आनलाइन लेनदेन से जुड़ेंगे करोड़ों किसान
किसानों को सिखाया जाएगा डिजिटल लेनदेन
नई दिल्ली : नोटबंदी के मौजूदा अफरातफरी वाले माहौल में काफी कुछ नयानया सामने आ रहा है. किसानों के पास भी नकदी नहीं है, लिहाजा उन्हें भी दूसरे रास्ते ही अपनाने पड़ेंगे. यह तो सभी को पता है कि पैसों की किल्लत ने किसानों का हाल बिगाड़ रखा है, अब वे कब तक अपने आप को संभाल पाएंगे, यह देखने वाली बात है.
केंद्र सरकार ने खेती के लिए कैश पर निर्भर मुल्क के किसानों को अब डिजिटल लेनदेन की तालीम देने का फैसला लिया है. किसानों का हौसला बढ़ाने के लिए उन को नकदी के बगैर खेती करने के लाभ बताए जा रहे हैं. फिलहाल सरकार ने 5 करोड़ से ज्यादा किसानों को आनलाइन लेनदेन की तालीम देने का शिड्यूल बनाया है. इस काम के लिए कृषि मंत्रालय के साथसाथ उस की सहकारी संस्थाओं, नाबार्ड, इफको व अमूल वगैरह के अफसरों की टीमें काम पर लगाई गई हैं. कृषि मंत्रालय के एक बड़े अफसर के मुताबिक नोटबंदी के बाद पैदा हुए बवाल को मद्देनजर रखते हुए किसानों को ईवालेट, मोबाइल बैंकिंग व इंटरनेट बैंकिंग वगैरह तकनीकों की तालीम देने का फैसला किया गय है. किसानों को डिजिटल लेनदेन की तालीम देने के बारे में सरकार पिछले कुछ अरसे से तैयारी में जुटी हुई थी. इस के तहत नीति आयोग, वित्त मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, इफको, कृभको, नाबार्ड, मदर डेरी, अमूल, एनएसी, कोआपरेटिव सोसायटी व कोआपरेटिव बैंक वगैरह संस्थाओं के बड़े अफसरों को प्रशिक्षण दिया गया है.
तालीम हासिल करने के बाद ऊपर बताई गई संस्थाओं और विभागों के अफसर और दूसरे कर्मचारी तमाम सूबों में किसानों को डिजिटल लेनदेन की तालीम देंगे. किसानों को मोबाइल, आनलाइन व ईवालेट के जरीए लेनदेन सिखानेसमझाने के लिए उन के सामने यह सब कर के दिखाया जाएगा. इसी सिलसिले में जगहजगह पर पोस्टर व बैनर वगैरह बांटे जाएंगे. किसानों के मोबाइलों में बैंकिंग सुविधाएं शुरू की जाएंगी. जिन किसानों के खाते नहीं हैं, उन के खाते खोले जाएंगे. बिलकुल अनजान किस्म के किसानों को खाते के बारे में बाकायदा समझाया जाएगा. खातों के लेनदेन की जानकारी दी जाएगी और उस से मिलने वाले?ब्याज के बारे में भी बताया जाएगा. इसी सिलसिले में कोआपरेअिव बैंकों में तेजी से खाते खोले जा रहे?हैं.
केंद्र की इसी योजना के तहत इफको ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की दादरी मंडी में 2000 किसानों को कैशलेस लेनदेन सिखाया इन में से 30 किसानों ने मोबाइल बैंकिंग से खादबीज भी खरीदे. हरियाणा के पलवल में भी तमाम किसानों को मोबाइल बैंकिंग से जोड़ा गया. इसी मुहिम के तहत कृभको भी एयरटेल पेमेंट बैंकिंग से किसानों को जोड़ेगा. 10 दिनों में 500 खाते खोलने का लक्ष्य है. बिहार के मोतीहारी में होने वाले जागरूकता कार्यक्रम में 200 किसानों के खाते खोले जाएंगे. 61 कृषक भारती सेवा केंद्रों में प्वाइंट आफ सेल मशीनें यानी स्वैपिंग मशीनें लगेंगी. 260 केंद्रों में ये मशीनें लगाई जा चुकी हैं.
अमूल कंपनी से 34 लाख किसान जुड़े हुए हैं और उन में से 26 लाख किसान दूध की सप्लाई करते हैं. अमूल से जुड़े 11.5 लाख किसानों के बैंकों में खाते हैं. पिछले दिनों अमूल ने 2 लाख किसानों के नए खाते खुलवाए हैं. अब अगले 2 हफ्तों में अमूल का इरादा 3 लाख किसानों के खाते खुलवाने का है.
लड़खड़ाती कृषि सिंचाई योजना
लखनऊ : सभी खेतों को पानी पहुंचाने के इरादे से पूरे भारत में शुरू की गई प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना उत्तर प्रदेश सूबे में लागू होने से पहले ही लड़खड़ाने लगी है. इस योजना के तहत सूबे के हर जिले के लिए अलगअलग तैयार होने वाली जिला सिंचाई योजना (डीआईपी) बिना किसी जांचपड़ताल व खोजबीन के तैयार की गई. केंद्र से मिले करोड़ों रुपए की बंदरबांट हुई. जानकारों के मुताबिक जिले स्तर पर गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से तैयार इन डीआईपी के लिए संस्थाओं को अनियमित रूप से करोड़ों का भुगतान किया गया. बगैर किसी निविदा के तमाम जिलों की करोड़ों रुपए की डीआईपी तैयार करने की जिम्मेदारी गैर सरकारी संस्थाओं को सौंपी गई. संस्थाओं ने आधेअधूरे सर्वेक्षण कर के डीआईपी तैयार कर के उसे योजना की नोडल एजेंसी कृषि विभाग को सौंप दिया. केंद्र ने गाइडलाइन जारी कर के कहा था कि हर जिले के लिए तैयार डीआईपी में उस जिले के असिंचित क्षेत्र की पूरी जानकारी होनी चाहिए. यह बात भी बताना जरूरी था कि इन क्षेत्रों की सिंचाई के लिए पानी स्रोत कहां व कैसे विकसित होंगे.
