जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल्स (जीएएआर) 1 अप्रैल से लागू कर दिया जाएगा. कंपनियां अपने फायदे के लिए गलत तरीकों से टैक्स बचाने के लिए कई तरीके अपनाती हैं. कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए वित्त मंत्रालय ने यह फैसला लिया है. इस पर रोक लगाने के लिए वित्त मंत्रालय ने 1 अप्रैल 2017 से जीएएआर को लागू करने जा रही है.
जीएएआर ऐसे फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स पर लागू नहीं होगा, जिनका किसी देश को चुनने का मुख्य उद्देश्य टैक्स बेनेफिट लेना नहीं है.
क्या है जीएएआर?
जीएएआर(जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल्स) टैक्स की चोरी और काले धन पर रोकथाम के लिए बनाया गया नियमों का एक समूह है. सरकार कर चोरी को रोकने और भारत में राजस्व की वृद्धि के लिए इसे लागू करना चाहती है. बहुत से विदेशी निवेशक केवल कर नियमों का मनमाने ढंग से लाभ प्राप्त उठाते हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है. इसे रोकने के लिए सरकार तत्पर है. जीएएआर लागू करने का मुख्य उद्देश्य कर में मौजूद खामियों को दूर करना है.
जीएएआर नियम प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) 2010 में प्रस्तावित है और तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने आम बजट 2012-13 को प्रस्तुत करते समय गार के प्रावधानों का उल्लेख किया था. लेकिन बाद में इन नियमों को लेकर उठे विवादों से बचने के लिए इसे स्थगित कर दिया गया था.
कौन होंगे प्रभावित ?
दुनिया की कोई भी कंपनी अपना व्यापार ऐसे बनाती है कि वो ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचा सकते हैं. नए नियमों से सबसे ज्यादा मुश्किल उन पैसे प्रबंधकों के लिए होगी जो भारत में मॉरिशस जैसे टैक्स हैवन के माध्यम से निवेश करते हैं.
आम आदमी पर असर
आम आदमी पर भी जीएएआर नियमों का असर पड़ेगा. आयकर न देने वाले कर्मचारियों के लिए अब टैक्स चोरी करना मुश्किल हो जाएगा. उदाहरण के लिए अब करों से बचने का उपाय करने के लिए किसी कर्मचारी का वेतन कम नहीं रखा जा सकेगा. इसके अलावा केवल ब्याज भुगतान पर कर कटौती के लिए लिया जाने पारिवारिक कर्जा भी अब गार के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा.