उस दिन दिवाली थी और तारीख थी 30 अक्तूबर, 2016. शाम होते ही अलवर शहर जगमगाने लगा था. हर घर रोशन हो चुका था. चौराहे और इमारतें सजावट की रोशनी से झिलमिला रही थीं. रात गहराते ही शहर की गलीमोहल्लों में पटाखे चलने लगे थे. आसमान में आतिशबाजी की सतरंगी छटा बिखरी हुई थी. दिवाली के मौके पर कानूनव्यवस्था एवं शांति बनाए रखने के लिए पुलिस के जवान शहर में गश्त कर रहे थे.
रात करीब पौने 12 बजे का समय रहा होगा, जब शहर कोतवाली थाने की पुलिस को सूचना मिली कि स्कीम नंबर-1 आर्यनगर में कबूतर पार्क के पास किसी का कटा हुआ पैर पड़ा है, जिसे कुत्ते नोच रहे हैं. कबूतर पार्क कोतवाली से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर था. पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची तो वहां जांघ तक कटा एक अधजला पैर 2 पौलीथिन में बंधा हुआ पड़ा मिला. पैर से दुर्गंध नहीं आ रही थी, लेकिन यह अंदाजा लगाना मुश्किल था कि इस पैर को कब काटा गया था.
अलबत्ता यह जरूर पता चल गया था कि वह किसी का दाहिना पैर है. पैर की अंगुलियों में बिछिया थीं. नाखूनों पर नेल पौलिश लगी थी. इस से पुलिस को यह विश्वास हो गया कि पैर किसी महिला का है. पुलिस ने आसपास पूछताछ की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली. इस के बाद कानूनी काररवाई कर के पैर को राजीव गांधी सामान्य अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया. उसी रात शहर कोतवाली में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. पैर पौलीथिन की जिन 2 थैलियों में रखा था, उन्हें पुलिस ने जब्त कर लिया था. इन थैलियों में एक थैली पर ‘सांगानेरी हाउस’ स्पैशलिस्ट इन ट्रैडिशनल सूट्स, ब्लौक प्रिंटिंग टाई डाई आयटम्स, तिलक मार्केट, अलवर लिखा था.
अगले दिन 31 अक्तूबर को गोवर्धन पूजा थी. बाजारों में सुबह से ही चहलपहल शुरू हो गई थी. इसी बीच सुबह करीब 9.50 बजे कोतवाली थाना पुलिस को फोन पर सूचना मिली कि चावंड पाड़ी मोहल्ले में एक कटा हुआ हाथ पड़ा है. खबर मिलते ही थानाप्रभारी राम सिंह मौके पर जा पहुंचे. वहां विनोद झालानी के मकान के सामने सड़क पर एक कटा हुआ हाथ पड़ा मिला. यह दाहिना हाथ था. पुलिस इस सिलसिले में पूछताछ कर ही रही थी कि तभी थानाप्रभारी के साथ गए सिपाहियों को वहां से थोड़ी दूरी पर चावंड माता के मंदिर के पास वाले गंदे नाले के पास कटा हुआ एक और हाथ नजर आया. यह बायां हाथ था. उस हाथ को कुत्तों ने नोच डाला था.
50 मीटर की दूरी में कटे हुए 2 मानव हाथ मिलने और इस से 9-10 घंटे पहले एक महिला का पैर मिलने से पुलिस को शक हुआ कि बाकी मानव अंग भी आसपास हो सकते हैं. कोतवाली प्रभारी राम सिंह ने मौके से ही एसपी राहुल प्रकाश और अन्य अधिकारियों को इस मामले की जानकारी दे दी. कटे हुए 2 हाथ और एक पैर मिलने से एसपी को यह अंदाजा हो गया कि किसी महिला की हत्या की गई है और उस के अंग काट कर शहर में अलगअलग जगहों पर फेंक दिए गए हैं.