इस योजना में जिलों में जल पंचायतों के गठन से ले कर लोगों के बीच बूंदबूंद पानी के इस्तेमाल के प्रति जागरूकता लाने की बात कही गई है.
अंदाजा
रबी में अच्छी पैदावार की उम्मीद
पटना : बिहार में ठंड की दस्तक से ही रबी की बेहतर पैदावार की उम्मीद जग गई है. इस के साथ ही रबी के अच्छे उत्पादन के लिए सरकार भी किसानों की पूरी मदद के लिए तैयार है. अक्तूबर में हुई बारिश की वजह से जमीन में काफी नमी आ गई थी, जिस से गेहूं की बोआई बहुत आसान हो गई है.
कृषि वैज्ञानिक ब्रजेंद्र मणि कहते हैं कि रबी की फसल अच्छी होगी, पर फसलों को लाही से बचाने के लिए किसानों को कुछ उपाय जरूर करने होंगे. बिहार सरकार ने इस साल 80 लाख टन गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य रखा है. इस के साथ ही उत्पादकता को बढ़ा कर 3100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर करना?है. इस के लिए कृषि विभाग किसानों को लगातार जागरूक करने में लगा हुआ है कि वे कतार में ही गेहूं की बोआई करें. गौरतलब है कि साल 2016-17 में रबी और गरमी की फसलों का उत्पादन लक्ष्य 1 करोड़ 32 लाख टन पूरा करना है.
इस लक्ष्य को पाने के लिए विभाग के सभी क्षेत्रीय पदाधिकारियों को यह जिम्मा सौंपा गया है कि वे उम्दा बीजों, खादों और कीटनाशकों का इंतजाम करें.
बंदिश
पाक ने कपास की खरीद रोकी
इस्लामाबाद : यह हकीकत तो सभी जानते हैं कि भारतपाकिस्तान के आपसी ताल्लुकात कभी भी अच्छे नहीं होते. दोनों मुल्क अच्छे संबंधों की दुहाई जरूर देते रहते हैं, पर इस से कुछ फायदा नहीं होता. इन संबधों का ही असर दोनों देशों के आपसी कारोबार पर भी पड़ता है. इन्हीं बातों से दोनों देशों के क्रिकेट संबंध भी प्रभावित होते हैं. महज क्रिकेट ही नहीं, तमाम खेलों के मामले में भी यही बात लागू होती है. फिलहाल चूंकि सीमा पर तनाव चल रहा है, लिहाजा पाकिस्तान ने भारत से कपास सहित तमाम कृषि उत्पादों की खरीद रोक दी है. टमाटर और दूसरी कई सब्जियों पर कुछ अरसे पहले ही पाबंदी लगाई जा चुकी है.
पाकिस्तान के सुरक्षा विभाग ने पिछले दिनों कहा कि वाघा बार्डर और करांची बंदरगाह के जरीए भारत से कृषि उत्पादों का आयात फिलहाल रोक दिया गया है. ऐसी किसी भी खरीद के लिए परमिट की मंजूरी अगले आदेश तक के लिए रोक दी गई है. पाकिस्तान का यह तेवर सही नहीं कहा जा सकता. खैर उस से भारत को खास फर्क नहीं पड़ता. भारत से नाराजगी जता कर या पंगा ले कर पाकिस्तान का कोई भला नहीं होने वाला.
दिक्कत
धान न बिकने से किसान परेशान
गाजियाबाद : यह हकीकत तो जगजाहिर है कि किसान नोटबंदी की जबरदस्त मार झेल रहे हैं. नए नोट न मिलने से किसानों को रोजमर्रा का सामान खरीदने में बहुत ही ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बैंकों में जमा होने के बावजूद किसानों को अपनी गाढ़ी कमाई मौके पर नहीं मिल पा रही है. इस के अलावा उन्हें धान की फसल के खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं. किसानों के सामने गेहूं की बोआई के लिए खादबीज खरीदने की भी दिक्कत है. मजबूर हो कर किसान कम कीमत पर भी धान बेचने को तैयार हैं, मगर इस के बाद भी उन्हें ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. ग्रामीण इलाके के बैंकों में नकदी न भेजे जाने से लोग नए नोटों के लिए परेशान हैं. ज्यादातर गांव के परिवारों में हर परिवार से सिर्फ 1 ही व्यक्ति का बैंक में अकाउंट है. गांव के लोगों का कहना है कि उन्होंने घर में रखे पुराने नोट तो जैसेतैसे बैंकों में जमा कर दिए, मगर अब उन्हें कामकाज के लिए अपना ही पैसा नहीं मिल पा रहा है. बहुत मुश्किल से कई दिनों में अगर 1 बार नंबर आ भी पाता है, तो महज 2000 रुपए हाथ आते हैं.
गांव रघुनाथपुर खेड़ा निवासी किसान लेखराज सिंह ने बताया कि पिछले साल तो उन का धान तुरंत बिक गया था, मगर इस बार उन्हें ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. फरीदनगर के रहने वाले किसान अनवर सैफी के मुताबिक उन का ज्यादातर धान अभी उन के घर में ही पड़ा हुआ है, पर ग्राहक नहीं है. अमराला गांव के किसान नरेश कुमार सिंह का कहना है कि उन का धान नोटबंदी से पहले ही अच्छे दामों में बिक गया था. तमाम किसानों का कहना है कि धान की फसल अगर बिक भी रही?है, तो भुगतान में उन्हें चेक मिल रहे हैं और बैंक में चेक जमा कराने के लिए लंबी लाइन में लग कर घंटों खड़े रहना पड़ता है. चेक जमा कराने से ज्यादा दिक्कत तो बैंक से रकम निकालने में आती है. सारा दिन लाइन में लगने के बाद थोड़े से पैसे मिलते हैं और कभीकभी तो ‘कैश नहीं है’ सुन कर खाली हाथ लौटना पड़ता है.
