आज के दौर में जहां किसान परिवारों के नौजवान खेती से दूर होते जा रहे हैं, वहीं किसान भी नहीं चाहता है कि उन का बेटा खेती में उलझ कर पैसों की तंगी झेले. यही वजह है कि छोटेबड़े समेत सभी किसान परिवारों में बच्चों को पढ़ालिखा कर ऊंचे ओहदों पर भेजने की ललक बढ़ रही है.

इस की खास वजह है खेती का पूरी तरह से व्यावसायिक न हो पाना. कृषि उपज के मूल्य निर्धारण और मार्केटिंग में सरकार की लचर नीति, मौसम की अनिश्चितता और खादबीज का संकट किसानों का खेती से मुंह मोड़ने की एक अहम वजह है, वहीं तकनीकी जानकारी की कमी भी किसानों की तरक्की में आड़े आती है. फिर भी जिन किसानों ने खेती में समय के साथ बदलाव लाने की कोशिश की, उन्होंने खुद
की तरक्की तो की ही, साथ ही, दूसरे किसानों को भी तरक्की का रास्ता दिखाने के लिए
आगे आए.

ऐसे ही एक 24 साला नौजवान ने पढ़ाई के साथसाथ अपने पुरखों की खेती को ऐसे संवारा कि आधुनिक खेती के लिए चर्चा का विषय
बन गए.

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बस्ती जिले के बहादुरपुर ब्लौक के नरायनपुर गांव के रहने वाले अनुराग पांडेय की उम्र महज 24 साल है और इन्होंने हाल ही में कौमर्स विषय में ग्रेजुएशन भी पूरा किया है. लेकिन 4 साल पहले इंटरनैट के जरीए एक कामयाब किसान की कहानी पढ़ कर अनुराग के मन में भी खेती के प्रति जो लगाव पैदा हुआ, वह आज उन के और दूसरे परिवारों की तरक्की की कहानी लिख रहे हैं. बारबार नुकसान के बाद भी
हार नहीं मानी अनुराग पांडेय ने अपने पढ़ाई के साथसाथ खेती करने की बात जब अपने पिता को बताई, तो उन के पिता एक बार चौंके जरूर थे, लेकिन उन्हें इस बात की खुशी भी हुई कि उन का बेटा खेती में दिलचस्पी रखता है. ऐसे में पिता ने अनुराग को खेती करने के लिए आगे आने में भरपूर मदद करने का भरोसा दिया और हौसला भी बढ़ाया.

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