‘‘कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए कृपया मेरी बेटी की शादी में शरीक न हों. हम ने इस आयोजन को साधारण रखने का फैसला करते हुए रिसैप्शन कैंसिल कर दिया है. स्वयं को जोख़िम में न डालें और विवाह में शामिल न हों,” यह संदेश कोल्हापुर के रहने वाले संजय शेलार ने सारे आमंत्रित मेहमानों को भेजा था. इन की बेटी की शादी 18 मार्च, 2020 को होने वाली थी.
इन्होंने आमंत्रण भेजते हुए सब से कहा था कि शादी में अवश्य आएं, पर कोरोना महामारी ने उन्हें सारे आयोजन रद्द करने पर मजबूर कर दिया है.
यह स्थिति तब की है जब लौकडाउन की घोषणा नहीं हुई थी, हालांकि सोशल डिस्टैंसिंग की हिदायतें जरूर दी जा रही थीं.

दूल्हा-दुलहन दोनों ही शादी को ले कर बहुत उत्साहित थे, लेकिन विवाह को स्थगित करने के बजाय उन्होंने औनलाइन शादी करने का फैसला किया. जूम पर दोनों पक्षों ने सारी रस्में निभाईं. अब दोनों लौकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे साथ रह सकें.

औनलाइन शुभकामनाएं

यह वह समय है जब भारत में शादियों का सीजन शुरू हो चुका होता है, लेकिन इस वर्ष विवाह का सीजन बिलकुल ठंडा पड़ गया है और आगे भी काफी समय तक यही हालात रहने वाले हैं. कोरोना महामारी ने लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया है. कुछ लोगों ने अपनी शादियों को स्थगित कर दिया है और वे इंतजार कर रहे हैं कि महामारी खत्म होने के बाद वे विवाह करेंगे. लेकिन अधिकांश युगल औनलाइन या वर्चुअल विवाह द्वारा शादी की रस्में निभा रहे हैं.

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मध्य प्रदेश के रहने वाले अविनाश की सतना में धूमधाम से शादी होने वाली थी, जिस में 8 हजार से अधिक मेहमानों के आने की उम्मीद थी. लेकिन लौकडाउन के चलते सब तरह की चीजों में बदलाव आ गया. अविनाश और उस की होने वाली पत्नी नहीं चाहते थे उन की शादी अप्रैल से आगे बढ़े. इसलिए उन्होंने औनलाइन शादी की. लड़की गाजियाबाद में रहती है, इसलिए वीडियो काल के जरीए उन्होंने विवाह किया और पंडित ने अपने घर से ही शादी को विधिपूर्वक संपन्न कराया. मेहमानों ने युगल को अपनेअपने घरों से औनलाइन शुभकामनाएं दीं.

युगल के मातापिता को शुरू में तो यह विचार अजीब लगा पर उन्होंने उन्हें आश्वस्त किया कि कोई भी रीतिरिवाज छोड़ा नहीं जाएगा. विवाह संबंधी एक प्लेटफौर्म द्वारा आयोजित कराई इस शादी में 10 देशों के 200 से अधिक लोगों ने भाग लिया.

समारोह के बाद मेहमानों को मिठाइयां तथा भोजन देने के लिए उन के घरों पर फूड डिलीवर किया गया. 14 मई की फ्लाइट बुक थी, जो उन्हें रद्द करनी पड़ी. हालांकि बुकिंग कंपनी ने उन्हें पैसे नहीं लौटाए और उन्हें इस नुकसान को उठाना पड़ा.

समय ने बदला ट्रैंड

मुंबई में शेरवानी पहन कर सजा दूल्हा और डेढ़ हजार किलोमीटर दूर घाघराचुन्नी पहन कर सोलह श्रृंगार की हुई युवती ने बरेली में रह कर फेरे लिए. दूल्हादुलहन ने सैकड़ों किलोमीटर दूर रहते हुए भी मोबाइल और लैपटौप पर औनलाइन रह कर एकदूसरे के साथ सातों वचन निभाने का वादा किया.