एसपी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए एडिशनल एसपी पारस जैन और सीओ (उत्तर) जय सिंह नाथावत को मौके पर भेजा. इन पुलिस अधिकारियों ने वहां पहुंच कर जांचपड़ताल की, साथ ही आसपास के लोगों से पूछताछ भी की. लेकिन न तो हाथपैर की शिनाख्त हुई और न ही यह पता चला कि कटे हाथ कब फेंके गए थे.
इसी दौरान पुलिस को एक और सूचना मिली. इस सूचना में बताया गया था कि स्कीम नंबर-1 आर्यनगर के मकान नंबर-231 के सामने सड़क पर कटा हुआ एक पैर पड़ा है. पुलिस अधिकारियों ने चावंड पाड़ी में मिले दोनों कटे हाथ जब्त कर के सामान्य अस्पताल की मोर्चरी में रखवाने के लिए भेज दिए और वहां से स्कीम नंबर-1 चले गए.
वहां अनिल गुप्ता के मकान नंबर 231 के सामने सड़क पर एक पैर पड़ा था. यह बायां पैर था और कुत्तों ने नोच रखा था. यह जगह कबूतर पार्क के पास ही थी, जहां दिवाली की रात दाहिना पैर मिला था. पुलिस ने यह पैर भी जब्त कर के मोर्चरी भिजवा दिया.
10-12 घंटे के दौरान शहर में 4 अलगअलग स्थानों पर 2 कटे पैर व 2 कटे हाथ मिलने की खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई थी. लोगों ने वाट्सऐप सोशल मीडिया पर कटे मानव अंगों के फोटो डाल दिए. इस से शहर में सनसनी फैल गई. सनसनी फैलने की वजह यह थी कि शहर में इस तरह की वारदात पहले कभी सुनने में नहीं आई थी. अलवर तो दूर, पूरे राजस्थान में इस तरह की सनसनीखेज वारदात शायद ही कभी सुनने को मिली हो. अलबत्ता कई साल पहले नोएडा के पास निठारी में इस तरह की घटनाएं जरूर सामने आई थीं.
मामला गंभीर था. त्यौहार के मौके पर शहर में इस तरह 4 जगह मानव अंग मिलने की घटना से एसपी राहुल प्रकाश परेशान हो उठे. उन्होंने अपने मातहत अधिकारियों को बुलाया और उन से चारों जगह मिले अंगों के बारे में पूरी जानकारी ली. 2 हाथ और 2 पैर मिलने से एसपी को यह अंदाजा जरूर हो गया था कि किसी महिला की हत्या कर के शव के टुकड़े अलगअलग जगहों पर फेंके गए हैं. लेकिन अभी तक न तो सिर मिला था और न ही धड़.
एसपी ने सब से पहले पुलिस के जवानों को सिर और धड़ की तलाश में लगाने के निर्देश दिए, ताकि लोगों से शिनाख्त कराई जा सके कि कटे अंग किस के हैं. एसपी के निर्देश पर पुलिस की 5 टीमें गठित की गईं. इन टीमों को शहर में कचरे के ढेरों और बडे़ नालों के आसपास सिर व धड़ की तलाश में लगाया गया. इस काम में सफाईकर्मियों की भी मदद ली गई.
दूसरी ओर पुलिस ने शहर से लापता हुए लोगों के बारे में भी जानकारी जुटानी शुरू कर दी. शहर सहित आसपास के पुलिस थानों में पिछले 15 दिनों में लापता हुए लोगों की जो रिपोर्ट दर्ज हुई थीं, उन के बारे में भी जांचपड़ताल शुरू की गई. पुलिस ने लापता लोगों की दर्ज रिपोर्ट को सूचीबद्ध कर के उन के नामपतों के आधार पर घरघर जा कर पूछताछ की.
इस में पता चला कि ज्यादातर लापता लोग अपने घर लौट चुके हैं, लेकिन रिपोर्ट दर्ज कराने वालों ने पुलिस को इस की जानकारी नहीं दी थी. इस के अलावा पुलिस पूरीपूरी रात शहर के हर इलाके में गश्त करती रही. रात को घूमते मिले हर व्यक्ति से पूछताछ की गई. उन के नामपते नोट किए गए.