हालात
अखिलेश को लिखी खून से चिट्ठी
आगरा : अखिलेश यादव किसानों को बिना परेशान किए जमीन अधिग्रहण करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन ये दावे जमीनी स्तर पर खरे नहीं उतर रहे हैं. सूबे के किसान सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट इनर रिंग रोड के लिए अधिग्रहीत की जाने वाली जमीन को ले कर परेशान हैं. धरने पर बैठे किसानों ने सीएम अखिलेश यादव को खून से पत्र लिखा है. साथ ही कहा है कि वे किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देना चाहते हैं. भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में शुक्रवार को तीसरे दिन भी धरनाप्रदर्शन जारी रहा. सीएम अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट इनररिंग रोड को ले कर किसानों ने कहा कि वे किसी भी कीमत पर इस इनर रिंग रोड को नहीं बनने देंगे. किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम खून से खत लिखा और मांग की कि उन को 4 गुना जमीन का मुआवजा दिया जाए. इस के साथ ही जब से जमीन अधिग्रहीत की गई थी, उस समय से जितनी देरी हुई है, उस का ब्याज भी दिया जाए.
हैरानी
नीतीश की गाय के अनोखे बच्चे
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जर्सी गाय ने अनोखे जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है. एक चितकबरे रंग का बछड़ा है और दूसरी काले रंग की बछिया है. हैरानी की बात यह है कि दोनों बच्चे अलगअलग नस्ल के हैं. बछड़ा फ्रीजियन और बढि़या जर्सी नस्ल की है. पशु वैज्ञानिक हैरान हैं कि कृत्रिम गर्भाधान के बाद एक गाय 2 अलगअलग नस्ल के बच्चों को कैसे जन्म दे सकती है. कुछ वैज्ञानिक दोनों की नस्लों को एक ही करार दे रहे हैं. कुछ वैज्ञानिक कह रहे हैं कि गाय का कृत्रिम गर्भाधान (एआई) 2 बार कराया गया, जिस से 2 नस्ल के बच्चे पैदा हुए. एक बार सुबह के वक्त और दूसरी बार शाम को गर्भाधान किया गया था.
सुविधा
बकरी फार्म खोलने में मदद करेगी सरकार
पटना : बिहार में निजी क्षेत्र में बकरीपालन और भेड़पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार पशुपालकों को मदद देगी. इस योजना के तहत 20 बकरियों और 1 बकरे का फार्म खोलने के लिए 1 लाख रुपए तक का अनुदान दिया जाएगा. इस के साथ ही उन्हें पालनपोषण के तरीके सिखाने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी. पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक समेकित बकरीभेड़ विकास योजना के तहत गरीब परिवारों को जीविका चलाने के लिए प्रजनन योग्य 3 बकरियां मुफ्त में दी जाएंगी. इस योजना का मकसद स्वरोजगार को बढ़ावा देना है. पशुपालन निदेशालय बकरी और भेड़ पालने वालों को नई तकनीक की ट्रेनिंग देगा. राज्य में उन्नत नस्ल की बकरियों और भेड़ों की कमी को पूरा करने के लिए इस योजना को शुरू किया गया है. फिलहाल उन्नत नस्ल के बकरे पश्चिम बंगाल और हैदराबाद से मंगाए जाते हैं. ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरे के फार्म लगाने पर भी अनुदान मिलेगा. अनुदान पाने के लिए जिलों के पशुपालन कार्यालयों में औनलाइन और औफलाइन आवेदन दिया जा सकता है. फार्म लगाने वालों के पास कम से कम 1800 वर्गफुट की खुली जगह होनी चाहिए. इस में 600 वर्गफुट में बकरी के लिए शेड बनाए जाएंगे. यानी जिन लोगों के पास 1800 वर्गफुट की खुली जगह मौजूद होगी, वे बैठेठाले अपना कारोबार चालू कर सकते है
जलसा
भोपाल में चौथा अंतर्राष्ट्रीय एग्री व हार्टिकल्चर मेला
भोपाल : पिछले दिनों मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के विट्ठल मार्केट के दशहरा मैदान में चौथे अंतर्राष्ट्रीय कृषि एवं बागबानी मेले का आयोजन किया गया. मेले का उद्घाटन कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने किया. किसान कल्याण कृषि विकास विभाग, मध्य प्रदेश और राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम के सहयोग से आयोजित इस मेले में कृषि, बागबानी, पशुपालन और दूध उत्पादन से जुड़ी निजी एवं सरकारी संस्थाएं शामिल हुईं. मेले में एटीएम मशीन की तर्ज पर कार्ड डाल कर दूध के पैकेट निकालने वाली मशीनें खास थीं. वहां बीजों को एक छोटी ट्रे के माध्यम से पौधारोपण की तकनीकें, हार्वेस्टर और छोटे ट्रैक्टरों सहित करीब 150 से ज्यादा स्टाल सजे. थे. मेले का निरीक्षण कर रहे कृषि मंत्री ने इसे न सिर्फ किसानों, बल्कि आम लोगों के लिए भी फायदेमंद बताया. उन्होंने कहा कि वे इस एक्सपो के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में होने वाले बदलाव और नई तकनीक के बारे में जानकर खुश हुए.
मेले का मकसद किसानों सहित आमजन को खेती व बागबानी के क्षेत्र में आ रही नई नीतियों और तकनीकों से अवगत कराना और इस से होने वाले फायदों की जानकारी देना था.
नाराजगी
आलू बांट कर खिलाफत जताई
लखनऊ : नोटबंदी के कहर ने देश के कोनेकोने में लोगों की जिंदगी तबाह कर के रख दी है. हर कदम पर लोग परेशानियों का सामना करने पर मजबूर हैं. खासकर किसान लोगों का हर काम नोटों की दिक्कतों का शिकार हो रहा है. उन का कोई भी काम सही तरीके से समय पर नहीं निबट पा रहा है. खादबीज के लिए पुराने नोटों से खरीद की इजाजत न मिलने से नाराज किसानों ने पिछले दिनों लखनऊ में विधान भवन के सामने सैकड़ों क्विंटल आलू और धान रास्ते पर आतेजाते लोगों को मुफ्त में बांट दिया हालात के मारे किसानों का आरोप है कि शासनप्रशासन से ले कर केंद्र सरकार तक उन के नाम पर राजनीति कर रही है. भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले हुए आलू और धान वितरण के दौरान जम कर नारेबाजी भी की गई. एक किसान नेता ने बताया कि मौजूदा हालात ने उन की हालत बिगाड़ कर रख दी है, लिहाजा अपनी खिलाफत जाहिर करने के लिए उन्होंने सारा आलू व धान तमाम राहगीरों को बांट दिया. सवाल उठता है कि विरोध के इस इजहार का क्या सरकार पर कोई असर पड़ेगा.
