कल को किसी ने नहीं देखा है. धर्म के नाम पर बाजार लगाने वालों को भी आने वाले कल के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है. अपने आने वाले कल को सुरक्षित करने के लिए जीवन बीमा पॉलिसी लेना बहुत जरूरी है. अगर आपने अभी तक जीवन बीमा पॉलिसी नहीं ली है तो जीवन बीमा पॉलिसी के लिए जल्द से जल्द आवेदन कर दीजिए.
पर जीवन बीमा पॉलिसी के लिए भी कुछ बातों पर गौर करना जरूरी है. अक्सर लोग पॉलिसी लेने में असमंजस में पड़ जाते हैं. कौन सी पॉलिसी लें, किस कंपनी से पॉलिसी लें, कितने की पॉलिसी लें? ये बातें आम लोगों के लिए चिंता का विषय बनीं रहती हैं. जीवन बीमा पॉलिसी खरीदते समय अक्सर लोग एजेंट की बातों पर ही भरोसा करते हैं. ऐसा करना भी सही नहीं है क्योंकि एजेंट पॉलिसी से जुड़ी कई जानकारियां आपको नहीं देते.
1. कैसे चुनें पॉलिसी ?
निवेश-सह-बीमा प्लैन को चुनने से पहले लाइफ कवर को समझना जरूरी है. यदि आप केवल सुरक्षा कवर का चुनाव करते हैं तो इससे सिर्फ बीमा मिलेगा. इसमें कोई बचत नहीं होगी. इंटरनेट पर दो-तीन वेबसाइट देखें और उनकी सिफारिशों की समीक्षा करें. किसी पॉलिसी को चुनने से पहले बेनेफिट इलस्ट्रेशन की समीक्षा करें.
2. किस कंपनी से चुनें पॉलिसी ?
एलआईसी जीवन बीमा पॉलिसी लेने के लिए अच्छी कंपनी है. पर आप कई प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों से भी जीवन बीमा पॉलिसी से ले सकते हैं. पर आपको अपने बजट और बीमा कवर की राशि के हिसाब से ही किसी कंपनी की पॉलिसी खरीदनी चाहिए.
3. तय करें बीमा कवर की राशि
आपको कितने बीमा की जरूरत है, यह जानने के लिए आपको इंटरनेट की मदद लेनी होगी. कई पर्सनल फाइनेंस की वेबसाइटों पर कैलकुलेटर उपलब्ध रहते हैं, जिनकी मदद से आप बीमा कवर की राशि कैलकुलेट कर सकते हैं.
4. कितनी हो पॉलिसी की अवधि ?
अगर आपके पास अधिक वित्तीय संपत्तियां हैं, तो आपको जीवन बीमा पर खर्च करने की जरूरत नहीं है. आमतौर पर लोगों के रिटायर होने तक ज्यादातर आर्थिक जिम्मेदारियां पूरी हो चुकी होती हैं. इसलिए आपको ऐसी पॉलिसी लेनी चाहिए जो रिटायरमेंट की उम्र के आसपास खत्म हो जाएं.
5. किसी की मदद लें या खुद खरीदें पॉलिसी ?
आप एजेंट से विभिन्न पॉलिसियों का तुलनात्मक विश्लेषण उसकी सिफारिश के साथ मांग सकते हैं. एजेंट प्रीमियम लोडिंग, मेडिकल टेस्ट, एमडब्ल्यूपीए, इंश्योरेंस डीमैट अकाउंट खोलने में आपकी मदद कर सकता है.
6. क्या है एमडब्ल्यूपीए ?
मैरीड वीमन्स प्रोटेक्शन एक्ट के तहत पॉलिसी लेने से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि बीमाधारक की मृत्यु के बाद क्लेम की राशि उसके परिवार को ही मिलेगी. इसका इस्तेमाल उसकी देनदारी चुकाने में नहीं होगा.