गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक रिटायर्ड पुलिस अफसर को जब पता चला कि 2 महीने से उन के बेटे की ट्यूशन फीस नहीं गई है, तो वे चौंक गए. इस की वजह यह थी कि वे बेटे को समय पर ही फीस दे दिया करते थे. ट्यूटर ने उन्हें यह भी बताया कि उन का बेटा अकसर ट्यूशन पढ़ने नहीं आता है, तो वे समझ गए कि कोई गड़बड़ जरूर है. उन्होंने इस बारे में बेटे से पूछने के बजाय उस की निगरानी शुरू कर दी. दरअसल, वे बेटे की उस हकीकत से रूबरू होना चाहते थे, जो उन से छिपाई जा रही थी. बहुत जल्द ही यह साफ हो गया कि बेटा दोस्तों के साथ घूमता है. बेटे की हरकतों पर उन का शक गहरा गया. एक दिन जब वह घर से निकला, तो उन्होंने उस की तलाश शुरू कर दी. जब वह ट्यूशन सैंटर पर नहीं मिला, तो वे आरडीसी में बने एक साइबर कैफे व हुक्का बार में पहुंच गए.
वहां के नजारे ने उन्हें चौंका दिया. कंप्यूटर तो वहां नाममात्र के ही लगे थे, पर हकीकत में तो बालिग और नाबालिग लड़कों की हुक्का महफिल सज रही थी. उन का बेटा भी वहां मौजूद था. वहां लड़कों को शराब व बीयर भी परोसी जा रही थी. उन्होंने इस की सूचना पुलिस को दी, तो वहां रेड हो गई. इस के साथ ही हुक्का बार की इस हकीकत ने पुलिस के भी होश उड़ा दिए. दरअसल, उस पौश इलाके में काफी दिनों से हुक्का बार की आड़ में छात्रों को नशा परोसने का काम धड़ल्ले से चल रहा था. सुबह के साढ़े 6 बजे से ले कर रात के 10 बजे तक यह बार खुलता था. छात्र कभी स्कूल, तो कभी ट्यूशन के बहाने वहां पहुंच जाते थे. आलम यह था कि छात्रों की वहां भीड़ लगी रहती थी. इस धंधे ने संचालकों को जल्द ही अमीर भी बना दिया था. वे रोजाना 5 हजार से 15 हजार रुपए कमाते थे. उस रिटायर्ड पुलिस अफसर का बेटा भी ट्यूशन की फीस वहां उड़ा रहा था. उस के जैसे दर्जनों छात्र इस लत का शिकार हो रहे थे.
पुलिस ने नशीली चीजों को जब्त करने के साथ ही उस के संचालक अनुराग सिन्हा और वहां पर काम कर रहे दूसरे मुलाजिमों रवि, शिवम व दीपक को गिरफ्तार कर लिया. यह वाकिआ 21 जुलाई, 2016 का है. गाजियाबाद की यह हकीकत चौंकाने वाली जरूर है, लेकिन एकलौती कतई नहीं. नौजवानों के बीच फैशन बन रहे हुक्का बार छोटेबडे़ शहरों में नशे के नए अड्डों के रूप में कुकुरमुत्तों की तरह उग रहे हैं, जो नकली चमकदमक के बीच जगमग लाइटों की रोशनी में नौजवान जिंदगी के कीमती वक्त को यों ही धुएं में उड़ा रहे हैं. मेरठ सिटी पुलिस ने भी शिकायत की बिना पर आबू लेन बाजार इलाके में एक हुक्का बार का भंडाफोड़ किया. पुलिस ने उस के मालिक तुषार व दूसरे लोगों को हिरासत में ले लिया. उस में छात्रों को हर तरह का नशा मुहैया कराया जा रहा था.
पुलिस को यहां ड्रग्स और शराब के साथ कई तरह के नशे का दूसरा सामान मिला. पुलिस को नशे का मैन्यू कार्ड भी मिला. हुक्का मैन्यू में 30 तरह के फ्लैवरों का जिक्र था, जिन की कीमत सौ रुपए से ले कर 6 सौ रुपए तक होती थी. पिछले दिनों राजस्थान की अजमेर पुलिस ने भी ऐसे हुक्का बार का भंडाफोड़ किया था, जो आलीशान जगह पर बनाया गया था. पुलिस ने इस के संचालकों समेत 16 लड़कों को हिरासत में ले लिया. उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून पुलिस ने भी छापामारी में हुक्का बार के नाम पर होने वाले नशे का खेल उजागर किया था. कुछ ही सालों में हुक्का पीना नौजवानों के बीच फैशन बनना शुरू हुआ, तो कुछ ने इसे भुनाना शुरू कर दिया. बात सिर्फ फैशन तक ही नहीं सिमटी रही, उस से भी काफी आगे निकल गई.
