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लेखक: अलंकृत कश्यप

12अक्तूबर, 2019 की बात है. शाम के करीब 10 बजे थे. लखनऊ के कनक विहार में रहने वाली रूबी गुप्ता अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थी, तभी उस के पास उस के भाई श्याम कुमार का फोन आया. उस ने उसे बताया कि कुछ लोग आलोक कुमार का अपहरण कर ले गए हैं. यह जानकारी उसे अशोक के मकान मालिक सिपाहीराम  ने दी है. आलोक कुमार रूबी और श्याम कुमार का छोटा भाई था जो लखनऊ के ही दुल्लूखेड़ा में रहने वाले सिपाहीराम के यहां किराए पर रह रहा था.

भाई आलोक के अपहरण की बात सुन कर रूबी परेशान हो गई. उस ने सिपाहीराम का घर देखा था, इसलिए वह अपने पति अनिल गुप्ता के साथ सिपाहीराम के पास पहुंच गई. सिपाहीराम की परचून की दुकान थी. उस समय वह अपनी दुकान पर ही बैठा मिला.

रूबी ने जब उस से अपने भाई आलोक कुमार के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह मोनू कनौजिया, बबलू, अरुण यादव, रानू उर्फ छोटे मियां और संतोष के साथ बैठ कर शराब पी रहा था. उसी दौरान उन के बीच किसी बात को ले कर झगड़ा हो गया. फिर सब ने मिल कर आलोक की खूब पिटाई की और उसे उठा कर ले गए. सिपाहीराम ने रूबी को आलोक की चप्पलें दिखाईं जो वहीं छूट गई थीं. रूबी ने भाई की चप्पलें पहचान लीं.

रूबी गुप्ता उसी रात नजदीकी थाना पारा पहुंची. थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह को रूबी ने भाई आलोक कुमार के अपहरण की सूचना दे दी. थानाप्रभारी ने रूबी से आलोक का फोटो ले कर आश्वासन दिया कि इस संबंध में पुलिस तुरंत जरूरी काररवाई करेगी.

उस समय रात अधिक हो चुकी थी, इसलिए अगले दिन सुबह होते ही पुलिस ने इस मामले में तेज गति से काररवाई करनी शुरू कर दी. थानाप्रभारी अगले दिन दुल्लूखेड़ा में सिपाहीराम के घर पहुंच गए. उन्होंने उस से आलोक कुमार गुप्ता के अपहरण की बाबत पूछताछ की तो उस ने थानाप्रभारी को भी वही बात बता दी, जो रूबी को बताई थी.

थानाप्रभारी ने उस से पूछा कि वे सभी लोग तुम्हारी दुकान में बैठ कर शराब पीने के दौरान जब आलोक की पिटाई कर रहे थे तो तुम ने उसे बचाने की कोशिश क्यों नहीं की? इस के अलावा जब वे लोग आलोक को अपने साथ ले जा रहे थे तो तुम्हें शोर मचाना चाहिए था, पुलिस को सूचना देनी चाहिए थी, लेकिन तुम ने ऐसा नहीं किया. क्यों?

सिपाहीराम इस का कोई जवाब नहीं दे सका. इस से थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह को उस पर ही शक हुआ कि जरूर वह कोई बात छिपा रहा है. लिहाजा पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने ले गई.

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13 अक्तूबर को ही लखनऊ के मलीहाबाद थाने के थानाप्रभारी सियाराम वर्मा को किसी ने सूचना दी कि भोलाखेड़ा और तिलसुआ गांव के बीच नाले के किनारे एक युवक की लाश पड़ी है. मृतक केवल अंडरवियर और बनियान पहने हुए है. लाश की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सियाराम वर्मा पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए.

उन्होंने लाश और घटनास्थल का निरीक्षण किया तो मृतक की उम्र यही कोई 24-25 साल थी. उस के शरीर पर लगी चोटों के निशान बता रहे थे कि उस के साथ मारपीट की गई है. घटनास्थल पर संघर्ष का कोई निशान नहीं था. इस से अनुमान लगाया कि उस की हत्या कहीं और कर के लाश यहां डाली गई है.

लाश को देखने के लिए आसपास के गांवों के काफी लोग वहां इकट्ठे हो गए थे. थानाप्रभारी ने उन से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी उसे पहचान नहीं सका. तब पुलिस ने लाश के फोटो खींच कर उस की शिनाख्त के लिए वाट्सऐप पर वायरल कर दिए और घटनास्थल की काररवाई पूरी कर के शव 72 घंटों के लिए मोर्चरी में रखवा दिया.