मुहिम
कर्जमाफी के लिए मोदी से मिले कांग्रेसी
नई दिल्ली : देश में किसानों की दुर्दशा को उजागर करने और उन के कर्ज माफ करने की मांग को ले कर राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. नोटबंदी के मुद्दे को ले कर राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पर किए करारे हमले की पृष्ठभूमि में हुई इस बैठक के दौरान कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने कर्जमाफी, बिजली का बिल घटा कर आधा करने और खेती के उत्पाद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लाभ समेत किसानों की मांग पर मोदी को एक ज्ञापन सौंपा. इस दल में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, दोनों सदनों में उपनेता आनंद शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया, पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह और उत्तर प्रदेश प्रमुख राज बब्बर शामिल थे. बैठक के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि मोदी ने उन्हें धैर्यपूर्वक सुना, लेकिन कोई वादा नहीं किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने देश में किसानों की दुर्दशा के मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की.
पंजाब में हर रोज एक किसान खुदकुशी करता है. देशभर में किसान आत्महत्या कर रहे?हैं. राहुल ने कहा कि सरकार ने गेहूं पर आयात शुल्क हटा लिया है. यह एक बहुत बड़ा झटका है. इसलिए हम देश के किसानों की ओर से प्रधानमंत्री से ऋण माफी के लिए अनुरोध करने गए थे. राहुल ने बताया कि प्रधानमंत्री ने यह स्वीकार किया कि किसानों के हालात गंभीर हैं, लेकिन ऋण माफी पर उन्होंने कुछ नहीं कहा. हाल में नोटबंदी के मुद्दे पर आक्रामक हुए राहुल गांधी प्रधानमंत्री पर अकसर निशाना साधते रहे हैं. उन्होंने दावा किया था कि उन के पास प्रधानमंत्री के कथित निजी भ्रष्टाचार के संबंध में सूचना है, लेकिन?भाजपा ने इसे मजाक बताते हुए राहुल के आरोपों को खारिज कर दिया था. उत्तर प्रदेश में होने जा रहे चुनाव के मद्देनजर अपनी हाल की देवरिया से दिल्ली यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने किसानों के मुद्दे को उठाया था. कांग्रेस ने समूचे उत्तर प्रदेश से 2 करोड़ और पंजाब से 34 लाख से अधिक किसान मांगपत्र इकट्ठे किए थे. पंजाब में भी जल्द चुनाव होने हैं. राहुल ने बताया कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की यात्रा के दौरान किसानों ने अपनी 3 मांगें सामने रखी थीं. ये मांगे हैं कर्जमाफी, बिजली बिल आधा करना और उन के उत्पाद के लिए एमएसपी का मुनाफा.
राहुल ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा?है कि जिस तरह से सरकार ने 140000 करोड़ रुपए की कर्जमाफी की थी, उसी रूप में किसानों के कर्ज को माफ किया जाना चाहिए. उन्होंने आगे बताया कि शिष्टमंडल ने महाराष्ट्र और कर्नाटक में किसानों की दुर्दशा के मुद्दे को उठाया था. राहुल गांधी को इस बात की उम्मीद है कि उन की मुहिम रंग लाएगी और वे किसानों को भरपूर सहूलियतें मुहैया करा सकेंगे.
असर
सब्जियों और किराने के आनलाइन बाजार में इजाफा
नई दिल्ली : मौजूदा हालात और केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले का आनलाइन कारोबार पर काफी असर पड़ा है. नवंबरदिसंबर के दौरान किराने और फलसब्जियों के आनलाइन बाजार में इजाफा हुआ है. इंटरनेट बिजनेस पर नजर रखने वाली एडवाइजरी फर्म रेडसीर कंसल्टिंग के मुताबिक कैश की कमी की वजह से तमाम उपभोक्ताओं ने रोजाना जरूरत की तमाम चीजों की खरीदारी आनलाइन की. तमाम लोगों ने फलों व सब्जियों जैसी चीजों की खरीदारी भी आनलाइन ही की. इस तगड़ी आनलाइन खरीदारी से पिछले दिनों ‘बिग बास्केट’ व ‘ग्रोफर्स’ जैसी कंपनियों के कारोबार में 30 से 40 फीसदी का इजाफा हुआ. रेडसीर कंसल्टिंग के सीईओ अनिल कुमार का कहना है कि यह एक बेहतर संकेत है, क्योंकि इस से पहले इन कंपनियों का कारोबार बहुत अच्छा नहीं था.
हालात को देखते हुए आनलाइन बाजार में इजाफा दर्ज होना लाजिम है. अलबत्ता ज्यादातर लोग आज भी पैसे चुका कर सीधी खरीदारी करना ही ज्यादा पसंद करते हैं.
आगाज
ईफारेस्ट मंडी पोर्टल लांच
पटना : देशभर में बिहार पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां अब वेब पोर्टल के जरीए वन उत्पादों की खरीद और बिक्री होगी. राज्य के वन और पर्यावरण विभाग ने इस के लिए ईफारेस्ट मंडी को लांच किया है. विभागीय मंत्री तेज प्रताप यादव ने कहा कि वेब पोर्टल के जरीए लकड़ी, औषधीय पौधों व सजावटी पौधों समेत हर तरह के वन उत्पादों और आरा मशीनों की खरीद और बिक्री होगी. उन्होंने कहा कि कृषि रोडमैप के तहत 25 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इस के अलावा राज्य में हरियाली का आवरण बढ़ाने के लिए हरियाली मिशन भी चलाया जा रहा है. पर्यावरण विभाग के धान सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि पोर्टल से छोटे किसानों को जोड़ा जाएगा. इस का लाभ लेने वालों का आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा. इस के लिए कोई फीस नहीं ली जाएगी. विक्रेता अपने उत्पादों को पोर्टल पर प्रदर्शित कर सकेंगे.
