नए जमाने में वक्त के साथसाथ तमाम तरह की तब्दीलियां आ चुकी हैं. बात फिलहाल दूध की है, तो पुराने दौर में ज्यादातर लोग दूधियों से ही दूध लेते थे. चाहे वह पानी मिला दूध लाए या झाग के सहारे कम मात्रा में दूध दे, पर दूध लेने का जरीया साइकिल पर आने वाले दूध वाले ही होते थे. बोतल का दूध, पौलीथीन के पैकेट का दूध या सिक्कों के सहारे निकलने वाले दूध की बात लोगों की सोच से परे थी.
मगर मौजूदा दौर में डेरी कारोबार यानी दूध के उद्योग का दायरा दुनिया भर में बहुत ज्यादा बढ़ गया है. इस काम में अब लाखोंकरोड़ों रुपए के वारेन्यारे होते हैं. बेशक पानी मिला घटिया दूध बेचने वाले घोसी आज भी मौजूद हैं, पर उन का वजूद व दायरा दिनबदिन घटता जा रहा है.
आजकल तो पढ़ेलिखे लोग भी दूध का धंधा करने में जरा भी नहीं झिझकते, बल्कि इस काम को अपनी शान समझते हैं. एक ऊंची बिरादरी का परिवार है, जहां ज्यादातर लोग डाक्टर व इंजीनियर जैसे पदों पर काम कर रहे हैं. पर उसी परिवार की नई पीढ़ी का 20 साला लड़का इस बात पर अड़ गया कि वह डेरी का ही काम करेगा. उस ने खुलेआम ऐलान कर दिया कि बड़ा अफसर बनने की उसे कोई आरजू नहीं है. रिश्तेदारों ने उसे ‘दूध वाला भइया’ और ‘ग्वाला’ जैसे जुमालों से जलील करने की कोशिश की, मगर उस ने अपना इरादा नहीं बदला आखिरकार घर वालों ने उसे डेरी शुरू करने लायक रकम मुहैया करा दी और वह बंदा अपनी मुहिम में जुट कर आगे बढ़ रहा है.
गहराई से सोचा जाए तो डेरी का काम कोई छोटा या घटिया काम कतई नहीं है, बस सोच का सवाल होता है. गांधीजी जैसे लोग तो मैला ढोने को भी नीची निगाह से नहीं देखते थे. लिहाजा डेरी के काम से जुड़ने वालों को नीचा नहीं दिखाना चाहिए. वैसे भी आने वाले वक्त में इस कारोबार का दायरा और भी बढ़ता जाएगा.
दुनिया पर नजर डालें तो सब से अमीर व विकसित देश अमेरिका दूध उत्पादन के मामले में पहले नंबर पर है. वहां बड़े पैमाने पर इस कारोबार को चलाया जाता है. अपना भारत इस मामले में दूसरे नंबर पर है. यकीनन इस कारोबार में रोजगार के भी भरपूर मौके हैं. दूध उद्योग में अच्छी नौकरी पाई जा सकती है और जिन के पास थोड़े पैसे हैं, वे खुद का दुग्ध कारोबार शुरू कर सकते हैं.
महज खेती के क्षेत्र में ही साइंस और तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो रहा, बल्कि डेरी कारोबार में भी ये चीजें शामिल हो चुकी हैं. अब दूध के कारोबार में नई व आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है और हर काम वैज्ञानिक तरीके से अंजाम दिया जा रहा है.
दिनबदिन दूध और उस से बनने वाली चीजों की मांग बढ़ती जा रही है. इसी हिसाब से डेरी कारोबार में विशेषज्ञों की जरूरत भी बढ़ रही है, ताकि दूध के उत्पादन को बेहतर कर के बढ़ाया जा सके.
आजकल भारत से उम्दा दूध व उस से बनी चीजें दूसरे देशों को भी भेजी जा रही हैं, लिहाजा इस कारोबार का दायरा लगातार बढ़ना लाजिम है.