हत्यारों तक पहुंचने से पहले मृतक की शिनाख्त होनी जरूरी थी, लिहाजा थानाप्रभारी सियाराम वर्मा ने लखनऊ शहर के सभी थानों को उस अज्ञात युवक की लाश के फोटो भेज दिए ताकि पता चल सके कि किसी थाने में उस की गुमशुदगी तो दर्ज नहीं है.

जब यह फोटो लखनऊ के थाना पारा के थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह ने देखा तो उन्हें ध्यान आया कि उस के अपरहण की सूचना देने के लिए कल उस की बहन थाने आई थी. उन्होंने वाट्सऐप पर आई लाश की फोटो हेड मोहर्रिर अभय प्रसाद को दिखाई तो उस ने कहा कि यह फोटो आलोक कुमार की ही है, जिस के अपहरण की तहरीर उस की बहन रूबी ने दी थी. तब थानाप्रभारी ने रूबी को फोन कर के थाने बुला लिया.

रूबी और उस के पति अनिल गुप्ता के थाने आने के बाद थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह उन्हें ले कर थाना मलीहाबाद पहुंचे. उन्होंने वहां के थानाप्रभारी सियाराम वर्मा को बताया, ‘‘कल हमारे थाना क्षेत्र से आलोक कुमार का कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया था. आप ने जो लाश बरामद की है, वह आलोक कुमार की ही है.’’

लाश की शिनाख्त के लिए पुलिस रूबी और उस के पति को मोर्चरी ले गई. थानाप्रभारी सियाराम वर्मा ने जब बरामद लाश रूबी को दिखाई तो वह चीख कर रोने लगी. उस ने लाश की शिनाख्त अपने भाई आलोक कुमार गुप्ता के रूप में कर दी.

इस के थोड़ी देर बाद रूबी के परिवारजनों के अलावा अन्य परिचित भी मोर्चरी के बाहर पहुंच गए. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली.

चूंकि इस मामले की जांच पहले से ही पारा थाने में चल रही थी, इसलिए एसएसपी ने थाना पारा के प्रभारी त्रिलोकी सिंह को ही आलोक कुमार की हत्या की जांच करने का आदेश दिया. थानाप्रभारी ने मोनू कनौजिया, बबलू, अरुण यादव, रानू उर्फ छोटे मियां, संतोष और सिपाहीराम के खिलाफ अपहरण कर हत्या करने की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

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एसएसपी ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस टीम बनाई, इस में थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह, एसएसआई संतोष कुमार शुक्ल, एसआई देवेंद्र सिंह सेंगर, अशोक कुमार सिंह, हैडकांस्टेबल कृष्णमोहन, ब्रह्मकांत, सिपाही मनोज सिंह यादव, राजेश कुमार आदि को शामिल किया गया. टीम का निर्देशन सीओ लालप्रताप सिंह कर रहे थे.

सिपाहीराम  से ही थाना पारा पुलिस की गिरफ्त में था. थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह ने एएसपी सुरेशचंद्र रावत और सीओ लालप्रताप सिंह की मौजूदगी में सिपाहीराम से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि आलोक की हत्या उस ने अन्य लोगों से कराई थी. इस की वजह थी आशनाई.

सिपाहीराम से की गई पूछताछ के बाद पुलिस टीम ने अन्य आरोपियों की तलाश शुरू कर दी. आखिरकार 14 अक्तूबर, 2019 को पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर कनक सिटी (पारा) निवासी मोनू कनौजिया, बबलू, सलेमपुर पतौरा निवासी हिमांशु गुप्ता उर्फ कल्लू को देर रात गिरफ्तार कर लिया. इन सभी से आलोक कुमार गुप्ता की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने उस की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

आलोक कुमार गुप्ता मूलरूप से हरदोई जनपद की तहसील संडीला के निकटवर्ती गांव फरेंदा निवासी शिवप्रसाद गुप्ता का बेटा था. आलोक के अलावा शिवप्रसाद के 2 बेटियां और 2 बेटे और थे. आलोक गुप्ता रोजगार की तलाश में लखनऊ आताजाता रहता था. जब उसे कोई काम नहीं मिला तो उस ने अपने एक परिचित के माध्यम से प्लंबर का काम सीख लिया था.

अगले भाग – कभी तुम्हें एक कप चाय के लिए पूछा है उस ने?

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