31 अक्तूबर की रात शांति से निकल गई. एक नवंबर का दिन भी निकल गया. पुलिस को कहीं से भी कोई मानव अंग मिलने की सूचना नहीं मिली. पुलिस को कचरे के ढेरों एवं नालों के आसपास भी ऐसा कुछ नहीं मिला. लापता संदिग्ध लोगों के घरों के तलाशी अभियान में भी पुलिस को कोई कामयाबी नहीं मिली. पुलिस ने दिवाली की रात कबूतर पार्क के पास मिले दाहिने पैर के साथ मिली पौलीथिन पर लिखे सांगानेरी हाउस के पते पर भी जा कर पूछताछ की, लेकिन कोई हल नहीं निकला.
2 नवंबर की सुबह हो गई. एसपी राहुल प्रकाश अपने आवास पर इसी मामले पर सोचविचार कर रहे थे. अनुभव के आधार पर वे मान रहे थे कि यह वारदात किसी साइको किलर की हो सकती है. किलर मानसिक रूप से विक्षिप्त भी हो सकता है. जिस तरह चारों हाथपैर अलगअलग काट कर फेंके गए थे, उस से लगता था कि वह निर्दयी भी रहा होगा. क्योंकि यह काम कोई सामान्य इंसान नहीं कर सकता था. अलबत्ता अब तक यह बात साफ हो गई थी कि अंग किसी महिला के हैं. इसलिए अनुमान लगाया गया कि महिला उस हत्यारे की पत्नी या प्रेमिका थी. निर्दयता से काटे गए अंगों से यह अनुमान भी लगाया जा रहा था कि हत्यारा उस महिला से बहुत ज्यादा नफरत करता था.
मानव अंग घरों में सब्जी काटने वाले चाकू से काटने संभव नहीं थे, इसलिए यह अनुमान लगाया गया कि महिला की हत्या के बाद किसी धारदार और पैने औजार से अंग काटे गए होंगे. मामले की जांच में जुटे अधिकारी अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे थे. इसी बीच 2 नवंबर को सुबह करीब साढ़े 7 बजे सूचना मिली कि रंगभरियों की गली में एक दुकान के सामने मानव धड़ पड़ा है. पुलिस मौके पर पहुंची, वहां धड़ के रूप में एक कंकाल सा पड़ा मिला. धड़ से मांस व आंतें वगैरह गायब थीं. पुलिस ने उस कंकालनुमा धड़ को जब्त कर के सामान्य अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दिया.
पुलिस अधिकारी इस मामले पर नए सिरे से विचार करने के लिए जुटे ही थे कि एक और सूचना आ गई. इस सूचना में बताया गया था कि राम मार्केट, ढकपुरी मोहल्ले में पौलीथिन में मांस के टुकड़े पड़े हैं. पुलिस ने मौके पर पहुंच कर मांस के टुकड़े जब्त कर लिए. मांस के टुकडे़ उसी कंकालनुमा धड़ का हिस्सा माने गए, जो सुबह रंगभरियों की गली में मिला था. पुलिस ने उन टुकड़ों को भी अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिए.
उसी दिन दोपहर करीब सवा 3 बजे कंपनी बाग के पीछे सेढ़ का टीला के पास कुछ बच्चे खेल रहे थे. तभी उन्हें प्लास्टिक के एक छोटे बोरे में कटा हुआ मानव सिर नजर आया. बच्चों ने इस की जानकारी आसपास के लोगों को दी. उन्होंने पुलिस को सूचना दे दी. मौके पर पुलिस को प्लास्टिक के बोरे में क्षतविक्षत मानव सिर मिला. सिर में केवल हड्डियां नजर आ रही थीं. उस के पास ही लंबे बालों का गुच्छा भी पड़ा मिला. कटा हुआ सिर कई दिन पुराना लग रहा था. चेहरा भी क्षतविक्षत था, जिस से पहचान नहीं हो पा रही थी.
