महिलाओं के लिए यूरिन से जुड़ी दिक्कतें परेशानी का सबब बनती हैं. ऐसी ही एक परेशानी है यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन (यूटीआई). शरीर में मौजूद मूत्रमार्ग जिंदगी भर ऐसे जीवाणुओं को पेशाब की थैली में जाने का रास्ता देता रहता है, जिन की वजह से यूटीआई दिक्कत होती है. इसी वजह से हर दूसरी महिला को जीवन में कभी न कभी यूटीआई से जरूर जूझना पड़ता है.

दरअसल, मेनोपौज के बाद ऐस्ट्रोजन हारमोन में कमी की वजह से इन्फैक्शन पैदा करने वाले जीवाणुओं के पनपने की संभावना काफी बढ़ जाती है. महिलाओं के प्रजनन काल के समय ऐस्ट्रोजन हानिकारक जीवाणुओं को वैजाइना में घर बनाने से रोकता है. उस के पीएच स्तर को कम रखता है और उस के लिए जरूरी जीवाणुओं की वृद्धि में मदद करता है. यही जीवाणु यूटीआई से लड़ते हैं. ऐस्ट्रोजन में कमी और बढ़ोतरी दोनों से ही यूटीआई होता है, क्योंकि दोनों ही स्थितियों में योनि की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं.

क्या है यूटीआई

यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन यानी मूत्रमार्ग के संक्रमण को बोलचाल की भाषा में यूटीआई कहते हैं. यह दरअसल, बैक्टीरिया का संक्रमण है. यह मूत्रमार्ग के किसी हिस्से को प्रभावित कर सकता है. मुख्यतया ई-कोलाई नामक बैक्टीरिया से यूटीआई की समस्या पैदा होती है. अन्य कई किस्म के बैक्टीरिया, फंगस और परजीवियों से भी यूटीआई की समस्या होती है. यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन जैसाकि नाम से ही स्पष्ट है हमारे यूरिनरी सिस्टम का संक्रमण है. इस सिस्टम के अंग हैं किडनी, यूरिनरी ब्लैडर और यूरेथ्रा. इन में कोई अंग संक्रमित हो जाए तो उसे यूटीआई कहते हैं. इस संक्रमण के अधिकांश मरीजों के यूरिनरी टै्रक्ट का निचला हिस्सा प्रभावित होता है और यह संक्रमण यूरेथ्रा और ब्लैडर तक फैल जाता है. यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन वैसे तो अधिक गंभीर  समस्या नहीं है, पर समय पर इलाज न हो तो इस संक्रमण के चलते कई अन्य गंभीर समस्याएं जन्म ले सकती हैं.

यूटीआई के कुछ आम कारण हैं- पीरियड्स के दिनों में योनि और गुदामार्ग की साफसफाई में कमी, प्रौस्टेट का बड़ा होना और शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में कमी.

मूत्र मार्ग के अंदर और आसपास मौजूद बैक्टीरिया मौनसून में बहुत तेजी से बढ़ते हैं, जिस से संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. यह समस्या महिला और पुरुष दोनों में होती है. मगर महिलाओं में अधिक होती है. इस की वजह है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का यूरिनरी ट्रैक्ट छोटा होना.

रोकथाम के उपाय

– शारीरिक साफसफाई पर ध्यान देना जैसे यौन संबंध से पहले और बाद में पेशाब कर लेना.

– अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करना और पेशाब देर तक न रोकना.

– क्रैनबैरीज खाना या उन का जूस पीना, अनन्नास का जूस पीना भी इस बीमारी और इस के खतरे को कम करने में सहायक होता है.

– पर्याप्त विटामिन सी लेने से भी पेशाब में बैक्टीरिया नहीं पनपता है. 

– डा. अनुभा सिंह, गाइनोकोलौजिस्ट व आईवीएफ ऐक्सपर्ट

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