आठ वर्ष बाद संगीत प्रधान फिल्म ‘‘रॉक ऑन’’ की सिक्वअल फिल्म ‘‘रॉक ऑन 2’’ का निर्देशन कर पहली बार स्वतंत्र रूप से फिल्म निर्देशित करने वाले शुजात सौदागर मूलतः कश्मीर के पूंछ क्षेत्र में पले बढ़े हैं. वह लंबे समय से विज्ञापन फिल्में बनाते आ रहे हैं. सोनी टीवी खासकर सोनी मैक्स के ब्रैंड को स्थापित करने में उनका काफी योगदान रहा है. उन्होंने 2005 में साठ मिनट की एक लघु फिल्म ‘‘बाली’’ का निर्देशन कर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ‘आईटीए’ अवार्ड भी जीता था. वह फिल्म ‘‘डॉन 2’’ के सेकंड यूनिट निर्देशक के रूप में काम कर चुके हैं. पर वह फिल्म ‘‘रॉक ऑन’’ का निर्देशन कर काफी उत्साहित हैं.
हाल ही में जब शुजात सौदागर से हमारी बात हुई, तो हमने उनसे फिल्मों के प्रति उनकी रुचि को लेकर सवाल किया. इस पर उन्होंने कहा- ‘‘मैं कश्मीर के पूंछ में पला बढ़ा हूं. संगीत का मुझ पर बचपन से ही प्रभाव रहा है. स्कूल के दिनों से ही मैं नाटकों से जुड़ गया था. अपने दोस्तों के साथ गाना भी गाता था. उसके बाद उच्च शिक्षा पाने के लिए मैं पुणे के एक कालेज में आ गया. एक दिन हमारे कालेज में कंवोकेशन के अवसर पर विज्ञापन जगत की मशहूर हस्ती प्रह्लाद कक्कड़ आए थे. उन्होंने भाषण दिया था. उसके बाद मैं उनसे जाकर मिला. मैंने उनसे उनके साथ काम करने की इच्छा जाहिर की, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. मैंने उनकी कंपनी जिनेसिस में काम करना शुरू किया. इस तरह विज्ञापन जगत से मेरी यात्रा शुरू हुई. सच कहूं तो उनके साथ जुड़ने के बाद ही मेरी पढ़ाई शुरू हुई. मैं प्रह्लाद कक्कड़ को अपना गुरू मानता हूं. आज मैं जो कुछ भी हूं, उसका सारा श्रेय उनको जाता है. मुझे आगे बढ़ाने करने में उनका बहुत बड़ा योगदान है.’’
पर फीचर फिल्म के निर्देशन में इतना बिलंब क्यों हुआ? इस सवाल पर शुजात ने कहा-‘‘फरहान अख्तर और रितेश सिद्धवानी के संग हमारा पुराना संबंध है. मैं विज्ञापन फिल्मों के अलावा लघु फिल्में बना ही रहा था. फरहान अख्तर के साथ फिल्म ‘डॉन 2’ में सेकंड यूनिट निर्देशक के रूप में काम किया था. पर फरहान अख्तर व रितेश से मैंने हमेशा ही कहा कि जब एक अच्छी कहानी मिलेगी, तभी हम उस पर फिल्म बनाएंगे. और वह मौका हमें ‘रॉक ऑन 2’ में मिला.’’
फिल्म ‘‘रॉक ऑन 2’’ के नएपन का जिक्र करते हुए शुजात सौदागर ने आगे कहा-‘‘इस बार भी यह संगीत प्रधान फिल्म है. ‘रॉक ऑन’ का सिक्वअल है. वह कहानी जिस जगह खत्म हुई थी, उसी का विस्तार है. मगर कहानी नयी है. इस बार कहानी के केंद्र में उन तीन लड़कों यानी कि फरहान अख्तर, पूरब कोहली व अर्जुन रामपाल के साथ जुडकर श्रृद्धा कपूर का पात्र अहम भूमिका निभाता है. वह पूरे बैंड को बाइंड करती हैं. पहले भाग में सिर्फ ‘मैजिक बैंड’ और उसका संगीत था. इस फिल्म में कई तरह का साउंड और संगीत है. अब यह इस फिल्म में वह बैंड भी पूरा जागो बन गया है. अब ‘मैजिक बैंड’ से जुड़े किरदारों की उम्र चालीस साल से उपर है. अब इस बैंड का संगीत भी परिपक्व हो गया है. इस बार कहानी भी काफी मैच्योर है. संगीत के स्तर पर फिल्म काफी नयी है. श्रद्धा कपूर की साउंड बहुत अलग है. वह युवा और मार्डन संगीत गाती हैं. शशांक सरोद वादक है. वह बनारस से मुंबई नई संभावना की तलाश में आए हैं.’’
