वह माधुरी के घर वालों की हर तरह से मदद कर रहा था.
हेमंत ने मुनेश को सलाह दी कि इस मामले में थाना पुलिस राहुल के खिलाफ काररवाई नहीं कर रही है तो चल कर पुलिस के बड़े अधिकारियों से मिला जाए. उस की बात घर वालों को ठीक लगी तो गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर मुनेश एसएसपी औफिस जा पहुंचे. अपनी बात मनवाने के लिए इन लोगों ने धरनाप्रदर्शन भी किया. इस का नतीजा यह निकला कि एसएसपी धर्मेंद्र सिंह ने इस मामले में एसपी (देहात) सुजाता सिंह को काररवाई करने के निर्देश दिए. मामला तूल पकड़ता जा रहा था, इसलिए सुजाता सिंह ने थानाप्रभारी शाबेज खान को माधुरी की गुमशुदगी वाले मामले की गुत्थी सुलझाने को तो कहा ही, खुद भी इस मामले पर नजर रख रही थीं.
पुलिस एक बार फिर राहुल को पकड़ कर थाने ले आई. एसपी सुजाता सिंह ने खुद उस से पूछताछ की. राहुल का कहना था कि पंचायत के बाद वह माधुरी से कभी नहीं मिला तो पुलिस ने उस के ही नहीं, उस के दोस्तों के भी मोबाइल फोनों की लोकेशन निकलवाई. इस से पता चला कि राहुल ही नहीं, उस के दोस्त भी माधुरी के लापता होने वाले दिन घर पर ही थे. कई लोग इस बात की तसदीक भी कर रहे थे. जांच में यह बात सच पाई गई, इसलिए पुलिस उलझ कर रह गई. जबकि माधुरी के घर वाले यह बात मानने को तैयार नहीं थे. लेकिन अब तक राहुल के पक्ष में भी कुछ लोग उतर आए थे, इसलिए पुलिस को विरोध और आरोपों का सामना करना पड़ रहा था. कभीकभी परेशान हो कर पुलिस फरजी खुलासा करते हुए निर्दोषों को जेल भेज देती है. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ. एसपी सुजाता सिंह ने तय कर रखा था कि वह जो भी काररवाई करेंगी, सबूतों के आधार पर ही करेंगी. माधुरी के घर वाले चाहते थे कि राहुल और उस के साथियों को जेल भेजा जाए, लेकिन पुलिस के पास उन के खिलाफ एक भी सबूत नहीं था.
बात माधुरी की बरामदगी की भी थी. इस के लिए राहुल के पास कोई सुराग नहीं था. माधुरी कहां चली गई थी, इस बात को कोई नहीं जानता था. उस का प्रेम प्रसंग राहुल से था और राहुल को ही उस की खबर नहीं थी. पुलिस के लिए यह मामला काफी पेचीदा हो गया था. इस बीच पुलिस को पता चला कि माधुरी चोरीछिपे मोबाइल फोन इस्तेमाल करती थी. पुलिस को लगा कि इस से कोई सुराग मिल सकता है. लेकिन घर वालों को माधुरी का मोबाइल नंबर पता नहीं था. पुलिस ने गांव के टावर से जितने भी मोबाइल नंबर इस्तेमाल हो रहे थे, सभी का डाटा निकलवाया. यह संख्या 3 हजार से अधिक थी, लेकिन पुलिस को उम्मीद थी कि इस से कोई न कोई सुराग जरूर मिल जाएगा.
पुलिस ने मोबाइल नंबरों को खंगाला तो उन में 2 मोबाइल नंबर एक ही सीरीज के मिले. उन नंबरों को संदिग्ध मान कर जांच शुरू की गई. इस में खास बात यह थी कि माधुरी के लापता होने के 2 दिनों बाद दोनों नंबर बंद कर दिए गए थे. पुलिस ने उन नंबरों की आईडी निकलवाई तो वे जनपद पीलीभीत के एक ही पते पर लिए गए थे. सिमकार्ड लेते वक्त जो पहचानपत्र दिया गया था, वह भी फरजी था. पुलिस ने आईएमईआई नंबर के जरिए मोबाइल का पता किया तो पता चला कि जिस मोबाइल में दोनों सिम में से एक सिम का उपयोग हो रहा था, उसी टावर के अंतर्गत उस में दूसरा नंबर चल रहा था. पुलिस ने उस नंबर के बारे में पता किया तो वह माधुरी के पड़ोसी हेमंत का निकला. इस से हेमंत शक के दायरे में आ गया. 7 जनवरी, 2017 को थानाप्रभारी शाबेज खान एसआई श्रीपाल सिंह, नरेश कुमार, कांस्टेबल जकी अहमद और जितेंद्र को साथ ले कर गांव पहुंचे और पूछताछ के लिए हेमंत को हिरासत में ले लिया.
