2018 के जून माह में भंवरताल गार्डन जबलपुर में रहने वाली आयशा ने स्वास्थ्य महकमे में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात अपने पति डा शफात‌उल्लाह खान की हत्या इसलिए करवा दी थी, क्योंकि उसका पति अपने  विभाग की क‌ई महिला कर्मचारियों से अबैध  संबंध रखता था. अपनी अय्याशी की बजह से पत्नी के साथ संबंध भी नहीं बनाता था और पत्नी को प्रताड़ित  करता था. हद तो तब हो गई जब पति ने पत्नी की नाबालिग भतीजी को अपनी हवस का शिकार बना लिया और इससे नाबालिग को  गर्भ ठहर गया .तंग आकर पत्नी ने सुपारी देकर उसकी हत्या करवा दी. इसी तरह दिसम्बर 2019 में नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव थाना क्षेत्र में एक युवक आशीष की हत्या उसके ही दोस्त पंकज ने इसलिए कर दी थी , क्योंकि आशीष ने पंकज की पत्नी से सेक्स संबंध बना रखे थे.

ये घटनाएं साबित करती हैं  कि समाज में वढ़ते व्यभिचार और विवाहेत्तर संबंधों के कारण अपराधों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है.

आम तौर पर विवाह होने के बाद पति और पत्नि के बीच के सेक्स संबध प्रारंभ के कुछ वर्षों में तो ठीक रहते हैं, परन्तु  बच्चों के जन्म के बाद पार्टनर की जरूरतों पर पर्याप्त ध्यान न दिये जाने और सेक्स संबंधों के प्रति लापरवाही कलह का कारण बन जाता है.

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सेक्स स्पेशलिस्ट बताते हैं कि सुखद सेक्स उसी को माना जाता है जिसमें दोनों पार्टनर ओर्गेज्म पा सकें .यदि पति पत्नि सेक्स संबधों में एक दूसरे को संतुष्ट कर पाने में सफल होते हैं तो उनके दाम्पत्य संबंधों की कैमिस्टी भी अच्छी रहती है.

राकेश और प्रीति की शादी को पांच वर्ष हो चुके हैं . उनकी दो साल की एक वेटी भी है ,परन्तु वेटी के जन्म के साथ ही प्रीति का ध्यान अपनी वेटी में ही रम गया है. पति की छोटी छोटी जरूरतों का ध्यान रखने वाली प्रीति अब पति के प्रति वेपरबाह सी हो गई है. कभी रोमांटिक मूड होने पर राकेश सेक्स संबंधी बातों के साथ जब सेक्स  करने की पहल करता है तो प्रीति उसे यह कहकर झिड़क देती है कि तुम्हे तो बस एक ही चीज से मतलब है. इससे राकेश कुंठित होकर चिड़चिड़ाने लगता है . वह अपनी कामेच्छा को मन मसोसकर  दबा लेता है ,परन्तु सेक्स न करने की कुंठा से उसके मन में कहीं और शारीरिक संबध बनाने के ख्याल भी आने लगते हैं . प्रीति जैसी अनेक महिलाओं का यही व्यवहार राकेश जैसे पुरूषों को दूसरी स्त्री के साथ संबंध बनाने को प्रोत्साहित करता है .

जिस तरह स्वादिष्ट भोजन करने के  बाद कुछ और खाने की इच्छा  नहीं होती,  ठीक उसी तरह सेक्स क्रिया से संतुष्ट पति-पत्नी अन्यत्र  सेक्स के लिए  नहीं भटकते. दाम्पत्य जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए पति-पत्नी को उनकी सेक्स जरूरतों  का भी ध्यान रखना चाहिए.

सेक्स की  पहल  आम  तौर पर पति  द्वारा की जाती है.  पत्नी  को भी  चाहिए कि वह  सेक्स  की पहल करे. पति.पत्नी में से  किसी के भी द्वारा की  पहल का स्वागत कर सेक्स संबंध  स्थापित कर एक दूसरे की संतुष्टि का ख्याल रखकर विवाहेत्तर संबधों  से बचा जा सकता है.

