हमेशा बड़े सही ही हों, यह जरूरी नहीं. कई बार वे भी ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो बच्चों को गवारा नहीं होतीं, लेकिन वे सिर्फ इसलिए चुप रहते हैं, क्योंकि वे बड़ों के सामने बोलना ठीक नहीं समझते. उन्हें लगता है कि अगर उन्होंने बड़ों को टोका तो उन पर बदतमीज होने का टैग लग जाएगा. कई बार किशोर देखते हैं कि कैसे उन के रिश्तेदार सिर्फ पैसा ऐंठने के लिए या फिर खानेपीने के लिए ही मम्मीपापा को पूछते हैं और जैसे ही उन का मतलब निकल जाता है वे बात करना छोड़ देते हैं. कई बार पेरैंट्स भी गलती करते हैं, लेकिन किशोर उन्हें कुछ नहीं बोल पाते. ऐसे में किशोरों की यह जिम्मेदारी बनती है कि जब बड़े गलत करें तो उन्हें समझाएं. हो सकता है कि आप की कोशिश रंग लाए और रिश्ते बिगड़ने से बच जाएं.

जब बड़े गलती करें तो कैसे निभाएं भूमिका डरें नहीं, समझदारी से बढ़ें

भले ही आप उम्र में छोटे हैं लेकिन समझ तो पूरी रखते हैं. जैसे जब आप के फ्रैंडसर्किल में कोई गलती कर देता है तो आप उसे समझाते हैं, ठीक उसी तरह अगर आप अपने घर में बड़ों को गलती करते हुए देखें तो उन्हें समझाएं न कि चुप्पी साध लें. यदि मम्मी से कोई गलती होने पर पापा उन पर बरस पडें, तो आप मूकदर्शक बन कर देखते न रहें, बल्कि पापा को समझाएं कि मम्मी की इतनी छोटी सी बात पर आप ने अपना आपा खो दिया. जब आप लोग ऐसी गलती करेंगे तो हम से अच्छे की उम्मीद कैसे कर सकेंगे. इस से आप के पेरैंट्स को लगेगा कि अगर यह सबकुछ ऐसे ही चलता रहा तो बच्चों के हाथ से निकलने में देर नहीं लगेगी. इसलिए वे खुद को सुधारने का प्रयास करेंगे.

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