प्रीबोर्ड की परीक्षा 12वीं के विद्यार्थियों के लिए आइरन गेट मानी जाती है, क्योंकि यह 12वीं के पाठ्यक्रम की समाप्ति और बोर्ड परीक्षाओं के मध्य की निर्णायक अवस्था मानी जाती है. किंतु प्राय: यह देखा जाता है कि 12वीं के विद्यार्थी इस परीक्षा को गंभीरता से नहीं लेते, जिस के फलस्वरूप उन की परफौर्मैंस बहुत अच्छी नहीं रहती.

प्रीबोर्ड परीक्षा में घटिया प्रदर्शन के कारण छात्रों के आत्मविश्वास में काफी कमी आ जाती है, जिस से मार्च में आयोजित होने वाली बोर्ड परीक्षाएं बुरी तरह से प्रभावित होती हैं.

ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रीबोर्ड परीक्षाओं के परिणाम काफी अहम और निर्णायक होते हैं, क्योंकि इन परिणामों के आधार पर बोर्ड की फाइनल परीक्षाओं के रिजल्ट का भलीभांति अनुमान लगाया जा सकता है. वर्षाें के बोर्ड रिजल्ट्स के टैं्रड को ध्यान में रख कर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि किसी स्टूडैंट के बोर्ड परीक्षा के परिणाम में प्रीबोर्ड परीक्षा में प्राप्त अंकों के प्रतिशत से या तो 10 फीसदी का इजाफा हो सकता है या 10 फीसदी की कमी हो सकती है.

प्रीबोर्ड परीक्षा के परिणामों की अहमियत को ध्यान में रखते हुए इस परीक्षा की योजनाबद्ध तैयारी की नितांत अनिवार्यता है.

यदि एक विद्यार्थी प्रीबोर्र्ड परीक्षा की तैयारी के लिए निम्न बातों का ध्यान रखे तो कोई शक नहीं कि एक अच्छे परिणाम एवं परफौर्मैंस के साथ एक प्रौस्पैक्टिव कैरियर की शुरुआत की जा सकती है.

पाठ्यक्रम से अवगत होना आवश्यक है

किसी विषय का पाठ्यक्रम उस विषय का बीकन लाइट होता है जो जहाज को रास्ता दिखाता है. यदि कोई स्टूडैंट अपने विषयों के पाठ्यक्रम को अच्छी तरह जान लेता है तो उस की आधी तैयारी मुकम्मल मानी जाती है. लिहाजा, विद्यार्थियों को अपने सभी विषयों के पाठ्यक्रम को अच्छी तरह से जान लेना चाहिए. विषयों के पाठ्यक्रमों को जानने के क्रम में निम्न महत्त्वपूर्ण बातों का भी ध्यान रखना चाहिए :

– पाठ्यक्रम में हाईवेटेज चैप्टर्स की लिस्ट बना लेनी चाहिए.

– दीर्घउत्तरीय प्रश्न जो प्राय: 6 अंकों वाले होते हैं, अच्छे रिजल्ट के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं. प्रत्येक विषय के सलेबस में ऐसे मार्क्स वाले चैप्टर्स की सूची भी तैयार कर लेनी चाहिए.

– न्यूमैरिकल प्रश्न वाले चैप्टर्स की लिस्ट बना लेने  से भी परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिलती है.

– डायग्राम्स औैर ग्राफ्स अच्छे अंक दिलाने वाले टूल्स माने जाते हैं. प्रत्येक अंक यूनिट में ऐसे चैप्टर्स का चयन कर लेने से परीक्षा की तैयारी आसान हो जाती है.

– वस्तुनिष्ठ प्रश्नों अथवा बहुविकल्पी प्रश्नों की तैयारी

12वीं की प्रीबोर्ड एवं बोर्ड परीक्षाओं में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की भी अहम भूमिका होती है. ये प्रश्न अंकों के अच्छे प्रतिशत के साथ परीक्षा पास करने में काफी फायदेमंद साबित होते है, किंतु ऐसे प्रश्नों की तैयारी आसान नहीं होती. इस के लिए सब्जैक्ट्स की पूरी और गहन तैयारी करनी होती है.