पूछताछ में हेमंत शातिर खिलाड़ी निकला. उस के न केवल माधुरी से प्रेमसंबंध थे, बल्कि उसी ने सुनियोजित तरीके से माधुरी की हत्या कर के उस की लाश को ठिकाने लगा दिया था. आपराधिक घटनाओं पर आधारित टीवी सीरियलों और फिल्मों से शातिर सोच पैदा कर के उस ने पूरी योजना बनाई थी. उस के प्रेम में अंधी हो चुकी माधुरी उस के इशारों पर नाचने वाली कठपुतली बन चुकी थी तो राहुल मोहरा. माधुरी के लिए हेमंत ही वह आकर्षक करिश्माई आदमी था, जिस का राज माधुरी ने अपने सीने में दफन कर रखा था. हेमंत की निशानदेही पर पुलिस ने गांव के ही एक खेत से माधुरी के शव को बरामद कर लिया था. पुलिस ने शव का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया, साथ ही हेमंत के खिलाफ अपराध संख्या 2/2017 पर धारा 364, 302 और 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था.
पुलिस ने हेमंत से विस्तार से पूछताछ की तो एक ऐसे शातिर दिमाग इंसान की कहानी निकल कर सामने आई, जिस ने एक लड़की को प्यार के जाल में फांस कर पहले उस की भावनाओं और विश्वास को छला, उस के बाद उसे मौत की चौखट पर पहुंचा दिया. पड़ोसी होने के नाते माधुरी और हेमंत के घर वालों का एकदूसरे के यहां आनाजाना था. करीब 10 महीने पहले हेमंत ने माधुरी पर डोरे डालने शुरू किए. माधुरी उम्र के नाजुक मोड़ पर थी. उस ने हेमंत का झुकाव अपनी ओर देखा तो वह भी उस की ओर आकर्षित हो गई. बहुत जल्दी दोनों के प्रेमसंबंध बन गए. हेमंत माधुरी को केवल मौजमस्ती का साधन बनाना चाहता था, लेकिन माधुरी उस से दिल से प्यार कर बैठी.
दिल के हाथों मजबूर हो कर माधुरी राह भटक गई. उन के रिश्ते की कोई मंजिल नहीं थी. बात एक ही गांव, पड़ोस और अलगअलग जाति की थी, इस से भी बड़ी बात यह थी कि हेमंत शादीशुदा ही नहीं, 2 बच्चों का बाप था. माधुरी इन बातों को भूल गई और उस के साथ जीनेमरने की कसमें खा लीं. हेमंत शातिर था. वह आपराधिक टीवी सीरियलों से भी खासा प्रभावित था. हेमंत किसी खतरे में नहीं पड़ना चाहता था, इसलिए उस ने फरजी आईडी पर 2 मोबाइल नंबर लिए. एक नंबर उस ने अपने पास रखा और दूसरा माधुरी को देते हुए कहा, ‘‘माधुरी, इस नंबर से मेरे सिवा किसी और से बात मत करना.’’
