72 घंटे से अधिक तक चला समाजवादी का पार्टी हाई वोल्डेज ड्रामा अब भी खत्म नहीं हो रहा है. समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव पहली बार कमजोर पड़ते दिखे हैं. उनके लिये बेटे अखिलेश यादव को दरकिनार करना सरल नहीं है, तो भाई शिवपाल को भी छोड़ना मुश्किल काम है. ऐसे में फौरीतौर पर मुलायम ने सुलह समझौते को दिखा कर अखिलेश-शिवपाल के बीच सुलह करा दी. इस सुलह के बाद भी आपस में ‘घात-प्रतिघात’ जारी है. सुलह समझौते की तय शर्ते भी पूरी नहीं हुई है. अब मुलायम खुद कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

एक तरफ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल और उनके साथी मंत्रियों का निलंबन वापस नहीं किया, तो प्रदेश का पार्टी मुखिया होने के नाते शिवपाल यादव ने रामगोपाल यादव का पार्टी से निष्कासन वापस नहीं लिया. पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अगले मुख्यमंत्री के नाम पर चुनाव के बाद तय करने को कहा है.

समाजवादी पार्टी के इस विवाद में मुलायम यह चाहते थे कि न किसी की जीत हो न किसी की हार हो. चुनाव तक सभी एक रहें, इसके बाद पार्टी अपना नेता समय देखकर तय करेगी. अपने स्तर पर मुलायम ने यह बात पूरी की. इसके बाद भी अखिलेश और शिवपाल दोनो ही अपने अपने दांव चलने से बाज नहीं आ रहे हैं.

ऐसे में अब मुलायम ने इस झगड़े से दूरी बना ली है. समाजवादी पार्टी में मचे घमासान का असर मुलायम की सेहत पर भी पड़ रहा है. इस विवाद को सुलझाने के दौरान 2 बार उनकी तबीयत खराब हुई. अखिलेश और शिवपाल दोनो ही यह कह रहे है कि नेताजी यानि मुलायम सिंह यादव की बात सभी मानेंगे. ऐसे में मुलायम चाहते हैं कि समय के साथ सब सुलझ जाये.

मुलायम के लिये एक पक्ष का चुनाव करना संभव नहीं है. ऐसे में वह बिना किसी तरह के अतिरिक्त विवाद के मसले को ठंडा करने में लगे हैं. पार्टी शिवपाल के हवाले और सरकार अखिलेश के हवाले कर मुलायम बीच का रास्ता निकाल रहे हैं. जिस तरह से पार्टी और सरकार के बीच सुलह समझौते की शर्तों को पूरा नहीं किया जा रहा. इससे साफ है कि मामला रफादफा नहीं हुआ है.

ताजा घटनाक्रम में शिवपाल यादव ने अखिलेश मंत्रिमंडल के सदस्य पवन कुमार पांडेय को 6 साल के लिये पार्टी से बाहर कर दिया है. पवन पांडेय पर समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशू मलिक को थप्पड मारने का आरोप है. पार्टी के इस कदम का सरकार की तरफ से क्या जबाव आता है यह देखने वाली बात होगी.

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