इन प्रश्नों की तैयारी के लिए सभी चैप्टर्स को इंटैंसिवली पढ़ने की जरू रत है. ऐसे प्रश्नों के उत्तर के साथ एक नोट बनाना अनिवार्य होता है. इन प्रश्नों की तैयारी से पूरा पाठ्यक्रम तैयार हो जाता है और स्टूडैंट को सैल्फ कौन्फिडैंस से भर देता है.

प्लान करें तथा परफैक्ट बनें

प्राय: ऐसा कहा जाता है कि यदि आप कोई योजना बनाने में असफल होते हैं तो आप असफल होने की योजना बना रहे होते हैं. आशय यह है कि प्रीबोर्ड जैसी परीक्षा की तैयारी के लिए एक दोषरहित योजना की नितांत आवश्यकता होती है. योजना बनाने के लिए निम्न बिंदुओं का ध्यान रखें :

–  परीक्षा की तैयारी के लिए उपलब्ध समय.

–  आप के पास संसाधनों की उपलब्धता.

– आप की इच्छाशक्ति एवं धैर्य निर्धारण.

– लक्ष्य को साकार करने के प्रति आप की वचनबद्धता.

डरें नहीं, न ही घबराएं

सीबीएसई के नियमानुसार 12वीं कक्षा के सभी विषयों के पाठ्यक्रमों की पढ़ाई 30 नवंबर तक मुकम्मल हो जानी चाहिए. प्रीबोर्ड परीक्षा की तैयारी काफी सैंसिटिव होती है. दिसंबर के सैकंड वीक में प्रीबोर्ड की परीक्षा प्रारंभ होती है.

30 नवंबर से ले कर प्रीबोर्ड की परीक्षा तक के मध्य मुश्किल से 2 सप्ताह का समय बचता है. परीक्षा की तैयारी के लिए उपलब्ध इतने अपर्याप्त समय को ध्यान में रख कर विद्यार्थी मनोवैज्ञानिक रूप से काफी घबरा जाते हैं. घबराहट के कारण उन का मनोबल टूट जाता है और परीक्षा की तैयारी काफी प्रभावित होती है.

इसलिए यह आवश्यक है कि स्टूडैंट मुश्किल की इस घड़ी में कभी भी घबराएं नहीं और न ही डरें. धैर्यपूर्वक तथा पौजिटिव सोच के साथ परीक्षा की तैयारी नियमित रूप से करते रहने से सफलता अवश्य प्राप्त होती है.

विषयों को वर्गीकृत करें

प्रत्येक छात्र का अपना फेवरिट सब्जैक्ट होता है, जिस की तैयारी के लिए उसे खास मेहनत नहीं करनी पड़ती. किंतु सभी छात्रों के लिए कुछ विषय काफी हाई होते हैं, जिन की तैयारी के लिए उन्हें अपेक्षाकृत अधिक समय तथा संसाधनों की जरूरत होती है. ऐसी परिस्थिति में यदि छात्र अपने सभी विषयों को इस आधार पर वर्गीकृत कर लें तो परीक्षा की तैयारी काफी हद तक आसान हो जाती है.

प्रत्येक स्टूडैंट को अपने विषयों में से मुश्किल विषयों का विवेकपूर्ण ढंग से चयन कर लेना चाहिए और तद्अनुसार उन की तैयारी करनी चाहिए. अपेक्षाकृत कठिन विषयों के लिए अधिक समय देना चाहिए.

सारांश यही है कि प्रीबोर्ड  की परीक्षा को कभी भी हलके में न लें, क्योंकि यह परीक्षा मार्च में आयोजित होने वाली बोर्ड परीक्षा का कर्टन रेजर होती है.                           

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