लंबे बालों का गुच्छा मिलने से यह अनुमान लगाया गया कि सिर किसी महिला का है. बाल भी उसी महिला के होंगे. जिस जगह पर सिर मिला था, वहां पर लोग कचरा डालते थे. पुलिस पूछताछ में लोगों ने बताया कि उस दिन सुबह नगर परिषद के कर्मचारी वहां से कचरा उठा कर पूरी तरह सफाई कर के गए थे. दोपहर में कटा सिर मिलने से यह अंदाजा लगाया गया कि कटा हुआ सिर प्लास्टिक के बोरे में रख कर सुबह 8-9 बजे से दोपहर 2-3 बजे के बीच फेंका गया था. वहीं रंगभरियों की गली में सुबह ही कंकालनुमा धड़ मिलने से यह अनुमान लगाया गया कि उसे रात को किसी समय फेंका गया था.
30 अक्तूबर की रात से 2 नवंबर की शाम तक 4 दिनों के दौरान शहर में 7 अलगअलग स्थानों से मानव अंग मिल चुके थे. सिर व धड़ मिलने के साथ मानव शरीर के सभी अंग मिल चुके थे. 4 दिनों से शहर में महिला के अंग काट कर शहर में अलगअलग जगहों पर फेंकने से लोगों में दहशत फैलने लगी थी. लोग तरहतरह की चर्चाएं कर रहे थे. कोई इसे किसी तांत्रिक का कारनामा बता रहा था तो कोई कह रहा था कि अलवर में कनपटीमार जैसा कोई नया सनकी किलर आ गया है. कोई इसे नरपिशाच का कारनामा बता रहा था.
पुलिस अधिकारी भी हैरानपरेशान थे. जांचपड़ताल में हत्यारे का कोई सुराग नहीं मिल रहा था. अभी तक न तो कटे अंगों की शिनाख्त हुई थी और न ही यह पता चला था कि महिला की हत्या कितने दिनों पहले की गई थी. यह भी आशंका थी कि संभव है, एक से ज्यादा व्यक्ति की हत्या की गई हो. पुलिस के लिए यह मामला चुनौती बनता जा रहा था.
जयपुर रेंज के आईजी हेमंत प्रियदर्शी इस मामले को ले कर बेहद परेशान हो उठे. वे जयपुर से रोजाना मामले की मौनिटरिंग कर रहे थे. आईजी ने साइको किलर को पकड़ने के लिए फोरैंसिक लैब हैदराबाद के अधिकारियों से मार्गदर्शन ले कर अलवर के एसपी राहुल प्रकाश को दिशानिर्देश दिए.
एसपी राहुल प्रकाश ने 2 नवंबर की रात पुलिस अधिकारियों की बैठक ले कर इस मामले के सभी बिंदुओं पर विचारविमर्श किया. इस में यह बात भी निकल कर सामने आई कि हत्यारे ने किसी छोटे वाहन यानी दुपहिया, साइकिल या रिक्शा में रख कर या पैदल चल कर अलगअलग जगहों पर मानव अंग फेंके होंगे.
इस का कारण यह था कि ढकपुरी व रंगभरियों की गली में जिन स्थानों पर मानव अंग मिले थे, वहां कार आदि चौपहिया वाहन नहीं पहुंच सकते थे. इस से यह भी अनुमान लगाया गया कि हत्यारा शहर का ही कोई व्यक्ति है. कुछ अंग ऐसी जगहों पर मिले थे, जहां दिन भर आवागमन रहता था. व्यापक चर्चा के बाद नए सिरे से जांच करने के लिए स्पैशल टीम बनाई गई.