लखनऊ की संस्था सेंटर फार ऐरोमैटिक एंड मेडिसनल प्लांट और पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के जरीए निबंधित लोगों को पूरी जानकारी मुहैया कराई जाएगी. सेंटर फार ऐरोमैटिक एंड मेडिसनल प्लांट ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं. यकीनन खेती के मामले में बिहार सूबे की तरक्की काबिलेतारीफ कही जा सकती है. सब से पहले वेब पोर्टल को अपना कर बिहार ने दूसरे सूबों के सामने मिसाल पेश की है.
तरीका
दियारा में उपजेगा विदेशी मटर
मोकामा : बिहार के मोकामा दियारा इलाकों के किसानों को विदेशी मटर मालामाल बनाएगी. जीएस 10 किस्म की मटर न्यूजीलैंड से मंगाई गई है. बीते 15 अक्तूबर से उस की बोआई का काम शुरू हो चुका है. इस साल जलजमाव की वजह से टाल इलाकों में दलहनी फसलों की बोआई नहीं हो सकती है. ऐसी हालत में वहां के किसानों को विदेशी मटर की किस्म नुकसान नहीं होने देगी. गौरतलब है कि टाल इलाकों में हर साल एक ही फसल का उत्पादन किया जा सकता है, क्योंकि जून से नवंबर महीने तक यह इलाका पानी में डूबा रहता है. दलहनी फसलों के विकल्प के तौर पर इस मटर को लगाया गया है. मटर की यह किस्म टाल इलाके के मौसम और मिट्टी के लिए काफी मुफीद है. यह मटर 3 महीने में तैयार हो जाती है. सामान्य मटर के मुकाबले इस में महीने ज्यादा समय लगता है, पर उत्पादन दोगुना होता है. साधारण मटर की प्रति एकड़ खेती करने से 25 क्विंटल तक का उत्पादन मिलता है, जबकि विदेशी किस्म से प्रति एकड़ 45 से 50 क्विंटल पैदावार मिलती है. इस की 1 फली में 10-12 दाने होते हैं किसानों को जीएस 10 किस्म के मटर का बीज अनुदानित दर पर मुहैया कराया गया है. प्रति एकड़ 32 किलोग्राम बीज किसानों को दिया गया है. बीज लेने के लिए किसानों को 7040 रुपए देने होंगे और अनुदान की रकम के 3200 रुपए किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे.
कुल मिला कर सूबे के मोकामा दियारा इलाकों के किसानों की भलाई के लिए सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम काबिलेतारीफ ही कहा जाएगा.
योजना
पैक्स लगाएंगे चावल मिल
पटना : बिहार के पैक्सों (प्राथमिक कृषि साख समितियों) को चावल मिल लगाने के लिए सरकार 25 लाख रुपए तक का अनुदान देगी. राज्य में 8463 पैक्स हैं और वे चावल मिल लगाने की योजना का फायदा उठा सकते हैं. व्यापार मंडल को भी इस योजना का फायदा मिल सकता है. चावल मिल लगाने के लिए पैक्स के अध्यक्ष को जिला सहकारिता कार्यालय में आवेदन देना होगा. सहकारिता विभाग ने बिजली चालित चावल मिलों को लगाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इस के तहत प्रति घंटा 20 क्विंटल धान की कुटाई की कूवत वाली चावल मिलें लगाई जानी हैं. 1 मिल के लगाने पर 50 लाख रुपए खर्च आएगा, जो अनुदान के तौर पर मिलेगा. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस योजना को जमीन पर उतारा जाएगा. इस से पैक्सों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद में काफी सुविधा हो जाएगी. किसानों को इस से काफी फायदा मिल सकेगा. गौरतलब है कि इस साल सरकार ने धान की खरीद का लक्ष्य तय नहीं किया है.
इरादा
6 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य
पटना : कृषि वानिकी योजना के तहत अगले 5 सालों में बिहार के सभी जिलों में 6 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. बिहार के हर जिले में अब कृषि वानिकी योजना को लागू किया जाएगा. इस के साथ ही पिछले साल पौधारोपण करने वाले उन जिलों के किसानों को भी फायदा मिलेगा, जो उस वक्त इस योजना में शामिल नहीं थे. इस से जहां किसानों की आमदनी में इजाफा होगा वहीं अगले 5-6 सालों में पौपुलर लकड़ी बिहार के बाजार में छा जाएगी. प्लाइवुड बनाने के काम में आने वाली इस लकड़ी को फिलहाल पंजाब और हरियाणा से मंगाया जाता है. बिहार सरकार ने वन भूमि का अनुपात 9.79 फीसदी से बढ़ा कर 15 फीसदी करने का लक्ष्य तय कर दिया है. इस काम में किसानों की ज्यादा से ज्यादा सहभागिता के लिए ही कृषि वानिकी योजना को सूबे के सभी 38 जिलों में चालू किया गया है. पहले 13 जिलों में ही यह काम चल रहा?था. बाकी जिलों में इस योजना को पहले 2 सालों के बाद शुरू करना था. पहले ही साल में मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, औरंगाबाद, सारण, पूर्णियां, मधेपुरा और भभुआ जिलों के किसानों ने डेढ़ लाख से ज्यादा पोधे लगा दिए. किसानों की दिलचस्पी को देखते हुए सरकार ने सभी जिलों में इसे लागू करने का मन बना लिया.
मदद
बिजली बिलों का सरचार्ज माफ
लखनऊ : चुनावों का मौसम आमतौर पर कई किस्म की राहतें व सहूलियतें ले कर आता है. इस मौसम में किसानों का कुछ ज्यादा ही खयाल रखा जाता है. उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से पहले भी कुछ ऐसा ही माहौल नजर आ रहा है. इस बार विधानसभा चुनावों से ऐन पहले उत्तर प्रदेश सूबे की सरकार ने किसानों के बिजली बिल घटाने के लिए नायाब उपहार दिया है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर पावर कार्पोरेशन ने ग्रामीण इलाकों के निजी नलकूपों के बिल जमा करने के लिए सरचार्ज मुक्त एकमुश्त समाधान शुरू किया है. यह योजना दिसंबर महीने की शुरुआत से ही लागू की जा चुकी है. योजना के तहत निजी नलकूपों के बिजली बिल बकायादारों का पूरा सरचार्ज माफ कर दिया जाएगा. पावर कार्पोरेशन के एमडी एपी मिश्रा के मुताबिक योजना के तहत 31 दिसंबर तक 2500 रुपए जमा कर के किसान अपना पंजीकरण करा सकेंगे. जब बिजली का बिल जमा किया जाएगा, तब पंजीकरण की रकम को उस में जोड़ लिया जाएगा. कुल मिला कर अखिलेश यादव के इस कदम को काबिलेतारीफ कहा जाएगा. नोटबंदी से दुखी किसानों के लिए बिजली बिलों का सरचार्ज माफ किया जाना किसी नायाब तोहफे से कम नहीं है.
