नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर टकराव आमने सामने है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जहां एक तरफ केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह 21 जनवरी को रामकथा पार्क में समाजिक संगठनों की एक बड़ी सभा करने जा रहे हैं वही लखनऊ के चैक इलाके घंटाघर पर सीएए और एनआरसी के विरोध में धरना चल रहा है. इसमें बड़ी संख्या में महिलायें और बच्चे हिस्सा ले रहे हैं. यह एक तरह से दिल्ली के शाहीनबाग जैसा धरना चल रहा है. आन्दोलन करने वाले पार्क में धरना दे रहे हैं. जिला प्रशासन ने शहर में धारा 144 लगाकर धरने को खत्म कराने का प्रयास किया. धरना देने वालों और उनका समर्थन करने वालों को अलग अलग तरह से रोकने का काम भी किया जा रहा है इसके बाद भी धरना जारी है.
रात में धरना देने वालों के कंबल और रस्सी की वैरीकेंटिग हटाने का काम पुलिस ने किया. ‘कंबल चोर पुलिस’ सोशल मीडिया पर बुरी तरह से वायरल हो गया. ट्विटर पर यह टौप ट्रेंड पर पहुंच गया. इसके बाद पुलिस को थोड़ा संयम से काम लेना पड़ा. कई लोग तबीयत खराब होने के बाद भी धरना देने में लगे रहे. रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब एक माह से जेल में बंद थे. वहां से छूटते ही वापस धरने पर बैठ गये. वह कह रहे है कि इस कानून संवैधानिक ढंग से विरोध जारी रहेगा.
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चैक घंटाघर के इलाके में प्रदर्शन करने वाली महिलाओं ने अपने चारो तरफ सुरक्षा की नजर से रस्सी का घेरा बना लिया था. जिससे बाहरी कोई उसमें प्रवेश ना कर सके. पुलिस ने जबरन इस रस्सी को हटा दिया. इसके बाद महिलाओं ने खुद से ही एक घेरा बना लिया. पुलिस ने धरने को तोड़ने के लिये सोशल मीडिया पर आने वाली खबरों को रोकने का काम किया. कुछ लोगों को भडकाऊ पोस्ट डालने के लिये मुकदमा भी दर्ज किया गया. इसके बाद भी धरना देने वाला का हौसला टूट नहीं रहा है. पुलिस प्रदर्शन करने वालो के नाम पते नोट करने के बहाने उनको डरा रही है.
पुलिस प्रशासन का कहना है कि शहर में तमाम समारोह के कारण धारा 144 लगी है. ऐसे में धरना पूरी तरह से अवैध है. पुलिस के लिये सबसे बड़ी चुनौती 21 जनवरी को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैली है. एक तरफ नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में वह लोगों को समझाने का प्रयास करेगे. दूसरी तरफ चैक घंटा घर में इस कानून के विरोध में प्रदर्शन चैक घटा धर में चलने वाला धरना है. लोगों की तादाद के हिसाब से दोनों में कोई मुकाबला नहीं है. एक तरफ सत्ता प्रायोजित रैली है दूसरी तरफ लोगों का विरोध. भाजपा इसको विरोधी दलों की राजनीति कह रही पर विरोध का यह स्वर देश और समाज के लिये की आपसी दूरी को बढ़ाने वाला है. पुलिस के दबाव में भले ही स्वर धीमा हो और विरोध प्रदर्शन कमजोर दिख रहा हो पर सत्ता के लिये यह चुनौती है.
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19 दिसम्बर को नागरिकता कानून के विरोध में धरना प्रदर्शन जिस तरह से कानून विरोधी हो गया उससे सबक लेते प्रदशर्नकारियों ने चैक के घंटाघर पर प्रदर्शन के दौरान एतिहात बरत रहे हैं. अब पुलिस इनके साहस और सहनशीलता को तोड़ने का प्रयास कर रही है.