भारत में अभी भूख, गरीबी, कुपोषण और बेरोजगारी से ज्यादा आर्थिक विकास के लिये अर्थव्यवस्था का निजीकरण और सर्जिकल स्ट्राइक, भाजपा की मोदी सरकार की नामालूम उपलब्धियों पर चर्चा हो रही है. राष्ट्रवाद देशभक्ति और युद्ध के उन्माद को बढ़ाया जा रहा है. यह प्रमाणित किया जा रहा है, कि मोदी हैं तो देश हैं, दुनिया में देश का सम्मान है. इसलिये हमें मोदी को बचाना होगा, मोदी को बढ़ाना होगा, मोदी के लिये अपने जान की कुर्बानी देनी होगी. इस पागलपन को ऐसे बढ़ाया जा रहा है, जैसे मोदी नहीं थे, तो देश नहीं था, देश में सरकार नहीं थी. ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे देश और सेना का सम्मान और गरिमा हो.

क्या आपको ऐसा नहीं लग रहा है, कि कोई हमारे दिल, दिमाग और हमारे पेट को अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है? पेट पर लात मार रहा है, दिमाग को निजी कंपनियों के माल गोदामों में डाल रहा है, और दिल में जहर घोल रहा है? यह समझा रहा है – देश के लिये जियो, दल के लिये जियो, अपने नेता के लिये जियो. जो कामचोर है, वो गरीब है. उनके बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. जो उद्यमी हैं, वो अपने लिये काम खुद ही निकाल लेते हैं. इसलिये उद्यमी बनो. पराक्रमी बनो. देशभक्त बनो.

सरकार देशभक्तों के साथ है, पराक्रमियों के साथ है, उद्यमियों के साथ है. स्टार्टअप इण्डिया भी एक प्रोग्राम है. स्टैण्डअप इण्डिया भी एक प्रोग्राम है. ‘मेक इन इण्डिया‘ तो प्रोग्रामों का बाप है. काम ही काम है. यह सब मोदी का वरदान है.

दुश्मन भूख नहीं. दुश्मन गरीबी और कुपोषण नहीं. दुश्मन बेरोजगारी और आम आदमी की बदहाली नहीं. दुश्मन पाकिस्तान है, चीन है. दुश्मन आतंकवाद है. उसको पनाह देने वाले देश हैं.

आतंकवाद के खिलाफ सरकर है, आतंकवाद के खिलाफ सेना है, आतंकवाद के खिलाफ आम जनता को भी होना ही होगा. जो आतंकवाद के खिलाफ नहीं है, वह आतंकवादी है, देशद्रोही है. मगर अमेरिकी सरकार, उसके सहयोगी देश आतंकवादी नहीं हैं – जो आतंकवाद का उत्पादन करते हैं. अमेरिकी सरकार अपने से असहमत देशों को आतंकी हमलों की धमकी देती है. युद्ध को अनिवार्य बनाती है.

नरेंद्र मोदी आतंकवाद के खिलाफ मरने-मारने को तैयार हैं. उन्होंने भारत को ‘अमेरिकी आतंकवाद विरोधी युद्ध‘ में शामिल कर दिया है. पाकिस्तान में घुसकर आतंकी शिविरों को नष्ट करने के पक्ष में अमेरिकी सरकार है. ये वो ही आतंकी हैं, जिन्हें सीआईए ने पाला-पोसा है, प्रशिक्षित किया है, पाक को अपना जरिया बनाया है. मारने और मरने वाले अमेरिकी खैरख्वाह और पालतू हैं. भारत-पाक युद्ध के करीब खिसक रहे हैं, जिनकी हालत ‘ग्लोबल हंगर इन्डेक्स‘ 2016 में बदतर है. भुखमरी और कुपोषण के शिकार 118 देशों में भारत यदि 97वां देश है, तो पाकिस्तान का नंबर 107 है. आप समझ सकते हैं, कि हालत कितनी खराब है? इंडेक्स के आधार पर भारत में 28.5 प्रतिशत लोग भुखमरी के और 39 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. भारत उन देशों में शामिल है, जहां स्थितियां जरूरत से ज्यादा गंभीर हैं.

जिनसे लड़ने के झूठे वायदों के अलावा मोदी सरकार के पास कुछ भी नहीं है. उसने नवउदारवादी जिस अर्थव्यवस्था से भारतीय अर्थव्यवस्था को जोड़ दिया है, वहां समाज के बहुसंख्यक वर्ग के लिये भूख, गरीबी, कुपोषण और अबाध शोषण एवं दमन के साथ युद्ध है. हथियारों की होड़ और युद्ध उन्माद है.

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