इजाफा
हरियाणा में बढ़ा गन्ने का दाम
चंडीगढ़ : हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य में गन्ना किसानों को देश में सब से ज्यादा मूल्य देने ऐलान किया है. मुख्यमंत्री ने कहा, ‘गन्ना उत्पादन की लागत और मेहनतकश किसानों की मांग को ध्यान में रखते हुए गन्ना नियंत्रण बोर्ड ने सभी पहलूओं पर विचार कर के गन्ने के भाव में बढ़ोतरी की है. अब किसानों को साल 2016-17 के लिए गन्ने की अगेती किस्म के लिए 320 रुपए प्रति क्विंटल, मध्यम किस्म के लिए 315 रुपए प्रति क्विंटल और पछेती किस्म के लिए 310 रुपए प्रति क्विंटल का भाव मिलेगा.’
इस से पहले गन्ने की अगेती किस्म के लिए 310 रुपए प्रति क्विंटल, मध्यम किस्म के लिए 305 रुपए प्रति क्विंटल और पछेती किस्म के लिए 300 रुपए प्रति क्विंटल का भाव दिया जा रहा था. इस वृद्धि से गन्ना किसानों को साल 2016-17 के दौरान लगभग 60 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लाभ हासिल होगा.
सुविधा
950 रुपए में बैटरी चालित स्प्रे पंप
भिवानी : सरकार की तरफ से किसानों कोे बैटरी चालित हस्त स्पे्र पंपों पर 50 फीसदी अनुदान दिया जाएगा. इस से किसानों को मार्केट में 1900 रुपए में मिलने वाल स्पे्र पंप 950 रुपए में मिलेगा. यह पंप सरसों की फसल के लिए दिया जाएगा. पंप पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर दिया जाएगा. जिले के किसानों को सरसों की फसल के लिए 150 बैटरी चालित स्प्रे पंपों और 200 हस्त चालित स्प्रे पंपों पर अनुदान दिया जाएगा. पंप के लिए किसानों को विभाग की वेबसाइट पर लाग इन करना होगा. लाग इन करने के बाद किसान को अपना पंजीकरण करवाना होगा. जो किसान पहले पंजीकरण करवाएगा, उसे स्प्रे पंप दिया जाएगा. बैटरी चालित स्प्रे पंप एचआरडीसी के बिक्री केंद्रों पर उपलब्ध करवाया गया है. डा. आत्माराम गोदारा ने बताया कि हरियाणा भूमि सुधार एवं विकास निगम की बवानीखेड़ा, दादरी और भिवानी दुकानों पर 50-50 बैटरी चालित स्प्रे पंपों को रखवाया गया है. सरकार की ओर से सूबे के किसानों को मुहैया कराई गई यह सुविधा वाकई बहुत अच्छा कदम है. वे महंगे पंपों को आधे दामों पर आसानी से ले सकते हैं.
नुकसान
प्याज की नहीं निकल रही लागत
फिरोजपुर झिरका : नोटबंदी के कारण प्याज अब मंदी की मार से जूझ रही है. इलाके के किसानों की हजारों टन प्याज खेतों में सड़ रही है. किसानों को प्याज की खेती से मुनाफा तो दूर, लागत भी वसूल नहीं हो पा रही है. हालांकि प्याज के दाम गिरने से आमजन तो खुश हैं, लेकिन इस से इलाके के किसान काफी दुखी दिखाई दे रहे हैं. महाराष्ट्र के नासिक के बाद हरियाणा और राजस्थान के नूंह इलाके में सब से ज्यादा प्याज उत्पादन किया जाता है. लेकिन सरकार की नोटबंदी की घोषणा के बाद से प्याज के दामों में तेजी से गिरावट आई है. मंडियों में इस समय 800 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से प्याज को खरीदा जा रहा है, जिस से किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है.
बदलाव
बागबानी की तरफ बढ़ रहे हैं छोटे चाय किसान
जलपाईगुड़ी : छोटे चाय किसानों को चाय का उचित दाम नहीं मिल रहा है. विश्व चाय दिवस पर यह आरोप लगाते हुए चाय किसानों ने चाय के साथसाथ पपीते, केले और स्ट्राबेरी की खेती भी शुरू की है. उत्तर बंगाल के ज्यादातर छोटे चाय किसान अब बागबानी की तरफ रुख कर रहे हैं. उत्तर बंगाल में छोटे चाय किसानों की कुल संख्या करीब 1 लाख 20 हजार है. इस इलाके में बड़ेछोटे बागान और बाटलीफ को मिला कर कुल लगभग 1470 लाख किलोग्राम चाय का उत्पादन होता?है.
इस में छोटे चाय बागानों के कच्चे पत्ते की उत्पादन में भागीदारी 42 फीसदी है. उत्तर बंगाल में बाटलीफ फैक्टरियों की कुल तादाद 164 है. जलपाईगुड़ी जिला लघु चाय किसान समिति के सचिव और कन्फेडरेशन आफ स्माल टी ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय गोपाल चक्रवर्ती ने बताया, ‘छोटे बागानों में 1 किलोग्राम पत्ते पर 11 रुपए का उत्पादन खर्च आता है, लेकिन कभीकभी ही ऐसा होता है कि 1 किलोग्राम चाय पत्ते का दाम 18 रुपए किलोग्राम तक मिलता है. बाकी समय दाम 14 रुपए तक ही सीमित रहता है. ऐसे में साल दर साल चाय की खेती मार खा रही है. इसीलिए हम लोग उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के सहयोग से नकदी की फसलों की ओर उन्मुख हो रहे हैं. छोटे चाय बागान 25 एकड़ के अंदर ही रहते हैं. चाय बागानों की खाली जमीन पर, चाय के पेड़ों से कुछ दूरी पर पपीते, स्ट्राबेरी, केला वगैरह की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. चाय पत्ते से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए बहुत से छोटे चाय किसान बागबानी की ओर बढ़ रहे हैं.’
