उत्तर प्रदेश में राममंदिर नहीं पर राम सहीकी धारणा पर समाजवादी पार्टी और भाजपा अपनी चुनावी रणनीति में एक दूसरे का मुकाबला करने की चाल चल रही है. समाजवादी पार्टी राम के नाम पर इंटरनेशनल थीम पार्क बना रही है तो भाजपा रामायण म्यूजिम बना रही है.

दोनों खुद के काम को विकास का काम तो दूसरे के काम को चुनावी कदम बता रहे हैं. सपा नेता शिवपाल यादव कहते हैं चुनाव पास आ गये तो भाजपा को राम और अयोध्या याद आ गया. इसका जवाब देते हुए केन्द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा कहते हैं सपा के पास 5 साल का समय था तब उनको राम की याद नहीं आई अब दो माह का समय बचा है तो अयोध्या की बात याद आ रही है’.

असल में भाजपा और सपा दोनो को ही अयोध्या से राजनीतिक ताकत मिलती रही है. दोनो ही एक दूसरे के पूरक है. अयोध्या के संतों में भी दो गुट है. भाजपा के साथ विश्व हिन्दू परिषद और मंहत नृत्य गोपालदास है. सपा का साथ हनुमान गढी के मंहत ज्ञानदास दे रहे हैं.

अयोध्या विधान सीट पिछली बार सपा के तेजनारायण पांडेय ने जीती थी. इस बार यह सीट सपा का जीत पाना मुश्किल है. ऐसे में इंटरनेशनल थीम पार्क के सहारे सपा अयोध्या के विकास की बात कर रही है. अयोध्या से अलग पूरे देश के लिये यह चुनावी मुददा है. जिसके सहारे सपा और भाजपा दोनो ही अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहती है.

विरोधियों की बात तो दूर खुद भाजपा और अयोध्या के प्रमुख नेता विनय कटियार को यह बात लौलीपॉप लग रही है. विनय कटियार का कहना है कि अयोध्या का महत्व राम और उनकी जन्मभूमि से है. वहां से दूर इंटरनेशनल थीम पार्क और रामायण म्यूजिम जनता के लिये लौलीपॉप है. सपा को अगर राम से प्यार है तो जन्मभूमि पर मंदिर बनवा दे. विनय कटियार भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं और अयोध्या मसले से जुड़े नेता हैं.

रामजन्म भूमि आन्दोलन से जुड़े रहे है. केन्द्र सरकार ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट रामायण म्यूजिम से उनको दूर रखा है. ऐसे में वह नाराज हैं और मौका चूकना नहीं चाहते.

इन सबसे से अलग फैजाबाद के सांसद लल्लू सिंह का मानना है कि रामायण म्यूजिम के बनने से अयोध्या का विकास होगा. यहां पर्यटन  बढेगा. ऐसे में अयोध्या की बदहाली दूर होगी.

केन्द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा कहते हैं केन्द्र सरकार ने कष्णा, राम और बुद्ध से जुड़े शहरों के विकास की योजना बनाई थी. यह उसका अंग है. इसमें राजनीति का कोई लेना देना नहीं है.

मंत्री और सांसद कुछ भी कहे पर लोग इस बात को समझते हैं कि राम के नाम पर एक बार फिर से राजनीति हो रही है. सपा-भाजपा दोनों ही इस मुददे से लाभ लेना चाहते हैं. इस बहाने वोट के धार्मिक ध्रूवीकरण का प्रयास हो रहा है. भाजपा और सपा दोनो ही रामजन्म भूमि के विवादित परिसर से दूर रहते राम के नाम की राजनीति कर रहे हैं.

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