हुक्का बार अब नशे के नए अड्डे बन गए हैं, जो किशोर बच्चों को अपनी तरफ खींचने लगे हैं. इस के लिए कोई अलग से लाइसैंस नहीं होता, बल्कि ये हर्बल हुक्का बार, कैफे, रैस्टोरैंट, लौज और होटल की आड़ में चलाए जाते हैं. हुक्का पीना कोई अपराध नहीं है. उसे परोसा जा सकता है. लेकिन उस की आड़ में नशा परोसना अपराध है. यह बात अलग है कि कई जगहों पर हुक्का बार उन के संचालकों के अलावा ड्रग माफिया की कमाई का भी बड़ा जरीया बन गए हैं. नशे के सौदागरों के निशाने पर नई उम्र के छात्र होते हैं. यही वजह है कि वे उन्हें अपने यहां बैठने की आजादी देते हैं. 25 जुलाई, 2016 को देहरादून शहर की पुलिस ने निरंजनपुर में बने एक ब्लैक हैड हुक्का बार में रेड की, तो चौंक गई. वहां पुलिस को15 लड़के लड़कियां नशा करते मिले थे. इन में 2 नाबालिग थे. नशा बांटने वाले बार संचालकों को जेल भेज दिया गया.
कई बार खुद को बड़ा दिखाने की ललक और धुएं के छल्ले उड़ाने की चाहत हुक्का बार तक ले जाती है. दोस्तों को देख कर भी नौजवान इस तरफ खिंच जाते हैं. हुक्का बार में अलगअलग फ्लैवर के हुक्के का स्वाद चखाया जाता है. ऐसी जगहों पर कई तरह के कश होते हैं, जिन्हें हुक्के के पाइप के जरीए मुंह से खींच कर धुआं निकाला जाता है.
इस के एक दर्जन से ज्यादा फ्लैवर टिकिया के रूप में होते हैं, जिन्हें चिलम के बीच रखा जाता है. जैसा फ्लैवर वैसी कीमत. इन में रोज, औरेंज, मिंट, कीवी, पान, स्ट्रौबेरी, स्वीट-16 वगैरह फ्लैवर होते हैं. इन्हीं में तंबाकू व कैमिकल के जरीए नशा मिलाया जाता है. मसलन, हुक्का फ्लैवर सौ रुपए से ले कर 5-6 सौ रुपए तक होते हैं. इन में अगर चरस या गांजा मिलाया जाता है, तो कीमत बढ़ा दी जाती है. नशे के धंधेबाज नशे के सुरूर के किस्से सुना कर भी नौजवानों पर असर डालते हैं. होंठों की गोलाइयों से छल्ले निकालते नौजवानों के फोटो दीवारों पर टांगते हैं. ऐसी जगहों पर चरस, स्मैक, गांजा, शराब, बीयर सबकुछ परोसा जाता है. इस के लिए कीमत थोड़ा ज्यादा चुकानी पड़ती है. ऐसा भी नहीं है कि पुलिस को अपने इलाके में चलने वाले ऐसे नशे के अड्डों की भनक नहीं होती, बल्कि उस की भी गुपचुप रजामंदी होती है. इस के बदले हुक्का संचालक इलाकाई पुलिस को खुश करने के हथकंडे अपनाते हैं. हुक्का बार में कुछ कश मशहूर होते हैं, जिन में ब्रेन फ्रैशर, सिल्वर फोक व ब्रेन फ्रीजर पान का कश भी है. इस कश को लेने वाले का कुछ पलों के लिए दिमाग सुन्न हो जाता है. मिश्री के दानों के समान बार्बी ट्यूरेट ड्रग महंगी और मशहूर है. इस को सिल्वर पेपर पर रख कर नीचे माचिस जला कर सूंघा जाता है या फिर सीधे किसी चीज के साथ खा लिया जाता है.
डाक्टरों की राय में ऐसे ड्रग कब जानलेवा साबित हो जाएं, इस बारे में कोई नहीं जानता. इस का असर सीधे दिमाग पर होता है, जिस से बेहोशी के साथसाथ मौत भी हो सकती है. धुएं के छल्ले उड़ाने वालों में लड़के ही नहीं, लड़कियां भी शामिल होती हैं. देखादेखी व खुद को नए जमाने का हिस्सा बनाने के लिए वे नशे के अड्डों पर पहुंच जाती हैं. नशा बरबादी का दूसरा नाम है. छात्र नासमझी में धीरेधीरे नशे के आदी हो कर जिंदगी को बरबादी की तरफ ले जाते हैं. हुक्का बार संचालकों की इस में मोटी कमाई होती है. कंप्यूटर व साइबर कैफे की आड़ में भी लोग हुक्का बार चलाते हैं. इन लोगों का मकसद नौजवान पीढ़ी को नशे की लत लगाना होता है. वे इस फार्मूले के कायल होते हैं कि नौजवान जितने ज्यादा नशे के आदी होंगे, उन का उतना ही मुनाफा होगा. कई बार संचालक मोटी फीस वसूल कर बड़ी पार्टियां भी कराते हैं, जिन में कोकीन जैसा खतरनाक नशा भी परोसा जाता है. करोड़ों रुपए की नशे की खेप ऐसी जगहों पर खपा दी जाती हैं. पढ़नेलिखने की उम्र में जिस तरह हुक्का बार की आड़ में छात्रों को नशे की लत लगाई जा रही है, चिंताजनक है. नौजवानों को भी समझना चाहिए कि फैशन या शौक में किया गया कोई भी नशा उन्हें उस का आदी बनाने के साथसाथ उन के भविष्य को भी अंधेरे से भर सकता है.