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इन की शादी 4 अप्रैल को तय थी, लेकिन लौकडाउन के कारण न तो बारात ले कर बरेली जा सकते थे और न ही बरेली से लड़की वाले मुंबई जा सकते थे. कोई रिश्तेदार भी शामिल नहीं हो पाता. ऐसे में तय हुआ कि शादी औनलाइन की जाए, जिस में सभी रिश्तेदार आपस में जुड़े रहें. औनलाइन विवाह में लगभग डेढ़ घंटे तक रस्में हुईं. विवाह के बाद औनलाइन नजारा देख रहे लगभग 200 रिश्तेदारों ने दूल्हादुलहन को शुभकामनाएं दीं.

मुंबई के मर्चेंट नेवी अफसर प्रीत सिंह और उन की मंगेतर, जो बरेली में रहती हैं, का विवाह 4 अप्रैल को होने वाला था और पिछले 6 महीनों से वे विवाह की तैयारियों में जुटे थे. उन्होंने 4 तारीख को ही विवाह किया, लेकिन बिलकुल अलग तरह से. न बैंड था न बाजा, न बारात न ही भव्य भोजन का प्रबंध. उन्होंने औनलाइन विवाह किया और दुनिया के विभिन्न कोनों से उन के परिवार के सदस्यों और मित्रों ने औनलाइन लौग कर उन्हें शुभकामनाएं दीं.
लगभग ढाई घंटे तक चलने वाले इस विवाह में युगल ने सारी रस्में निभाईं. मेहंदी और संगीत सैरेमनी होने के साथसाथ विभिन्न रस्मों के बीच वीडियो काल पर विवाह संपन्न हुआ. उन के दोस्तों और रिश्तेदारों ने संगीत समारोह के लिए औनलाइन कई प्रस्तुतियां तैयार कीं.

उन के दोस्तों के अलावा औनलाइन की गई इस शादी के लाइव टैलीकास्ट को 16 हजार से अधिक लोगों ने देखा.
अब यह युगल लौकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहा है ताकि मुंबई में दोनों एक नए सफर की शुरुआत कर सकें.

जूम पर हो रहे हैं सादे विवाह

कहां बड़े पैमाने पर, पैसा बहा कर और पूरे दिखावे के साथ विवाह किए जाते थे. बड़ेबड़े होटल बुक कराए जाते थे और खूब धूमधड़ाका होता था. बाजारों में खरीदारी करने वालों की भीड़ उमड़ी रहती थी. लेकिन लौकडाउन ने विवाह करने के तरीकों को ही बदल दिया और साथ ही फुजूलखर्ची पर भी रोक लगा दी है. न डिजाइनर परिधान पहने जा रहे हैं, न ही 100 किस्म के भोजन परोसे जा रहे हैं और न ही मेहमानों की भीड़ जुट रही है. सब कुछ थम सा गया है और विवाह सादे हो गए हैं. न आमंत्रणपत्र भेजने की जरूरत रही है और न ही मिठाइयों के आदानप्रदान की. विवाह एकदम साधारण ढंग से जूम या औनलाइन के अन्य माध्यमों से हो रहे हैं.

आमतौर पर भारत में शादी बड़ी धूमधाम से की जाती है, जिस में मातापिता बढ़चढ़ कर खर्च करते हैं. सैकड़ों मेहमानों को आमंत्रित किया जाता है और कई दिनों तक जश्न समारोह चलते हैं. अब जब इस में बदलाव आया है तो लगता है आने वाले समय में यह ट्रैंड बना रह सकता है कि कम से कम लोगों को आमंत्रित किया जाए और फुजूलखर्ची बिलकुल न की जाए.

आधुनिक दौर में वैवाहिक परंपराओं का स्वरूप अब बदलता प्रतीत हो रहा है. संकट की घड़ी में जब पूरा देश बंद है, पूरी दुनिया एक संक्रमण के दौर से गुजर रही है, ऐसे समय में युवाओं ने भारतीय परंपराओं को कायम रखते हुए यह नई परंपरा शुरू की है, जो आने वाले दिनों में लंबे समय तक कायम रहने वाली है.

ऐसे समय में वैवाहिक परिधानों की खरीदारी, आभूषण, मेकअप, होटल बुकिंग, सजावट पर खर्च होने वाले लाखों रुपए और मेहमानों को दिए जाने वाले उपहारों के लेनदेन में तो कमी आएगी ही, साथ ही हो सकता है कि दहेज और दिखावे पर भी रोक लग जाए और लोगों को इस तरह के विवाह ज्यादा लुभाने लगें जो बेशक वर्चुअल न हों, पर सादे ढंग से किए जाएं.

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