हाल ही में दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद क्रिकेट खेलने हरियाणा पहुंच गए तो लोगों ने उन की जम कर आलोचना की.मनोज तिवारी ने इस दौरान न सिर्फ लौकडाउन का उल्लंघन किया, बल्कि उन की बिना मास्क लगाए तस्वीरें भी वायरल हुईं. सोशल मीडिया पर लोगों ने यहां तक कह डाला कि इस देश में 2 कानून हैं- अमीरों और रसूखदारों के लिए अलग व गरीब लोगों व मजदूरों के लिए अलग.

लोगों की इन बातों में सचाई भी है और यह सब देश में लागू लौकडाउन के बीच देखा भी गया है.
बात की गंभीरता इसलिए भी है कि एक तरफ नेता क्रिकेट खलेने में व्यस्त रहते हैं और इन पर कोई नियमकानून लागू नहीं होता, तो दूसरी तरफ देश के लोगों की यात्राओं पर अब सरकारें तुगलकी फरमान लागू कर वही कर रही है, जो पहले नोटबंदी में किया था.

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नोटबंदी में लोगों के पास पैसा था मगर वे अपने ही पैसे निकाल पाने में लाचार थे, तो अब जब पूरे देश में जगहजगह लोग कोरोना वायरस और फिर लौकडाउन की वजह से फंसें हैं और अपने घर जाना चाहते हैं उन की यात्राओं पर तमाम पाबंदियां लगा कर उन्हें और भी बेबस किया जा रहा है.

यात्राओं को ले कर लोग सरकारों पर भड़ास भी निकाल रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक ने कहा,”पहले कोरोना और अब सरकार जीने नहीं दे रही. कई दिनों से शहर में फंसा हूं, स्वस्थ हूं मगर जब अपने गांव जाऊंगा तो अपने परिवार वालों से 14 दिनों या फिर इस से अधिक दिनों तक दूर ही रहना पङेगा.”

इस शख्स की पीङा इसलिए भी गौर करने लायक है कि देश में अगर कोई एक राज्य से दूसरे राज्य की यात्रा पर निकलने वाला है तो उसे सीधे गांव या फिर अपने परिवार वालों से मिलने नहीं जाने दिया जा सकता है, क्योंकि देश और राज्य की सरकारों ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अजीबोगरीब नियमकायदे बनाए हैं.

जरा गणित भी समझ लीजिए

हाल ही में केंद्र सरकार ने 25 मई से कुछ घरेलू उड़ानें व 1 जून से सीमित संख्या में यात्री ट्रैनों को चलाने की अनुमति तो दी है पर नियमकानून ऐसा कि जाने से पहले कोई 10 बार सोचे.
एक राज्य से दूसरे राज्य की या​त्राएं शुरू तो हो रही हैं, लेकिन यात्री जिस राज्य की सीमा में पहुंच कर वहां के नियमकानूनों से अनजान रहेंगे या फिर नहीं मानेंगे तो उन्हें खासा परेशानी झेलनी पङ सकती है और यह कुछ ऐसा ही है जैसे आसमान से गिरे और खजूर पर लटके.

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अब अगर आप एक राज्य से दूसरे राज्य जा रहे हैं तो आप को वहां के नियमकानूनों से वाकिफ होना जरूरी पड़ेगा.आप के लिए यह जानना भी जरूरी है कि अगर आप एक राज्य से दूसरे राज्य की यात्रा करते हैं, तो आप को क्वारंटाइन के भी जरूरी नियमों से वाकिफ होना होगा. भले ही आप स्वस्थ हैं.

इतना ही नहीं आप किसी भी माध्यम से दूसरे राज्य पहुंचें, आप को हैल्थ स्क्रीनिंग से गुजरना होगा. स्क्रीनिंग के बाद यह तय होगा कि आप में कोविड-19 संबंधी लक्षण हैं या नहीं? अगर हैं तो आप को कोविड हैल्थकेयर केंद्रों यानी डीसीएचसी भेज दिया जाएगा.

अगर लक्षण नहीं हैं यानी आप ऐसिंप्टोमैटिक हैं तो भी आप को कोविड केयर केंद्रों में बने संस्थागत क्वारंटाइन भेजा जा सकता है. देश के राज्यों के नियम और कानून भी अलगअलग बनाए गए हैं.