‘‘मैं भला किसी और से बातें क्यों करूंगी. वैसे भी मेरे लिए अब तुम ही सब कुछ हो.’’ माधुरी ने कहा ही नहीं, किया भी ऐसा ही. माधुरी फोन को छिपा कर रखती थी. उस से वह केवल हेमंत से ही बातें करती थी या एसएमएस करती थी. दोनों का संबंध इतना गुप्त था कि किसी को कानोंकान खबर नहीं थी. दोनों चूंकि पड़ोसी थे, इसलिए उन के संबंधों पर किसी ने कभी शक भी नहीं किया. इस मामले में हेमंत काफी सतर्क रहता था. हेमंत गांव से बाहर कंप्यूटर और मोबाइल रिपेयरिंग का काम करता था. वह सुबह घर से निकलता था तो शाम को ही वापस आता था. इस दौरान वह मोबाइल से माधुरी से जम कर बातें करता था और उस के प्यार के सपनों को पंख लगाता था. आखिर एक दिन माधुरी ने उस से कह ही दिया कि वह हमेशा के लिए उस की होना चाहती है. हेमंत ने भी ऐसा करने का वादा कर लिया. उस ने सोचा कि वक्त आने पर वह माधुरी से पीछा छुड़ा लेगा, लेकिन माधुरी की सोच ऐसी नहीं थी. वह उसे अपना सब कुछ मान चुकी थी, इसलिए प्यार की बातों के दौरान एक दिन उस ने हेमंत से पूछ लिया, ‘‘तुम कभी मुझे धोखा तो नहीं दोगे ’’
‘‘मैं ने तुम्हें धोखा देने के लिए प्यार नहीं किया माधुरी. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं.’’
‘‘हम शादी कब करेंगे ’’
‘‘तुम जानती हो माधुरी कि यह सब इतना आसान नहीं है. इस के लिए हमें इंतजार करना होगा.’’ हेमंत ने उसे यह कह कर टाल तो दिया, लेकिन वह यह सोच कर चिंतित जरूर हो उठा कि माधुरी उस की पत्नी बनने का पक्का इरादा बना चुकी है.
इस के बाद आए दिन माधुरी हेमंत से शादी की बातें करने लगी. एक दिन बातोंबातों में माधुरी ने उस से कहा कि राहुल उसे पसंद करता है तो यह सुन कर वह खुश हो गया, क्योंकि इस से उसे माधुरी से छुटकारा पाने की राह सूझ गई. उस ने कहा, ‘‘माधुरी, तुम राहुल से भी बातें कर लिया करो, अब वही हमारी शादी कराएगा.’’
‘‘मतलब ’’ माधुरी ने पूछा.
‘‘यह मैं तुम्हें समय आने पर बताऊंगा. मैं जैसा कह रहा हूं, तुम वैसा ही करती रहो. उस के बाद हमें शादी से कोई नहीं रोक सकेगा. तुम अपने पिता के नंबर से उस से बातें किया करो.’’ माधुरी ने ऐसा ही किया. वह पिता के नंबर से राहुल को फोन करने लगी. दरअसल राहुल सीधासादा लड़का था. उसे पता नहीं था कि वह मोहरा बन रहा है. हेमंत के कहने पर माधुरी ने राहुल के सामने शादी का प्रस्ताव रखा. दोनों ही जानते थे कि घर वाले उन की शादी के लिए कभी तैयार नहीं होंगे. इस का एक ही उपाय था कि भाग कर शादी की जाए. माधुरी ने अधिक दबाव डाला तो राहुल इस के लिए तैयार हो गया. हेमंत ने माधुरी को समझाया, ‘‘तुम्हें राहुल से शादी भी करनी है और पकड़ी भी जाना है. इस से सब को विश्वास हो जाएगा कि राहुल तुम्हारा प्रेमी है. फिर एक दिन हम दोनों घर से भाग कर शादी कर लेंगे, जिस का सारा शक राहुल पर जाएगा. उस के जेल जाने पर मामला अपने आप शांत हो जाएगा.’’
हेमंत दिमाग से माधुरी के साथ खेल रहा था, जबकि वह दिल की खुशी के चक्कर में अच्छाबुरा सोचे बिना डगमगा गई. वह उसे अपने इशारों पर नचा रहा था. माधुरी उस की हर बात मानती थी और हद दरजे का विश्वास करती थी. हेमंत के कहे अनुसार, माधुरी राहुल के साथ भागी भी और शादी भी कर ली. दोनों पकड़े भी गए. उन्हें पकड़वाने में हेमंत ने ही अहम भूमिका निभाई थी. उस ने माधुरी से पीछा छुड़ाने की योजना मन ही मन पहले ही तैयार कर ली थी. इतना सब तमाशा होने के बाद वह घर आई तो उस ने हेमंत को शादी की बात याद दिलाई. बदनामी, परिवार की डांटफटकार माधुरी ने सिर्फ हेमंत से शादी करने के लिए सही थी. हेमंत उसे प्यार से समझाबुझा कर पीछा छुड़ाने के बजाए उस के सपनों को और भी ऊंचाई दे कर बरगलाने का काम करता रहा. उस के कहने पर माधुरी राहुल से पिता के मोबाइल से बातें करती रही.