पुलिस दल ने उन सभी जगहों का दोबारा जा कर निरीक्षण किया, जहांजहां मानव अंग मिले थे. उन जगहों का पूरा मैप बनाया गया. ये सातों स्थान 2 किलोमीटर की परिधि में थे. आर्यनगर और चावंड पाड़ी के बीच भी आधा किलोमीटर का ही फासला था. रंगभरियों की गली व ढकपुरी और राम मार्केट पुराने शहर के हिस्से थे. पुलिस ने इन सभी क्षेत्रों में एक्टिव मोबाइल नंबरों की डिटेल्स निकलवाईं. इस के अलावा जहांजहां मानव अंग मिले थे, उन के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की भी खोजबीन की गई.
इस खोजबीन में करीब 30 जगहों पर कैमरे लगे मिले. पुलिस ने इन की फुटेज निकलवाई. इस के अलावा मृतका के पैरों की माप भी ली गई. उस के पैरों में 5 नंबर का जूता या चप्पल आ सकती थीं. पुलिस ने कई संदिग्ध लोगों से भी पूछताछ की. इस व्यापक छानबीन का निष्कर्ष निकाल कर पुलिस ने शहर के उन इलाकों में डोर टू डोर सर्वे शुरू करने का निर्णय लिया, जहां मानव अंग मिले थे.
3 नवंबर को सुबह से ही पुलिस ने डोर टू डोर सर्वे शुरू कर दिया. इस काम में शहर के सभी थानों के सैकड़ों पुलिसकर्मियों को लगाया गया. पुलिस ने यह अभियान शुरू किया ही था कि एक और नई सूचना आ गई. सूचना पर पुलिस दल बांसवाली गली पहुंचा, वहां एक पौलीथिन में बंधे महिला के स्तन, खाल व मांस के टुकड़े मिले, जिन से दुर्गंध नहीं आ रही थी. इस से यह अनुमान लगाया गया कि महिला के ये अंग फ्रिज में रखे रहे होंगे. पांचवें दिन मिले ये अंग भी पुलिस ने अस्पताल की मोर्चरी भिजवा दिए.
बांसवाली गली शहर की पुरानी आबादी में थी. यह जगह भी उसी 2 किलोमीटर के दायरे में थी. पुलिस ने डोर टू डोर सर्वे में इसी 2 किलोमीटर के दायरे पर सारा फोकस कर दिया. एकएक घर में जा कर पुलिस ने महिलाओं के बारे में जानकारी ली. उन के नामपते नोट किए.
इसी दिन दोपहर करीब ढाई बजे पुलिस की एक टीम सक्कापाड़ी मोहल्ले में एक पुराने मकान पर पहुंची. इस घर में एक युवक और करीब 3 साल की एक बच्ची मिली. युवक ने अपना नाम योगेश मल्होत्रा उर्फ चूचू बताया. उस की उम्र 35 साल थी. चूचू से उस की पत्नी के बारे में पूछा गया तो उस ने बताया कि वह घरों में झाड़ूपोंछे का काम करती है और शाम 4 बजे तक आएगी. पुलिस ने चूचू का मोबाइल नंबर नोट कर लिया.
शाम 4 बजे पुलिस दल दोबारा चूचू के मकान पर पहुंचा तो वहां ताला लटक रहा था. पुलिस ने पड़ोसियों और आसपास के अन्य लोगों से पूछताछ की तो यह तो पता नहीं चला कि चूचू कहां गया है, लेकिन चौंकाने वाली कई बातों की जानकारी जरूर मिली. 5 दिनों से चुप बैठे लोगों ने पुलिस को बताया कि चूचू की पत्नी आरती धनतेरस के दिन से दिखाई नहीं दे रही है.
पड़ोसियों ने यह भी बताया कि धनतेरस की शाम पतिपत्नी में झगड़ा हुआ था. रात को उन के मकान से केरोसिन के जलने की बदबू भी आई थी और धुआं भी उठता देखा गया था. लेकिन आसपास के लोग इसलिए नहीं बोले कि चूचू के घर में हर रोज झगड़ा होता था. लोगों ने बताया कि चूचू को मोपेड पर प्लास्टिक के बोरे में सामान ले जाते भी देखा गया था. उस के मकान में एक तहखाना होने की बात भी पता चली.
