जहां नन्हे मेहमान के आने से घर में रौनक आ जाती है, घर में चारों तरफ बच्चे की किलकारियां गूंजती हैं, वहीं घर का हर सदस्य उत्सुकता से भर जाता है. पेरैंट्स को तो ऐसा लगता है जैसे उन की जिंदगी में नई ऊर्जा का संचार हुआ हो. लेकिन नन्हे के आने से पेरैंट्स का लाइफस्टाइल भी पूरी तरह से प्रभावित होता है, जिसे शुरुआत में तो वे हंसीखुशी स्वीकार लेते हैं, लेकिन बाद में रूटीन में भी बदलाव उन की जिंदगी पर असर डालने लगता है. ऐसे में जरूरी है कि रूटीन में बदलाव से निबटने के लिए योजना बना कर चलें.

खानपान में लापरवाही: पूरा दिन बच्चे की केयर में मातापिता अपने खानपान पर बिलकुल ध्यान नहीं देते हैं. समय नहीं मिलने के कारण वे जो मिल गया वही खा लेते हैं. भले ही फास्टफूड खा कर ही पूरा दिन क्यों न बिताना पड़े और फिर यही अनहैल्दी ईटिंग हैबिट्स उन्हें बीमार कर देती हैं.

कैसे निबटें: जब भी कुछ नया होता है तो बदलाव आना स्वाभाविक है. लेकिन उस बदलाव के अनुसार खुद को ऐडजस्ट करना बड़ी चुनौती होती है. अगर आप अकेले रहते हैं तो आप अपना खानपान संबंधी टाइमटेबल बना कर चलें, जिस से अनहैल्दी खाने का सवाल ही न उठे. जैसे आप ब्रेकफास्ट में स्प्राउट्स, अंडा, चीला बगैरा ले सकते हैं. इसी तरह लंच में दाल, रोटी, दही, छाछ या फिर उबले चने और रात के डिनर में ओट्स बगैरा ले सकते हैं, जो हाई फाइबर रिच डाइट होती है. इस बीच आप को जब भी भूख का एहसास हो तो आप फू्रट्स, चने बगैरा लें, जो आप की भूख को शांत करने के साथसाथ आप को हैल्दी भी रखेंगे.

सोने के समय में कमी: बच्चे के आने से पेरैंट्स की नींद में खलल पड़ता है, क्योंकि अब अपने हिसाब से नहीं बल्कि बच्चे के हिसाब से सोनाउठना पड़ता है, जो थकान के साथसाथ तनाव का भी कारण बनता है और जिस का असर उन की पर्सनल के साथसाथ प्रोफैशनल लाइफ पर भी पड़ता है.

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कैसे निबटें: ऐसे समय में पेरैंट्स को मिल कर जिम्मेदारी निभानी चाहिए, जैसे आप घर पर हैं तो आप अपने हसबैंड के सामने घर के सभी जरूरी काम निबटा लें ताकि बच्चे के सोने पर आप भी अपनी नींद पूरी कर सकें और फिर जब आप का पार्टनर काम से घर लौटे तो आप के फ्रैश होने के कारण उन्हें भी आराम मिल सके. रात को भी इसी तरह मैनेज करने से आप पहले की तरह ही अपना रूटीन बना सकते हैं.

इमोशनल बैलेंस: वर्किंग होते हुए भी पहले घंटों एकदूसरे को टाइम देना, एकदूसरे की हर बात सुनना, लेकिन बाद में बच्चे में बिजी रहने के कारण पार्टनर एकदूसरे को वक्त नहीं दे पाते हैं. रोमांस तो उन की लाइफ में रह नहीं जाता, जिस से उन के बीच इमोशनली अटैचमैंट में कमी आती है.

कैसे निबटें: पेरैंट्स बनने का मतलब यह नहीं कि आप एकदूसरे के साथ रोमांस जताना ही छोड़ दें, एकदूसरे को छेड़ना ही छोड़ दें, बल्कि पहले की तरह ही पार्टनर के साथ रोमांटिक रहें. उस की फीलिंग्स को समझें और टाइम दें. हो सके तो डिनर या फिर रोमांटिक डेट्स पर भी जाएं. इस से लाइफ में रोमांस बना रहता है वरना नीरसता आने से लाइफ बोरिंग लगने लगती है.

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अनुशासन में कमी: अकसर हमें अनुशासन में रहना पसंद होता है जैसे टाइम पर उठना, खाना, कहीं बाहर जाना है तब भी टाइम से निकलना, ऐक्सरसाइज बगैरा. लेकिन पेरैंट्स बनने के बाद हम चाह कर भी खुद को अनुशासन में नहीं रख पाते, जो हमें अंदर ही अंदर परेशान करता है.

कैसे निबटें: भले ही शुरुआत के 1-2 हफ्ते आप के बहुत बिजी निकलें, लेकिन बाद में आप अपना शैड्यूल बना कर चलें, जैसे अगर आप बाहर ऐक्सरसाइज के लिए नहीं जा सकते तो घर में ही करें और अगर डिनर फिक्स टाइम पर नहीं हो पा रहा तो निडर को टाइम पर करने के लिए उस में ओट्स, सूप, सलाद, खिचड़ी शामिल करें, जो कम समय में बनने के साथसाथ ज्यादा हैल्दी भी है. इस से आप बाहर का खाने से भी बच जाएंगे और स्वस्थ भी रहेंगे. इसी तरह आप बाकी चीजों को भी मैनेज कर के नई स्थितियों से आसानी से निबट सकते हैं.

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