प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान ‘यूपी ने हमें गोद ले लिया है’ पर उत्तर प्रदेश राज्य बाल विकास अधिकार संरक्षण आयोग ने आपत्ति जताई है. बाल संरक्षण आयोग की सदस्य नाहिद लारी खान ने इस मसले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर विरोध जताया है. नाहिद लारी खान ने इस पत्र की कॉपी केन्द्र में मुख्य चुनाव आयुक्त और प्रदेश के चुनाव आयुक्त को भेजी है.
लखनऊ में बाल संरक्षण आयोग की सदस्य नाहिद लारी खान कहती हैं कि ‘देश में गोद लेने के संबंध में कानून बना है. इसके तहत अनाथ बच्चों को जरूरतमंद लोग गोद लेते हैं. प्रधानमंत्री एक संवैधानिक पद पर हैं. प्रधानमंत्री के बयान से ऐसे लोगों की ठेस पंहुची है.’
नाहिद लारी खान कहती हैं, ‘बाल संरक्षण आयोग का सदस्य होने के नाते हमने जानकारी मांगी है कि प्रधानमंत्री को अगर किसी ने गोद लिया है तो उससे जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करें. अगर ऐसा नहीं है तो प्रधानमंत्री को अपने बयान के लिये माफी मांगनी चाहिये.’
नाहिद लारी खान का बयान उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में नया मोड़ दे सकता है. नाहिद लारी खान ने कहा कि देश में बहुत सारे लोग संतानहीन हैं. बहुत सारे बच्चे अनाथ आश्रमों में हैं. प्रधानमंत्री ने अपने बयान से इन लोगों को आहत किया है.
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा की साख दांव पर लगी है. पार्टी के प्रचार प्रसार के लिये प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी से लेकर पूरी पार्टी प्रचार प्रसार में लगी है. इसको लेकर अलग अलग तरह के बयान दिये जा रहे हैं. राजधानी लखनऊ से लगे बाराबंकी जिले में चुनाव प्रचार करते प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मैं उत्तर प्रदेश का गोद लिया बेटा हूं. यह गोद लिया बेटा मां-बाप को छोड़ेगा नहीं. जो खुद का बेटा नहीं कर पाया वह गोद लिया बेटा कर दिखायेगा.’ प्रधानमंत्री के बयान से साफ है कि उत्तर प्रदेश में जो भी नेता मुख्यमंत्री बनेगा वह नाम का होगा. असल राज नरेन्द्र मोदी ही करेंगे.
वैसे देखा जाय तो गोद लेने के बाद भी विकास योजनाओं का बुरा हाल है. लोकसभा चुनावों में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सांसदों से कहा था कि वह सभी एक एक साल के लिये गांव को गोद ले कर उसका विकास करें.
शुरूआत में प्रधानमंत्री की यह योजना बहुत जोर शोर से चली पर बाद में इसका क्या हुआ? कुछ पता नहीं चल सका. पहले साल सांसदों ने अपने गोद लिये गांवों के नाम घोषित किये थे पर बाद में यह घोषणा बंद हो गई. गांव को सांसदों को गोद देने के बाद अब उत्तर प्रदेश की गोद में खुद जाने के बयान की आलोचना शुरू हो गई है. देखने वाली बात यह है कि चुनाव आयोग इसको किस तरह से लेता है.