मोहल्ले वालों से ही पुलिस को पता चला कि चूचू करीब साढ़े 4 साल पहले आरती को पटना से ले कर आया था. आरती उस की दूसरी पत्नी थी. इस से पहले वह 2 शादियां कर चुका था. चूचू शादीपार्टियों में स्टाल लगाने के साथ रंगपेंट का भी काम करता था. उस के 2 भाई थे. उस के पिता व भाई की मौत हो चुकी थी. सक्कापाड़ी में उस का खुद का मकान था. उस की 3 बहनें भी थीं.
पुलिस की अब तक की जांचपड़ताल से सारी कडि़यां जुड़ती नजर आने लगी थीं. इसलिए शक की सुई पूरी तरह चूचू पर आ कर टिक गई. यह भी तय हो गया कि दोपहर में पुलिस के डोर टू डोर सर्वे के बाद वह मकान में ताला लगा कर फरार हो गया था.
एसपी के निर्देश पर पुलिस दल ने चूचू के पड़ोसियों से उस के रिश्तेदारों के बारे में जानकारी हासिल की. पुलिस का अनुमान था कि चूचू अपनी करीब 3 साल की बेटी को साथ ले कर गया है या फिर उस ने उसे किसी रिश्तेदार के घर छोड़ दिया है. यह भी आशंका थी कि वह बेटी को मकान में बंद कर गया हो. पुलिस ने ऐहतियात के तौर पर 2 जवान चूचू के मकान पर तैनात कर दिए.
दूसरी ओर पुलिस ने चूचू के मोबाइल की टावर लोकेशन तलाश की. उस के मोबाइल की लोकेशन हरियाणा की आ रही थी. इस आधार पर पुलिस की टीमें हरियाणा रवाना की गईं. पुलिस ने 4 नवंबर को तड़के चूचू को हरियाणा के हिसार से उस की बहन लाली के घर से पकड़ लिया.
चूचू के साथ उस की 3 साल की बेटी भावना भी थी. चूचू ने अपनी पत्नी आरती की हत्या की बात मान ली. उस समय तक चूचू की बहन लाली को इस बात का पता नहीं था कि उस का भाई अलवर में भाभी की हत्या कर के हिसार में उस के घर आया है.
पुलिस दल चूचू व उस की बेटी को अलवर ले आया. अलवर ला कर पुलिस थाने में चूचू से मनोवैज्ञानिक तरीक से गहन पूछताछ की गई. चूचू ने पुलिस को बताया कि 30 अक्तूबर को दिवाली के दिन सुबह उस का अपनी पत्नी आरती से झगड़ा हुआ था. वजह यह थी कि आर्थिक तंगी के चलते आरती उस मकान को लिखवाना चाहती थी. जबकि चूचू कुछ दिन बाद मकान बेचना चाहता था. आरती से उस का पहले भी कई बातों को ले कर झगड़ा होता रहता था.
उस ने पुलिस को बताया कि उस की पत्नी आरती 25 साल की थी. वह काफी सुंदर थी. इसलिए उसे पत्नी के चरित्र पर भी शक था. रोजरोज के झगड़ों व चरित्र पर शक के कारण उस ने आरती से पीछा छुड़ाने का फैसला लिया था.
दिवाली की शाम पौने 7 बजे जब पूरा शहर त्यौहार मना रहा था, चूचू ने अपनी पत्नी आरती पर घर में केरोसिन छिड़क कर आग लगा दी थी. इस से आरती जल गई. कुछ देर बाद उस ने दम तोड़ दिया. आरती की मौत के बाद उस ने बेटी भावना को दूध पिला कर व बिस्कुट खिला कर सुला दिया. इस के बाद वह अलवर शहर के खपटा पाड़ी मोहल्ले में रहने वाली अपनी बहन काला के पास पहुंचा और सारी बात बता कर उस से मदद मांगी.