उत्तर बंग विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलाजी विभाग के अधीन सेंटर फार फ्लोरीकल्चर एंड बिजनेस मैनेजमेंट (कोफाम) के तकनीकी अधिकारी अमरेंद्र पांडे ने बताया कि वे लोग विभाग के अधीन उन्नत किस्म के पपीते की खेती करने में सफल हुए हैं. चाय किसान 1 एकड़ में पपीते के 1200 पौधे रोप सकते हैं. इस में से 200 पौधे मर सकते हैं. 1 पेड़ से सालभर में 60 किलोग्राम फल मिल जाते हैं. अगर 20-25 रुपए प्रति किलोग्राम का दाम भी मान लें, तो 1 एकड़ पपीते की खेती से 12-14 लाख रुपए की आमदनी हो जाती है. अगर उत्पादन और दूसरे खर्च हटा दें, तो किसान को करीब 5-7 लाख रुपए का लाभ होगा. पपीते के ये पेड़ 4 महीने में ही फल देने लगते हैं. अगर आगामी साल के फरवरी में पपीते के पौधे रोप दिए जाएं, तो जुलाई से उत्पादन मिलना शुरू हो जाएगा. पांडे ने बताया कि उन का विभाग इच्छुक किसानों को पूरी सलाह देगा.
मुहिम
मंत्री का जैविक खेती पर जोर
गाजियाबाद : केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने किसानों को आधुनिक साधनों के साथ जैविक खेती करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस से कम लागत में ज्यादा पैदावार हासिल होगी. राधामोहन सिंह राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र गाजियाबाद एवं राष्ट्रीय सेवा भारती के संयुक्त तत्त्वाधान में फरीदनगर स्थित लाला मंशाराम राजकुमार सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित जैविक कृषि एवं रसोई वाटिका सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर कृषि मंत्री ने ग्रामीणों को कैशलेस खरीदारी के लिए भी उत्साहित किया. उन्होंने कार्यक्रम स्थल के पास ही एक चाय की दुकान पर मोबाइल एप के जरीए भुगतान कर के चाय खरीदी. उसी दौरान कृषि मंत्री ने नोटबंदी को कालेधन, भ्रष्टाचार व आतंकवाद के ताबूत में कील ठोंकने जैसा बताया. उन्होंने किसानों से कहा कि वे पर्यावरण व राष्ट्रीय हितों का खयाल रखें और देशी गाय के पालन पर ध्यान दें. उन्होंने कहा कि भारत एकलौता ऐसा देश है, जो जमीन को मां कहता है, लेकिन आज हम अपनी मां की सेहत के प्रति फिक्रमंद नहीं हैं. हमारे देश की मिट्टी बीमार हो चुकी है, फिर बीमार मां के बच्चे कैसे खुशहाल हो सकते हैं. इसीलिए सरकार ने देश के 14 करोड़ किसानों को सोइल हेल्थ कार्ड देने की योजना बनाई है, ताकि मिट्टी की जांच व इलाज हो सके.
योजना
सरकार लाएगी आयरन वाले चावल
नई दिल्ली : आयरन के लिए आमतौर पर पालक, अनार, सेब व चुकंदर जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, पर अब केंद्र सरकार चावल को भी आयरन का जरीया बनाने जा रही है. अब केंद्र सरकार चावल के जरीए महिलाओं और बच्चों में खून की कमी को दूर करने की तैयारी कर रही है. जैव प्रोद्योगिकी और आईआईटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों ने चावल को लौह तत्त्व से भरपूर बनाने की तकनीक विकसित कर ली है. इसे जल्दी ही मार्केट में लाने की कोशिशें की जा रही हैं.
सरकार की सोच है कि चावल को बच्चे व बड़े सभी पसंद करते हैं, इसीलिए इसे शरीर में खून की कमी दूर करने का जरीया बनाया जा सकता है. इसी शोध के तहत आयरन से भरपूर चावलों को आंगनबाड़ी और मिड डे मील जैसी योजनाओं के जरीए तमाम महिलाओं और बच्चों तक पहुंचाया जाएगा. जैव प्रौद्यौगिक विभाग के वैज्ञानिक डा. राजेश कपूर के मुताबिक तकनीक के जरीए आयरन को हस्तांतरित करने की कोशिशें की जा रही हैं. इस तकनीक के जरीए सिर्फ 80 पैसे प्रति किलोग्राम की लागत से चावल को आयरन से भरपूर बनाया जा सकता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर कोई आदमी, महिला या बच्चा इस आयरन वाले चावल को 1 साल तक खाएगा, तो उस में खून की कमी की दिक्कत नहीं रहेगी. आयरन वाले वाले चावल बनाने में चावल के टुकड़ों का इस्तेमाल किया जाएगा. आमतौर पर जब चावल तैयार किया जाता है, तो काफी दाने टूट जाते हैं. इन टूटे हुए दानों को पीस कर आयरन मिलाया जाता है और फिर उन्हें साबुत चावल का आकार दिया जाता है. जो आयरन वाला चावल बनता है, उस के दाम में 80 पैसे प्रति किलोग्राम का इजाफा हो जाता है. आयरन वाले चावलों के बारे में डाक्टर राजेश कपूर ने बताया कि जैव प्रोद्यौगिकी विभाग सूबों से बात कर रहा है. तमाम सूबे चाहें तो आयरन वाले चावलों को अपने मिड डे मील और आंगनबाड़ी कार्यक्रमों में शामिल कर सकते हैं. इस से महिलाओं व बच्चों की सेहत पर अच्छाखासा असर पड़ेगा. गौरतलब है कि भारत में करीब 50 फीसदी बच्चे और महिलाएं खून की कमी की चपेट में हैं. इसी तरह देश के करीब 25 फीसदी आदमी भी खून की कमी से जूझ रहे हैं. ऐसे में रोजाना आयरन वाला चावल खाना बेहद कारगर हो सकता है. यह चावल जल्द ही बाजार में मिलने लगेगा.