आठ वर्ष में संगीत में जो बदलाव आया है, क्या वह इस फिल्म का हिस्सा है? इस सवाल पर शुजात ने कहा-‘‘जी हां! संगीत में आए बदलाव को इस फिल्म का हिस्सा बनाया गया है. इसके अलावा हमने इस फिल्म को उत्तर पूर्वी भारत यानी कि शिलांग व मेघालय में फिल्माया है. इस फिल्म में वहां के संगीत व सुरों को भी जोड़ा है. हमने इस फिल्म के साथ वहां के म्यूजीशियनों को भी जोड़ा है. उनके भी गाने हैं. इस फिल्म में समरसाल्ट बैंड का भी एक गाना है. तो इस फिल्म में कहानी के साथ संगीत में विविधता भी मिलेगी.’’
जब हमने शुजात से पूछा कि स्थापित बैनर की फिल्म और एक सिक्वअल को निर्देशित करते हुए खुद को किस हद तक सुरक्षित महसूस कर रहे थे? तो शुजात ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा-‘‘देखिए, मैं नर्वस नहीं था. असुरक्षित नहीं था. आप जानते हैं कि मैं निर्देशन में नया नही हूं. मुझे कभी इस बात का अहसास नहीं हुआ कि मैं अपनी पहली फीचर फिल्म निर्देशित कर रहा हूं. उत्साहित था. फरहान अख्तर के साथ ‘डॉन 2’ में सेकंड यूनिट निर्देशक के रूप में काम किया था. तो उनके साथ रैपो था. पूरब कोहली के साथ कई विज्ञापन फिल्म की हैं. श्रद्धा कपूर के साथ यह मेरी पहली फिल्म है. मैंने उनके साथ भी इंज्वाय किया. वह बहुत मेहनती हैं. इस फिल्म में श्रद्धा कपूर ने खुद अपने गाने गाए हैं. उन्होंने हमारी फिल्म को एक साल दिया. जब हम शूटिंग की लोकेशन तलाश करने शिलांग जा रहे थे, तो वह भी हमारे साथ थीं.’’
उत्तर पूर्वी भारत को बालीवुड सिनेमा के मेनस्ट्रीम से जोड़ने की सोच के साथ फिल्म ‘‘रॉक ऑन 2’’ का फिल्मांकन उत्तरपूर्वी राज्य मेघालय व शिलांग में किया गया है. शुजात सौदागर वहां के लोगों के प्यार के कायल हो चुके हैं. शिलांग की खूबसूरती के संदर्भ में वह कहते हैं-‘‘शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता. बहुत खूबसूरत जगह है. मेरी नजर में किसी भी जगह को खूबसूरत वहां रहने वाले लोग बनाते हैं. पहाड़, पेड़ पौधे, बादल तो आपको कई जगह मिल जाएंगे. पर इस प्राकृतिक सौंदर्य को शिलांग व मेघालय के लोगों ने अपन प्यार, हमारी आवभगत से कई गुना ज्यादा बढ़ा दिया. हमें वहां ज्यादा खूबसूरती नजर आयी. मेरे लिए तो शिलांग बहुत खास हो गया है. किसी नयी जगह पर इतनी गर्मजोशी से स्वागत हमारा कहीं नहीं हुआ. हमने यह फिल्म शिलांगग व मेघालय ही नहीं बल्कि पूरे उत्तरपूर्वी भारत के लोगों को समर्पित की है.’’