बहन काला ने उस की मदद करने से इनकार कर दिया. इस के बाद चूचू वापस घर लौट आया. उस ने घर के दरवाजे बंद कर लिए. पूरा मोहल्ला दिवाली की खुशियां मनाने में मशगूल था. चूचू सोचने लगा कि लाश को ठिकाने कैसे लगाया जाए? काफी सोचविचार के बाद उस ने फैसला किया कि आरती के अंगों को काट कर अलगअलग कर दिया जाए और फिर उन्हें एकएक कर के फेंका जाए. उस ने उसी रात छुरी से आसपास की खाल काटने के बाद हाथपैर काट कर अलग कर दिए. इस के बाद उस ने आरती की गरदन काटी और जोर से मरोड़ कर अलग कर दी.
दिवाली की रात को ही वह सब से पहले आरती का दायां पैर पौलीथिन में रख कर अपनी टीवीएस मोपेड से कबूतर पार्क पहुंचा. पार्क के पास कोई नहीं था. मौका देख कर उस ने वह पैर सड़क के पास फेंक दिया. वह वापस अपने घर आया और पौलीथिन में दूसरा पैर रख कर मोपेड से स्कीम नंबर एक में फेंक आया. घर आ कर वह तीसरी बार में आरती के दोनों हाथ अलगअलग पौलीथिन में डाल कर चावंड पाड़ी में फेंक आया तो सिर को उस ने कंपनी बाग के पीछे सेढ़ का टीला के पास एक नाली में फेंक दिया.
घर आ कर उस ने रात में ही आरती के धड़ की छाती और पेट की चमड़ी को चाकू से उतार कर एक पौलीथिन में डाल लिया. उसी में उस ने उस के दोनों स्तनों को भी काट कर रख लिया. इस के बाद उस ने छाती और पेट के अंदर हाथ डाल कर गुर्दे एवं आंतें खींच कर बाहर निकालीं और उन्हें चाकू से काट कर पौलीथिन में रख कर फ्रिज में रख दी. धड़ पर उस ने बर्फ तोड़ कर डाल दी, जिस से बदबू न आए.
2 दिनों बाद सुबह करीब 5 बजे उस ने फ्रिज में रखीं तीनों पौलीथिन निकाली और राम मार्केट, ढकपुरी वाली गली में फेंक आया. धड़ को चावल के कट्टे में र्ख कर रंगभरियों की गली में सड़क पर फेंक दिया. अंत में स्तनों और कूल्हे के मांस वाली पौलीथिन को उस ने साथ ले जा कर बांसवाली गली में फेंक दिया. इस तरह चूचू ने 8 जगहों पर आरती के शरीर के अंग फेंके. आरती के अंगों को काटने के लिए उस ने चाकू के अलावा आरी का भी उपयोग किया था.
चूचू मांसाहारी था, इसलिए मीट लेने बकरा मंडी जाता रहता था. उस ने बकरा मंडी में कसाइयों को छुरी से बकरे की खाल उतारते देखा था. उसी से उसे आइडिया आया था और उस ने आरती के शरीर की खाल उतार कर उस के टुकड़े किए थे.
चूचू को अपनी पत्नी की हत्या कर के उस के टुकड़े करने का कोई मलाल नहीं था. उस के चेहरे पर किसी तरह की शिकन भी नहीं थी. न ही कोई डर और न ही अफसोस. ऐसी जघन्य वारदात के बाद भी चूचू पूरी तरह सामान्य दिखाई दे रहा था. उस की चालढाल या व्यवहार से किसी को इस बात का अहसास नहीं हुआ था कि शहर में जगहजगह मानव अंग मिलने से पूरे शहर में जो दहशत थी, वह उसी की करतूत थी.
