लेखिका- डा. रश्मि यादव, डा. बृज विकास सिंह

स्वास्थ्य की दृष्टि से कई विकारों को दूर करने के लिए जामुन के फल, छाल, पत्तियों और बीजों का उपयोग जड़ीबूटी के रूप में किया जाता है. जामुन में लगभग वे सभी जरूरी लवण पाए जाते हैं, जिन की शरीर को जरूरत होती है. जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने के योग्य होता है. इस में ग्लूकोज और फ्रक्टोज 2 मुख्य स्रोत होते हैं. फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है.

दूसरे फलों की तुलना में यह कम कैलोरी प्रदान करता है. एक मध्यम आकार का जामुन 3-4 कैलोरी देता है. इस फल के बीज में काबोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है. यह लोहा का बड़ा स्रोत है. प्रति 100 ग्राम में 1.0 मिलीग्राम से 1.2 मिलीग्राम आयरन होता है. इस में विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर होते हैं.

जामुन में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व केलौरी (ऊर्जा) 62 किलो लोहा 1.2 मिलीग्राम कैल्शियम 15 मिलीग्राम फास्फोरस 15 मिलीग्राम विटामिन सी 18 मिलीग्राम कैरोटीन 48 मिलीग्राम पोटैशियम 55 मिलीग्राम मैग्नीशियम 35 मिलीग्राम सोडियम 25 मिलीग्राम (औसतन 100 ग्राम) जामुन के विभिन्न उत्पाद बना कर किस तरह रोगों से छुटकारा पा सकते हैं.

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ध्यान रखें ये बातें

1. जामुन का खाली पेट सेवन कभी नहीं करना चाहिए.

2. जामुन खाने के बाद दूध का सेवन कभी नहीं किया जाता है.

3.  अधिक मात्रा में जामुन खाने से बचना चाहिए, क्योंकि अधिक खाने पर यह फायदा करने के बजाय आप को नुकसान पहुंच सकता है. ठ्ठ जामुन के औषधीय गुण व फायदा जामुन का रस जामुन के पत्त जामुन की छाल जामुन की गुठली (बीज) जामुन का फलजामुन के फल में मौलिक एसिड, गैलिक एसिड, औक्जैलिक एसिड और बेटुलिक एसिड पाया जाता है.

जामुन की पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल गुण पाया जाता है. जामुन की छाल (बार्क) और शाखाओं में टैनिन, गैलिक एसिड, रेसिन, फाइटोस्टैराल मौजूद होता है. जामुन के बीज में ग्लाइकोसाइड, जंबोलिन और गैलिक एसिड, प्लेनौयड भरपूर मात्रा में पाया जाता है. जामुन के फल में ग्लूकोज, फ्रक्टोज, विटामिन सी, ए, राइबोफ्लेविन, निकोटिन एसिड, फोलिक एसिड, सोडियम और पोटैशियम के अलावा कैल्शियम, फास्फोरस और जिंक व आयरन मौजूद होता है.

शारीरिक दुर्बलता : जामुन का रस, शहद, आंवले या गुलाब के फूल का रस बराबर मात्रा में मिला कर प्रतिदिन 2 महीने तक सुबह के वक्त सेवन करने से खून की कमी व शारीरिक दुर्बलता दूर होती है. यौन व स्मरणशक्ति भी बढ़ जाती है.

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हैजा : जामुन के एक किलोग्राम ताजे फलों का रस निकाल कर ढाई किलोग्राम चीनी मिला कर शरबत जैसी चाशनी बना लें. इसे एक ढक्कनदार साफ बोतल में भर कर रख लें. जब कभी उलटी, दस्त या हैजा जैसी बीमारी की शिकायत हो, तब 2 चम्मच शरबत और 1 चम्मच अमृतधारा मिला कर पिलाने से तुरंत राहत मिल जाती है.

कब्ज : जामुन के कच्चे फलों का सिरका बना कर पीने से पेट के रोग ठीक होते हैं. जामुन का सिरका भी गुणकारी और स्वादिष्ठ होता है. अगर भूख कम लगती हो और कब्ज की शिकायत रहती हो, तो इस सिरके को ताजा पानी के साथ बराबर मात्रा में मिला कर सुबह और रात, सोते वक्त एक हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करने से कब्ज दूर होती है और भूख बढ़ती है.