डेरी कारोबार के तहत पशुओं की देखरेख, दूध उत्पादन व दूध की चीजें बनाना जैसे काम किए जाते हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से डेरी उद्योग का योगदान खासा अहम है, लिहाजा सरकार भी इसे पूरा बढ़ावा दे रही है.
भारत के ज्यादातर घरों में दूध व उस से बनी चीजों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसी वजह से तमाम बड़ी व नामी कंपनियां भी दूध कारोबार में शामिल हो गई हैं. तमाम मल्टीनेशनल कंपनियां भी भारत के दूध कारोबार से जुड़ने में दिलचस्पी दिखा रही हैं.
भारत में बने दूध उत्पादों को बड़े पैमाने पर विदेशों में भेजने से काफी विदेशी मुद्रा भी भारत आ रही है. इस कारोबार की लगातार बढ़ती अहमियत को देखते हुए कई संस्थान और महाविद्यालय इस से संबंधित कोर्स भी करा रहे हैं. डेरी टेक्नोलाजी के तहत डेरी इंजीनियरिंग, डेरी कैमिस्ट्री व डेरी बैक्टीरियोलाजी वगैरह क्षेत्र आते हैं.
डेरी के कोर्स के तहत छात्रों को मिल्क प्रोडक्शन, डेरी इक्विपमेंट एंड यूटीलिटीज, मिल्क प्रोसेसिंग एंड पैकेजिंग, डेरी प्रोडक्ट्स, डेरी मैनेजमेंट और मार्केटिंग की तालीम दी जाती है.
आजकल डेरी के काम में तकनीकी जानकारियों को जरूरी माना जाता है, लिहाजा कोर्स करने की अहमियत बढ़ जाती है. डेरी का कोर्स करने के लिए छात्रों को 10+2 (पीसीएम) की परीक्षा कम से कम 50 फीसदी अंकों से पास करना जरूरी है. डेरी के कोर्स के लिए साइंस और एग्रीकल्चर स्ट्रीम के छात्रों को तरजीह दी जाती है.
डेरी का कोर्स करने के बाद छात्रों को डेरी प्लांटों में नौकरियां आसानी से मिल जाती हैं. इस बात में शक नहीं है कि डेरी उद्योग एक सदाबहार क्षेत्र है. भारत में इस?क्षेत्र में लगातार तरक्की हो रही है, इसीलिए यहां माहिरों यानी विशेषज्ञों की मांग काफी बढ़ गई है.
डेरी के क्षेत्र में नौकरी के अलावा अपनी खुद की डेरी शुरू करने का भी मौका रहता है. आजकल तमाम लड़कियां भी इस क्षेत्र में खासी दिलचस्पी ले रही हैं. डेरी टेक्नोलाजी के क्षेत्र में एमएससी इन डेरी टेक्नोलाजी, एमटेक इन डेरी टेक्नोलाजी, बीटेक इन डेरी टेक्नोलाजी, बीएससी इन डेरी टेक्नोलाजी और डिप्लोमा इन डेरी टेक्नोलाजी की पढ़ाई की जा सकती है. तमाम मान्यता प्राप्त संस्थानों में इन कोर्सों की सुविधा मौजूद है. ऐसे कुछ खास संस्थान हैं : इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद एग्रीकल्चरल इंस्टीट्यूट, आनंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (गुजरात) और नेशनल डेरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (हरियाणा).
कुल मिला कर डेरी उद्योग की अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता. 2-4 लाख रुपए लगा कर भी यह काम शुरू किया जा सकता है. कुछ लोग आपस में मिल कर भी डेरी का कारोबार शुरू कर सकते हैं. वैसे आजकल सरकार भी डेरी कारोबार के लिए कम ब्याज पर कर्ज देने के साथसाथ अनुदान भी दे रही है. लिहाजा इच्छुक लोग धड़ल्ले से डेरी के काम को चालू कर सकते हैं.