चूचू इतना शातिर था कि जब शहर में किसी जगह मानव अंग मिलते थे तो वह वहां पहुंच जाता था और लोगों से इस विषय पर बात करता था. वह कहता था कि पुलिस अभी तक कबाड़ी के हत्यारे का पता नहीं लगा सकी तो इस महिला के हत्यारे तक कैसे पहुंचेगी? उस की बातों और तर्कों से किसी को उस पर कभी शक नहीं हुआ.
पुलिस को बताए अनुसार, चूचू की पहली पत्नी छोड़ कर चली गई थी. उस के बाद 4, साढ़े 4 साल वह आरती को पटना से 25 हजार रुपए में खरीद कर लाया था और हिसार में उस से शादी की थी. आरती से उसे एक बेटी हुई थी, जिस का नाम उस ने भावना रखा था. चूचू के 5 भाईबहन थे. पहले उस के पिता की मौत हुई, उस के बाद मां भी चली गई. उस के एक भाई की भी मौत हो चुकी थी. उस की 2 बहनें हिसार में और एक अलवर में रहती है. उस के परिवार की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी. चर्चा यह भी है कि पहले वह वेश्यावृत्ति के काम में लिप्त था. इसी के चलते उस के घर लोगों का आनाजाना लगा रहता था.
4 नवंबर को जब पुलिस हिरासत में चूचू को सक्कापाड़ी मोहल्ला स्थित उस के घर लाया गया तो मोहल्ले वालों की भीड़ लग गई. लोग ‘मारो मारो, फांसी दो’ के नारे लगाने लगे. पुलिस ने चूचू की निशानदेही पर अधजले कपड़े, केरोसिन की कैन, प्लास्टिक का अधजला पाइप, चाकू, छुरी व अन्य औजार बरामद किए. जयपुर से डा. राहुल शर्मा के नेतृत्व में आई एफएसएल टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण कर आवश्यक साक्ष्य जुटाए.
मां आरती की हत्या और पिता चूचू की गिरफ्तारी से 3 साल की मासूम बच्ची भावना बेसहारा हो गई है. उसे तो यह भी नहीं मालूम कि उस की मां अब इस दुनिया में नहीं है. 3 दिनों तक यह बच्ची महिला पुलिस कांस्टेबलों के संरक्षण में रही. उस के बाद 6 नवंबर को पुलिस ने उसे बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष श्रवण सिंघल के समक्ष पेश किया, जहां से उसे मदर टेरेसा होम भेज दिया गया.
इस से पहले पुलिस ने 5 नवंबर को चूचू को मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया. मजिस्ट्रैट ने उसे 2 दिनों के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने आरती के कटे हुए अंगों का पोस्टमार्टम कराया.
इन अंगों की सुपुर्दगी व दाहसंस्कार के लिए पुलिस ने आरती के पटना में रहने वाले परिजनों से संपर्क किया, लेकिन 2 दिनों तक इंतजार करने के बाद भी पटना से कोई नहीं आया तो 7 नवंबर को पुलिस ने नगर परिषद के सहयोग से आरती के अंगों का दाहसंस्कार कर दिया. पुलिस के बारबार संपर्क करने पर आरती के घर वालों ने अपना मोबाइल ही बंद कर लिया था.
2 दिनों की रिमांड अवधि पूरी होने के बाद पुलिस ने 7 नवंबर को चूचू को फिर से अदालत में पेश किया तो पुलिस के आग्रह पर उसे और 2 दिनों के रिमांड पर दे दिया गया. बाद में रिमांड अवधि पूरी होने पर 9 नवंबर को पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
एसपी राहुल प्रकाश ने शहर में सनसनी फैलाने वाली इस वारदात का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को 2-2 हजार रुपए का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है. इस पुलिस टीम में एएसपी मुख्यालय पारस जैन, सीओ (सिटी) जय सिंह नाथावत के अलावा एसआई, एएसआई से ले कर कांस्टेबल स्तर के 20 जवान शामिल थे.
लेखिका : प्रगति अग्रवाल