विषैले जंतु : इन जहरीले जंतुओं के काटने पर जामुन की पत्तियों का रस पिलाना चाहिए. कटी गई जगह पर इस की ताजा पत्तियों का पुल्टिस बांधने से घाव ठीक होने लगता है, क्योंकि जामुन के चिकने पत्तों में नमी सोखने की ताकत होती है. जामुन के पत्तें : इन पत्तों का रस तिल्ली के रोग में हितकारी है. जामुन के पत्तों की भस्म मंजन के रूप में उपयोग करने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं. मसूड़ों से खून निकलने से बचाने में ये मदद करती हैं.

गले की बीमारी : इस बीमारी में जामुन की छाल को बारीक पीस कर सत बना लें. इस सत को पानी में घोल कर ‘माउथ वाश’ की तरह गरारा करना चाहिए. इस से गला तो साफ होगा ही, सांस की बदबू भी बंद हो जाएगी और मसूढ़ों की बीमारी भी दूर हो जाएगी. मुंह में छाले होने पर जामुन का रस लगाएं. उलटी होने पर जामुन के रस का सेवन करें.

अपच : जामुन के पेड़ की छाल को घिस कर कम से कम दिन में 3 बार पानी के साथ मिला कर पीने से अपच दूर हो जाता है. गठिया : इस बीमारी के उपचार में भी जामुन बहुत उपयोगी है. इस की छाल को खूब उबाल कर बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से गठिया में आराम मिलता है. खून संबंधी बीमारी में : जामुन के पेड़ की छाल को घिस कर व पानी के साथ मिला कर प्रतिदिन सेवन करने से खून साफ होता है. जामुन के पेड़ की छाल को गाय के दूध में उबाल कर सेवन करने से संग्रहणी बीमारी दूर होती है.

मधुमेह : जामुन की गुठली चिकित्सा की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी मानी गई है. इस की गुठली के अंदर की गिरी में ‘जंबोलीन’ नामक ग्लूकोसाइड पाया जाता है. यह स्टार्च को शर्करा में परिवर्तित होने से रोकता है. इसी से मधुमेह के नियंत्रण में सहायता मिलती है. जामुन और आम का रस बराबर मात्रा में मिला कर पीने से मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है.

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स्त्रियों में रक्तप्रदर : इस बीमारी में जामुन की गुठली के चूर्ण में 25 फीसदी पीपल की छाल का चूर्ण मिला कर एकएक चम्मच दिनभर में 3 बार ठंडे पानी के साथ लेने से फायदा मिलता है.

पेचिश : इस बीमारी में जामुन की गुठली के चूर्ण को एक चम्मच दिन में 2 से 3 बार लेने से काफी फायदा होता है.

पथरी : पथरी बन जाने पर इस की गुठली के चूर्ण का इस्तेमाल दही के साथ करने से फायदा मिलता है. त्वचा संबंधी रोग : जामुन में उत्तम किस्म का शीघ्र अवशोषित हो कर रक्त निर्माण में भाग लेने वाला तांबा पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. यह त्वचा का रंग बनाने वाली रंजक द्रव्य मैलानिन कोशिकाओं को सक्रिय करता है, इसलिए यह रक्तहीनता और ल्यूकोडर्मा की उत्तम औषधि है.

मंदाग्नि : इस के लिए जामुन को काला नमक व भुने हुए जीरे के चूर्ण के साथ खाना चाहिए. जामुन यकृत : जामुन इसे शक्ति प्रदान करता है और मूत्राशय में आई असमान्यता को सामान्य बनाने में सहायक होता है.

हीमोग्लोबिन : जामुन खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है. शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ने से खून शरीर के विभिन्न हिस्सों में अधिक औक्सीजन का फ्लो होता है, जिस की वजह से हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है. जामुन में पाया जाने वाला आयरन खून को शुद्ध करने का काम करता है.

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