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बच्चों के जन्म के बाद भी सेक्स के प्रति निरूत्साहित न हो . सेक्स दाम्पत्य जीवन का मजबूत आधार है . शारीरिक संबध जितने सुखद होंगे भावनात्मक प्यार  उतना ही मधुर होगा. घर में पत्नी के सेक्स के प्रति रूखे व्यवहार के चलते पुरूष अन्यत्र सुख की तलाश में संबंध बना लेते हैं . कामकाजी पति द्वारा पत्नि को पर्याप्त समय और यौन संतुष्टि न देने के मामलों में भी पत्नि द्वारा अन्य पुरूष से शाररिक संबध बना लिये जाते हैं ,जिसकी परिणिति से दाम्पत्य जीवन में तनाव और विखराव देखने को मिलता है .

 स्वाभाविक होता है बदलाव

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि संबंधों में यह बदलाव स्वभाविक है  शादी के आरंभिक सालों में पति पत्नी एक.दूसरे के प्रति जो खिंचाव महसूस करते हैं,वह समय के साथ खत्म होता जाता है और तब शुरू होती है रिश्तों में उकताहट. आर्थिेक , पारिवारिक और बच्चों की परेशानियां इस उकताहट को बढ़ावा देती हैं . फिर इस उकताहट को दूर करने के लिए पति.पत्नी बाहर कहीं सुकून तलाशते है जहां उन्हे फिर से अपने वैवाहिक जीवन के आरंभिक वर्षो का रोमांच महसूस हो. यहीं से विवाहेतर संबंधों की शुरुआत होती है.

*कौन से कारण हैं उत्तरदाई

समाज के अलग-अलग वर्गों में किये गए अध्ययन से पता चलता है कि अलग-अलग लोगों में विवाहेत्तर संबंधों के कारण भी अलग-अलग होते है.क‌ई वार वर्क प्लेस पर लगातार एकांत में काम करने से  तो कभी किसी से भावनात्मक जुड़ाव हो जाने से भी संबंध बन जाते हैं. सेक्स लाइफ से असंतुष्टि,सेक्स से जुड़े कुछ नए अनुभव लेने की लालसा,वक्त के साथ आपसी संबंधों में प्रेम का अभाव,अपने पार्टनर की किसी आदत से तंग होना और क‌ई वार एक-दूसरे को जलाने के लिए भी विवाहेतर संबंध स्थापित हो जाते हैं.

स्त्री  के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार

भारतीय समाज और संस्कृति में स्त्रियों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार आज भी देखने को मिलता है .सामाजिक परम्पराओं की गहराई में स्त्री द्वेष छिपा है और यही परमपराएं पीढ़ियों से महिलाओं को गुलाम मानती आई हैं. सामाजिक ढांचे में उन्हें इस तरह ढाला जाता है कि वे अपने शरीर के आकार से लेकर निजी साज-सज्जा तक के लिए स्वतंत्र नहीं हैं.  जो महिला अपने ढंग से जीने के लिये परम्पराओं और वर्जनाओं को तोड़ने का प्रयास करती है उस पर समाज  चरित्रहीन होने का कलंक लगा देता है.  पुरूष को घर में व्यवस्था, पत्नी का समय व बढ़िया तृप्तिदायक खाना,सुख चैन का वातावरण और देह संतुष्टि की कामना रहती है ,परन्तु कभी पुरूष उनकी सुख सुविधाओं और शाररिक जरूरतों का उतना ख्याल नही रखता . पत्नी से यह अपेक्षा जरूर की जाती है कि वह पति की  नैसर्गिक चाहें पूरी करती रहे.मनोवैज्ञानिकों के अनुसार  विवाहेत्तर संबंधों को रोकने के लिये कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.यदि आपसी रिश्तों की गर्माहट कम हो गई है तो रिश्तों को पुराने कपड़े की तरह निकाल कर नए कपड़ों की तरह नए रिश्ते बनाना समस्या का हल नहीं है . अपने  पार्टनर को समझाने के कई तरीके है. उससे बातचीत कर समस्या को सुलझाया जा सकता है.सेक्स को लेकर की गई बातचीत ,सेक्स के नये नये तरीके प्रयोग में लाकर एक दूसरे की शाररिक संतुष्टि से विवाहेत्तर संबंधों से बचा जा सकता है .