22 दिसंबर को हेमंत ने माधुरी से कहा था कि अगले दिन वह घर से निकल कर गांव के बाहर तय जगह पर पहुंच जाए. उसे लगता था कि माधुरी ऐसा नहीं करेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. माधुरी उस के झूठे प्यार में अंधी हो चुकी थी. वह उस खेत पर पहुंच गई, जहां उस ने पहुंचने को कहा था. माधुरी ने यह बात हेमंत को फोन कर के बता भी दी. वह खेत गांव के किसान डंकारी सिंह का था. हेमंत ने पहले ही तय कर लिया था कि उसे क्या करना है. माधुरी उस के गले की फांस बन चुकी थी. शाम करीब 4 बजे वह खेत पर पहुंचा और माधुरी को कंबल तथा बाजार से ला कर खाना दे आया.
हेमंत ने उसे समझाने के बजाए बरगलाते हुए कहा, ‘‘माधुरी, मैं माहौल देख लूं. पहले तो राहुल को जेल भिजवाना जरूरी है. उस के बाद हम निकल चलेंगे. लेकिन तब तक तुम्हें यहीं रहना होगा.’’
माधुरी ने इस कड़ाके की ठंड में वह रात अकेली खेतों में बिताई. हेमंत उस के लिए खाना पहुंचाता रहा. किसी को उस पर शक न हो, इस के लिए वह माधुरी के घर वालों के साथ खड़ा रहा और उन्हें राहुल के खिलाफ भड़काता रहा. 2 दिन बीत गए. अब माधुरी को खेत में रहना मुश्किल लगने लगा. आखिर उस के सब्र का बांध टूट गया.
तीसरे दिन यानी 26 दिसंबर की शाम माधुरी हेमंत से चलने की जिद करने लगी तो प्यार जताने के बहाने उस ने दुपट्टे से उस का गला कस दिया. हेमंत का यह रूप देख कर माधुरी के होश उड़ गए. बचाव के लिए विरोध करते हुए उस ने हाथपैर भी चलाए, लेकिन हेमंत ने गले में लिपटा दुपट्टा पूरी ताकत से कस दिया था, जिस से छटपटा कर उस ने दम तोड़ दिया. हत्या कर के हेमंत ने अपने और माधुरी के मोबाइल का सिमकार्ड तोड़ दिया और घर आ गया. रात को वह बहाने से निकला और गड्ढा खोद कर लाश को दफना दिया. इस के बाद वह सामान्य जिंदगी जीने लगा.
लोगों के शक से बचने के लिए वह अपने काम पर भी जाता और माधुरी के पिता के साथ बैठ कर माधुरी को ले कर फिक्र भी जताता. हेमंत को पूरा विश्वास था कि वह कभी पकड़ा नहीं जाएगा. उसे लगता था कि दबाव में आ कर पुलिस राहुल और उस के दोस्तों को जेल भेज देगी. उस के बाद माधुरी की खोजबीन ठंडे बस्ते में चली जाएगी. इसीलिए उस ने माधुरी के घर वालों को पुलिस अधिकारियों के यहां प्रदर्शन करने के लिए उकसाया था.
यह अलग बात थी कि एसपी सुजाता सिंह की समझ से पुलिस ने किसी दबाव में काम नहीं किया और वह पकड़ में आ गया. यह भी सच है कि अगर पुलिस बारीकी से जांच न करती तो हेमंत कभी पकड़ा न जाता. उस की फरेबी फितरत और हैवानियत ने पूरे गांव को हैरान कर दिया. पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. कथा लिखे जाने तक उस की जमानत नहीं हो सकी थी. माधुरी हेमंत जैसे शातिर के झांसे में न आई होती और बिना डगमगाए अपने भविष्य को संवारने में लगी होती तो यह नौबत कभी न आती.
हेमंत जैसे लोग अपनी घिनौनी सोच को पूरी करने के लिए भोलीभाली लड़कियों को फंसाने का काम करते हैं. जरूरत है, लड़कियों को ऐसे लोगों से सावधान रहने की.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित