राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में है. यह महज संयोग है, प्रयोग है या एक प्रकार का लालच. जो भी है, हकीकत यह है कि जो कलाकार, फिल्मकार भाजपा सरकार की विचारधारा के पक्ष में हैं, उन का चयन तो होगा ही. देश के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के 67वें समारोह का आयोजन 22 मार्च को दिल्ली में हुआ जिस में पुरस्कारों की घोषणा की गई.
यह समारोह 3 मई, 2020 को होना था मगर तब कोरोना वायरस से उपजी कोविड-19 महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था. घोषित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की सूची देख कर यही कहा जा सकता है कि ‘अंधा बांटे रेवड़ी, फिर फिर अपनों को दे.’ कहने के लिए तो पुरस्कार चयन समिति में फिल्म उद्योग से जुड़े लोग ही होते हैं मगर इन्हें मनोनीत तो सरकार का सूचना व प्रसारण मंत्रालय ही करता है. यदि हम यह कहें कि इस बार ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ एकदम भगवाई कर दिए गए हैं, तो कुछ भी गलत न होगा. इस साल इन पुरस्कारों को ले कर बौलीवुड में अजीब सी खामोशी है.
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लेकिन एक हिंदूवादी फिल्मकार इन पुरस्कारों को न्यायसंगत ठहराते हुए अपना नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘‘विवेक अग्निहोत्री, पल्लवी जोशी, कंगना रनौत आदि को पुरस्कृत किया जाना स्वागतयोग्य है. पहले की सरकारों के कार्यकाल में सभी कम्यूनिस्ट फिल्में, फिल्मकार व कलाकार पुरस्कृत होते थे. ऐसे में भाजपा सरकार ने इस बार अपनों को पुरस्कृत कर अच्छा कदम उठाया है. राष्ट्रीय पुरस्कार राष्ट्रवादियों को दिए गए हैं, देशद्रोहियों को नहीं. इन पुरस्कारों में इस बार कम से कम मुसलिम तुष्टिकरण की नीति नहीं अपनाई गई. हमें मुसलमानों का प्रोपगंडा करने वाली फिल्मों से दूरी बना कर रखना होगा.’’ पूरा देश जानता है कि कंगना रनौत पूरी तरह से भाजपाई हैं,
यानी भगवा रंग में रंगी हुई हैं. वे मोदी सरकार के बचाव में किसी से भी लड़ने को सदैव तैयार नजर आती हैं. इस में दोराय नहीं है कि कंगना रनौत अच्छी अदाकारा हैं. मगर 1 जनवरी, 2019 से 31 दिसंबर, 2019 के बीच कंगना रनौत की 2 फिल्में ‘मणिकर्णिका’ और ‘पंगा’ प्रदर्षित हुई थीं जो बौक्सऔफिस पर कुछ खास सफलता अर्जित न कर सकीं. कंगना रनौत ने ‘मणिकर्णिका’ के निर्देशक को बीच फिल्म से बाहर कर खुद ही निर्देशन की बागडोर भी संभाल ली थी. फिल्म बहुत अच्छी नहीं बनी थी.
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कई फिल्म आलोचकों ने इस की काफी बुराई की थी. ‘पंगा’ भी खास नहीं थी. कंगना ने इन में अच्छा अभिनय किया है. कंगना रनौत को इन दोनों ही फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया. वहीं इसी वर्ष आलिया भट्ट की फिल्म ‘गली बौय’ भी प्रदर्शित हुई थी. आलिया भट्ट ने इस फिल्म में जबरदस्त अभिनय किया था. ‘गली बौय’ को बौक्स औफिस पर सफलता भी मिली थी. मगर पुरस्कार देते समय आलिया भट्ट व ‘गली बौय’ को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया. मालूम हो कि आलिया भट्ट भाजपा के धार्मिक एजेंडे के खिलाफ हैं. फिल्म ‘बदला’ और ‘सांड़ की आंख’ में तापसी पन्नू का अभिनय शानदार रहा, जबकि सफलतम फिल्म ‘कबीर सिंह’ और ‘गुड न्यूज’ में कियारा आडवाणी ने जबरदस्त अभिनय किया था मगर उन्हें भी नजरअंदाज कर दिया गया. बता दें कि कियारा भी भाजपा की विचारधारा में अपने को फिट नहीं पातीं.
बौलीवुड में हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि ‘मणिकर्णिका’ और ‘पंगा’ दोनों में देशभक्ति व नारी उत्थान की बात की गई है, इसलिए सही पुरस्कार दिया गया. सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार संयुक्तरूप से मनोज बाजपेयी को फिल्म ‘भोसले’ तथा धनुष को फिल्म ‘असुरन’ के लिए दिया गया. यों तो मनोज बाजपेयी ने फिल्म ‘भोसले’ में अपनी अद्भुत अभिनय क्षमता से हर किसी को प्रभावित किया, लेकिन उन को पुरस्कृत किए जाने पर कुछ लोगों को आश्चर्य हुआ. धनुष को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के साथ ही उन की फिल्म ‘असुरन’ को सर्वश्रेष्ठ तमिल फिल्म से पुरस्कृत किया जाना भी भगवाकरण माना जा रहा है क्योंकि धनुष, मशहूर अभिनेता रजनीकांत के दामाद हैं जिन का तमिलियों पर बहुत असर है और इस वक्त तमिलनाडु में चुनाव हो रहे हैं. हालांकि धनुष ने इस फिल्म में सिवास्वामी के किरदार में अपनी अद्भुत अभिनय क्षमता का परिचय दिया है.
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उधर अभिनेत्री पल्लवी जोशी को फिल्म ‘ताशकंद फाइल्स’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेत्री और उन के पति विवेक अग्निहोत्री को ‘ताशकंद फाइल्स’ के लिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखक के पुरस्कार से नवाजा गया है. यह लोगों को जरूर अखर रहा है. बता दें कि पल्लवी जोशी और विवेक अग्निहोत्री दोनों ही घोषित भाजपाई हैं. ऐसे में उन्हें पुरस्कृत किया जाना बनता ही है. बंगला फिल्म ‘गुमनामी’ कोई खास फिल्म नहीं है. यह सुभाष चंद्र बोस की जीवनी पर आधारित है. बंगाल चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए ‘गुमनामी’ को सर्वश्रेष्ठ पटकथा (एडौप्टेड) पुरस्कार से नवाजा गया है. वहीं बंगालियों को खुश करने के लिए अति साधारण बंगला फिल्म ‘जेष्ठपुत्रो’ को भी पुरस्कृत किया गया. इसे सर्वश्रेष्ठ मौलिक पटकथा लेखन के पुरस्कार से नवाजा गया.
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद जिस तरह की राजनीति हुई उसे देखते हुए सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म ‘छिछोरे’ को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म के पुरस्कार से नवाजा जाना अपेक्षित था. हिंसक अतिवाद व आतंकवाद के परिणामों की जांचपड़ताल करने के साथ ही प्रत्येक मानव जीवन को सम्मान दिए जाने की बात करने वाली फिल्म ‘बहत्तर हूरें’ के निर्देशक संजय पूरण सिंह चौहाण को सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्देशक के पुरस्कार से नवाजा जाना सही रहा. इस से पहले संजय पूरण सिंह को वर्षों पहले फिल्म ‘लाहौर’ के लिए भी सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के पुरस्कार से नवाजा गया था.
इन पुरस्कारों में अक्षय कुमार द्वारा सहनिर्मित व अभिनीत फिल्म ‘केसरी’ के गाने ‘तेरी मिट्टी…’ के गायक बी प्राक को सर्वश्रेष्ठ गायक का पुरस्कार दिया गया. अभिनेता अक्षय कुमार तो भाजपाई हैं ही, इसलिए उन की फिल्म को कोई न कोई पुरस्कार मिलना ही था. नौन फीचर फिल्म कैटेगरी में लघु फिल्म ‘नौक नौक नौक’ के निर्देशक सुधांशु सरिया को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिलना काफी हद तक जायज है. मराठी बाल फिल्म ‘खिसा’ को पुरस्कृत किया जाना उत्साह बढ़ाने वाला कदम है. मराठी भाषा की फिल्म ‘आनंदी गोपाल’ ने जरूर इतिहास रचा है. इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ सामाजिक मुद्दे वाली फिल्म के साथ ही सर्वश्रेष्ठ डिजाइन का भी पुरस्कार मिला. फिल्म की कहानी पहली महिला फिजीशियन आनंदी गोपाल जोशी की है जो कि पश्चिमी मैडिसिन में प्रैक्टिस करने वाली महिला डाक्टर बनी थीं. इस बार के पुरस्कारों को इसलिए भी भगवाई कहा जा रहा है क्योंकि इस बार उन्हीं फिल्मों या लोगों को पुरस्कृत किया गया है जो देशभक्ति, नारी उत्थान या वर्तमान सरकार के नीतिगत विषयों के पक्ष में हैं.
मसलन, फिल्म ‘लाड़ली’ के साथ ही फिल्म ‘होली राइट्स’ को नौन फीचर में सामाजिक मुद्दे पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म के पुरस्कार से नवाजा गया है. इस डौक्यूमैंट्रीनुमा फिल्म में भोपाल की साफिया की कहानी है जिस ने मुसलिम समुदाय में ‘शरिया’ के व्याख्याताओं पर सवाल उठाते हुए लड़ाई लड़ी कि पितृसत्तात्मक मानसिकता के कारण मुसलिम महिलाओं को समुदाय में समानता व न्याय से वंचित रखा जाता है. राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के 67वें समारोह का आयोजन 22 मार्च को दिल्ली के नैशनल मीडिया सैंटर में संपन्न हुआ.
वैसे तो यह समारोह 3 मई, 2020 को होना था मगर तब कोरोना के कारण इसे टाल दिया गया था. इस अवसर पर सिक्किम को सब से सिनेमा फ्रैंडली राज्य का सम्मान दिया गया. जबकि हिंदी फिल्मों में इस बार अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मानसिक स्वास्थ्य की बात करने वाली फिल्म ‘छिछोरे’ के साथ ही घोषित भाजपा समर्थक अभिनेत्री कंगना रनौत ने बाजी मारी है. उन्हें ‘मणिकर्णिका’ और फिल्म ‘पंगा’ के लिए पुरस्कार दिए गए. वहीं अक्षय कुमार की फिल्म ‘केसरी’ के गाने ‘तेरी मिट्टी…’ के लिए बैस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का अवार्ड बी प्राक ने अपने नाम कर लिया.