फोर प्ले से आफ्टर प्ले तक का सफर

सफल दाम्पत्य जीवन जीने वाले पति-पत्नी के अनभव बताते हैं कि किस तरह एक दूसरे को जरूरतों का ध्यान रख कर पार्टनर को भटकाव से बचाया जा सकता है.

सेक्स को केवल रात्रिकालीन क्रिया मानकर निपटाने से सहसंतुष्टि नहीं मिलती. जब दोनों पार्टनर को और्गेज्म का सुख मिलेगा तभी सहसंतुष्टि प्राप्त होगी. स्त्री और पुरूष का एक साथ स्खलित होना और्गेज्म कहलाता है . सुखद सेक्स सबंधों की सफलता में और्गेज्म या चरम सुख की भूमिका महत्वपूर्ण होती है .और्गेज्म पाने में फोर प्ले का रोल अहम रहता  है . पति पत्नि के वीच आपस में उनके नाजुक अंगों को चूमने ,मसलने और सहलाने से आनंद की अनुभूति होती है .ओंठो को मुंह में रखकर चूसने ,स्तनों को दबाकर निपल पर जीभ फेरने तथा गर्दन ,आंख ,कान ,ओंठों को चूमने से दिलो दिमाग में सेक्स की तरंगे प्रवाहित होने लगती है. फोर प्ले के दौरान होने वाला स्त्राव जब महिला और पुरूष के यौन अंगों को अच्छे ढंग से गीला कर दे तभी सेक्स की ओर बढ़ना चाहिये . कभी कभी और्गेज्म प्राप्त न होने की स्थिति में जो पहले स्खलित हो जाये उसे पार्टनर के स्खलित होने तक यौन अंगों को हिलाकर सहयोग करने से सहसंतुष्टि का सुख मिल जाता है . स्खलित होने पर एक दूसरे से मुंह फेरने की बजाय एक दूसरे के आलिंगन में रह आफ्टर प्ले का भी ध्यान रखना चाहिए.

सेक्स को शारीरिक तैयारी के साथ मानसिक तैयारी के साथ भी किया जाना चाहिये . यह पति पत्नि की आपस की जुगलबंदी से ही मिलता है. सेक्स करने के पहले की गई सेक्स से संबधित चुहल और छेड़छाड़ भूमिका बनाने में सहायक होती है . कमरे का वातावरण , विस्तर की जमावट , अंडरगारमेंटस का पहनावा जैसी छोटी छोटी बातें सेक्स के लिये उद्दीपक का कार्य करती हैं .सेक्स के दौरान घर परिवार की समस्यायें बीच में नहीं आनी चाहिये . सेक्स संबधों के दौरान छोटी छोटी बातों को लेकर की जाने बाली यही शिकायतें संबधों को बोझिल बनाती और सेक्स के प्रति अरूचि भी उत्पन्न करती हैं . सेक्स के लिये नये स्थान और नये तरीकों के प्रयोग कर संबधों का प्रगाढ़ बनाया जा सकता है .सेक्स की सहसंतुष्टि निश्चित तौर पर दाम्पत्य जीवन को सफल बनाने के साथ विवाहेत्तर संबधों को रोकने में मददगार साबित हो सकती है.और विवाहेत्तर संबंधों की वजह से समाज में बढ रहे अपराधों पर भी काबू पाया जा सकता है.

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