मेला
जैविक खेती को दिया जाएगा बढ़ावा
कोटा : जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में भदाना में जैविक उत्पादों का मेला आयोजित किया गया, जिस में आए कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को जैविक खेती की ओर लौटने का आह्वान किया. इस मौके पर जैविक उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई. राम कृष्ण शिक्षण संस्थान भदाना कट्स इंटरनेशनल और स्वीडिश सोसायटी फार नेचर कंजर्वेशन की ओर से हुए इस कार्यक्रम में जैविक खेती से तैयार अमरूद, बैगन, सरसों हलदी व नीबू वगैरह का प्रदर्शन किया गया. संस्थान के समन्वयक पार्षद युधिष्ठिर चानसी के अनुसार कट्स के परियोजना अधिकारी दीपक सक्सेना, धमेंद्र चतुर्वेदी ने जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के कार्यक्रमों की जानकारी दी. पर्यावरणविद् डा. एलके दाधीच ने रासायनिक खादों और कीटनाशकों से फसल और कृषि भूमि को बचाने की बात कही. बृजेश विजयवर्गीय ने कीटनाशकों से कृषि भूमि के साथ भूजल को सुरक्षित रखने की बात कही.
सीकेएस परमार ने जैविक खेती और जल ग्रहण की तकनीक के बारे में बताया. पूर्व उप जिला प्रमुख रेखा शर्मा ने जैविक खेती अपनाने पर जोर दिया. मिट्टी वैज्ञानिक जीएल मीणा ने मिट्टी के संरक्षण पर कई जानकारियां दीं. एनएल सक्सेना ने जमीन के संरक्षण पर विचार व्यक्त किए. इस मौके पर प्रगतिशील किसान नरेंद्र मालव, राजेश विजयवर्गीय, ओम सुमन और भावना शर्मा वगैरह को सम्मानित किया गया. मेले में पूर्व सरपंच गोपीलाल मेहरा, गीता दाधीच वगैरह मौजूद थे.
मधुप सहाय, भानु प्रकाश व बीरेंद्र बरियार
*
सवाल किसानों के
सवाल : गरमी के मौसम में गन्ने के रस के लिए अप्रैल, मई, जून की कोई बढि़या किस्म हो तो बताएं?
-सुभाष जैन, मध्य प्रदेश
जवाब : गरमी के मौसम में गन्ने के उम्दा रस के लिए कोशा 8432 किसम का इस्तेमाल करना फायदेमंद रहेगा.
*
सवाल : क्या गेहूं की अच्छी फसल लेने के लिए मुरगेमुरगी की बीट खेत में डाल सकते हैं? अगर हां, तो यह कब डालनी चाहिए?
-विवेक त्रिपाठी, अंबेडकरनगर
जवाब : किसान भाई, गेहूं की अच्छी फसल लेने के लिए मुरगेमुरगी की बीट खेत में डाल सकते?हैं. गेहूं का खेत तैयार करते समय पहली जुताई के दौरान बीट खेत में डालनी चाहिए. फिर खेत का पलेवा कर के गेहूं की बोआई करनी चाहिए. जहां तक मात्रा की बात है तो इसे 10-15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल कर सकते हैं.
*
सवाल : कृपया मिनी हारवेस्टर के बारे में जानकारी दें?
-मुर्तजा, एसएमएस द्वारा
जवाब : यह यंत्र मिनी हार्वेस्टर के नाम से प्रचलित न हो कर रीपर के नाम से जाना जाता है. यह ट्रैक्टर चालित के अलावा स्वचालित भी बाजार में मिलता है. इस में कटरबार व आगे की ओर चलाने के लिए इंजन लगा होता?है. मशीन को दिशा देने के लिए आदमी द्वारा पैदल चल कर मशीन को आगे की ओर चलाया जाता है. यह मशीन 3 व 5 हार्सपावर में मिलती है, जिस की कीमत 40000 से 70000 हजार रुपए के बीच होती?है.
*
सवाल : मैं पूसा एसटीएफआर मीटर किट (मिट्टी जांच मशीन) खरीदना चाहता हूं. इस की जानकारी दें?
-एसएमएस द्वारा
जवाब : इसे खरीदने के लिए आप वजीर सिंह दहिया के मोबाइल नंबरों 09958302277 व 07042160018 पर संपर्क कर सकते?हैं.
*
सवाल : मुझे अपने 5 बीघे क्षेत में भिंडी लगानी है, कोई अच्छी किस्म बताएं?
-एसएमएस द्वारा
जवाब : आप परभनी क्रांति किस्म को अपने खेत में लगाएं?
*
सवाल : गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले तरहतरह के खरपतवारों की रोकथाम के लिए उपाय बताएं?
-दीपक, उत्तर प्रदेश
जवाब : संकरी पत्ती वाले खरपतवार की रोकथाम के लिए क्लोडिनोफाव 400 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बोआई के 30 दिनों बाद इस्तेमाल करें. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए 2,4 डी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से बोआई के 30 दिनों बाद इस्तेमाल करें. संकरी व चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों की रोकथाम के लिए आइसोप्रोट्यूरान 700 ग्राम +2,4 डी 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बोआई के 30 दिनों बाद इस्तेमाल करें.
डा. हंसराज सिंह, डा. अनंत कुमार, डा. पीएस तिवारी व डा. प्रमोद मडके
कृषि विज्ञान केंद्र, मुरादनगर, गाजियाबाद
*
दिक्कत आप की दवा फार्म एन फूड की
खेतीकिसानी से जुड़ी अपनी समस्याएं हमें लिख कर भेजें. आप की समस्याओं का समाधान एक्सपर्ट करेंगे. समस्या के साथ अपना नाम व पता जरूर लिखें. आप हमें स्रूस् भी कर सकते हैं.
सवाल जवाब विभाग, फार्म एन फूड ई-3, झंडेवालान एस्टेट, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055
नंबर : 08447177778