हवाईयात्रा को ले कर नियम

अगर आप हवाईजहाज की यात्रा करने वाले हैं तो यह जानना आप के लिए जरूरी होगा कि एअरलाइंस के जरीए भारत पहुंचने वाले यात्रियों के लिए क्वारंटाइन अनिवार्य कर दिया गया है. पहले कुछ चिह्नित देशों से आने वाले यात्रियों को किया जा रहा था लेकिन ​अब दिल्ली सरकार ने कहा है कि किसी भी देश से आ रहे यात्रियों के लिए क्वारंटाइन अनिवार्य होगा.
हैल्थ चैकअप के बाद यह तय किया जाएगा कि किस तरह के क्वारंटाइन केंद्र में किस यात्री को भेजा जाए.

खबरों की मानें तो लौकडाउन के चौथे चरण में एक राज्य से दूसरे राज्य तक यात्रा करने पर क्या नियम होंगे, इस बारे में राज्यों को तय करना है. केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक 14 दिनों के क्वारंटाइन की सलाह दी गई है और ज्यादातर राज्य इसी का पालन कर रहे हैं, फिर भी कुछ बिंदुओं पर हर जगह फर्क है.

माननी ही पङेगी बात

उधर रेलवे ने यात्रा के लिए सिर्फ औनलाइन टिकट की व्यवस्था की है और अब इस में नया नियम जोड़ दिया गया है. टिकट बुक तभी होगा जब आप इस बात पर सहमत होंगे कि आप जिस राज्य की यात्रा कर रहे हैं, उस राज्य में उतरने पर वहां के नियम का पालन करेंगे. इस तरह का निर्देश टिकट बुकिंग के समय ही आएगा और अगर आप ने इसे कैंसिल किया तो टिकट बुक नहीं होगा.
इस निर्देश में लिखा होगा-
“मैं ने गंतव्य राज्य की स्वास्थ्य संबंधी हिदायतें पढ़ ली हैं। मैं उन्हें मंजूर करता हूं और उन का पालन करने का वचन देता हूं.”

यह कैसा विरोधाभास

उधर क्वारंटाइन को ले कर केंद्र सरकार की हिदायत है कि 14 दिनों का यह समय अनिवार्य हो। लक्षण होने पर निगरानी वाले संस्थागत या सरकारी केंद्रों में लोगों को रखे जाने और लक्षण न होने पर होम क्वारंटाइन किए जाने के लिए राज्य अपने हिसाब से फैसले लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

मगर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे कई राज्य इस बारे में केंद्र के निर्देशों का पालन कर रहे हैं, जबकि ओडिशा में होम क्वारंटाइन का समय बढ़ा कर 14 दिन से 28 दिन कर दिया गया है.

इस के अलावा पंजाब में क्वारंटाइन के सख्त नियमों के निर्देश हैं.वहीं, गुजरात में होम क्वारंटाइन किया जा सकता है.

लोगों को डराया क्यों जा रहा

कुछ राज्य क्वारंटाइन नियमों की अवहेलना के चलते लोगों पर मुकदमा भी दर्ज कर रहे हैं. संभव है कि अगर आप संबंधित राज्य के नियमकानूनों को नहीं मानें तो आप को वापस भी भेजा जा सकता है या फिर आप पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.

कोरोना वायरस में लागू लौकडाउन की वजह से एक तो लोग पहले से ही परेशान हैं और दूसरा जब वे अपने गांव अथवा घर जाना चाहें तो भी मुसीबत पीछा छोङने वाला नहीं है.

एक ही देश में अलगअलग राज्यों के नियमकायदे भी विरोधाभास को और भी पेचिदा बना रहे हैं और लोगों के सामने यात्रा करने को ले कर भ्रम की स्थिति है.

पहले भी मच चुका है बवाल

उधर राज्य के क्वारंटाइन जगहों को ले कर भी लोगों ने बवाल मचाया था. इन की शिकायते थीं कि वहां टौयलेट गंदे हैं, कमरे की साफसफाई कम होती है या फिर होती ही नहीं.खाना भी समय पर नहीं मिलता और मिलता भी है तो इंसानों के खाने लायक होता नहीं.

हाल ही में प्रवासी मजदूरों ने इन नियमों के खिलाफ आवाज भी उठाई थी पर जैसा कि इस देश में होता आया है, उन आवाजों को दबा दिया जाता है.

खबर यह भी है कि कोरोना वायरस में लागू लौकडाउन के बीच लाखोंकरोङों लोग बेरोजगार हो गए हैं। फैक्टरियां बंद पङी हैं और लोगों के हाथों में फूटी कौङी भी नहीं बचा है। ऐसे में जो अपने घर अथवा गांव जाना चाहते हैं, सरकारों के बनाए नियमकायदे उन्हें कोरोना वायरस से अधिक परेशानियों में डालेंगे यह तय है.

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